70 साल के सिविल राइट्स एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को यलगार परिषद मामले में अप्रैल से मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. उनकी पार्टनर, सबा हुसैन ने आरोप लगाया है कि उन्होंने नवलखा को नया चश्मा भेजा था, लेकिन जेल प्रशासन ने उसे रिसीव करने से मना कर दिया. 7 दिसंबर को जारी एक बयान में हुसैन ने कहा कि 27 नवंबर को गौतम नवलखा का चश्मा चोरी हो गया था, जिसके बाद उन्होंने नया चश्मा भेजा, लेकिन जेल प्रशासन ने उसे रिसीव नहीं किया.
नवलखा कई बीमारियों से ग्रसित हैं. COVID-19 महामारी में वो हाई रिस्क में माने जाते हैं, और बिना चश्मे के उन्हें देखने में काफी मुश्किल होती है. उनके पार्टनर ने आरोप लगाया कि नवलखा को तीन दिन तक रिप्लेसमेंट के लिए फोन नहीं करने दिया गया.
हुसैन ने कहा कि परिवार ने जेल प्रशासन को जानकारी दी थी कि नवलखा को “बिना चश्मे के देखने में काफी परेशानी होती है” और जल्द ही पोस्ट के जरिए उनके लिए नया चश्मा भेज दिया जाएगा, लेकिन 7 दिसंबर को पार्सल लेने से इनकार कर दिया.
हुसैन ने कहा कि सभी कैदियों को संवैधानिक अधिकारों का हक है, और 80 वर्षीय एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी की तरह ही नवलखा के भी अधिकारों का उल्लंघन किया गया है.
जेल प्रशासन दिया सुरक्षा का हवाला
हिंदुस्तान टाइम्स ने एक जेल अधिकारी के हवाले से लिखा है कि उन्होंने नवलखा को नया चश्मा देने का ऑफर किया था. बतौर अधिकारी, “जब नवलखा ने हमें चोरी के बारे में बताया, तो हमने उन्हें अपने सामान की देखरेख करने को कहा. हमने उनसे उनके चश्मे को लेकर जानकारी भी मांगी, ताकि नए चश्मे की व्यवस्था की जा सके. हमने उनसे कहा कि वो अपने परिवार को बताएं कि पार्सल निजी तौर पर डिलीवर करें. हमें उसके बाद उनसे कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद, हमने एक कोरियर मिला, जो हमने सुरक्षा कारणों से नहीं लिया.”
स्टेन स्वामी को नहीं मिला था सिपर
भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी ने पर्किंसन बीमारी का हवाला देते हुए सिपर की मांग की थी, जिसपर जवाब देने के लिए NIA ने 20 दिन का समय मांगा था. 20 दिन बाद आए जवाब में NIA ने कहा था कि उनके पास स्वामी के लिए स्ट्रॉ और सिपर नहीं हैं.
NIA ने 8 अक्टूबर को स्टेन स्वामी को उनके रांची स्थित घर से गिरफ्तार किया था. स्टेन स्वामी तलोजा सेंट्रल जेल में जुडिशियल कस्टडी में हैं .
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)