ADVERTISEMENTREMOVE AD

IIT के जर्मन छात्र को देश छोड़ने का फरमान,CAA प्रदर्शन में दिखा था

आईआईटी मद्रास में पढ़ने वाले जर्मन स्टूडेंट को इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने भेजा वापस

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

आईआईटी मद्रास में पढ़ रहे एक जर्मन स्टूडेंट का दावा है कि उसे इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने उसे वापस उसके देश जाने को कहा. 24 साल के जैकब लिंडेंथल आईआईटी मद्रास के फिजिक्स डिपार्टमेंट में मास्टर्स कोर्स की पढ़ाई कर रहे थे. उनका कहना है कि इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने कहा कि उन्होंने नागरिकता कानून के विरोध में हुए प्रदर्शन में शामिल होकर वीजा नियमों का उल्लंघन किया है.

जर्मनी में ड्रेसडेन के रहने वाले जैकब लिंडेंथल ने पिछले हफ्ते नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. एक फोटो में वो हाथ में एक पोस्टर लिए खड़े हैं, जिसपर लिखा है- ‘1933-1945, हम ये झेल चुके हैं’. ये पोस्टर जर्मनी में नाजी शासन के संदर्भ में था.

23 दिसंबर को, इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने उन्हें देश छोड़ने के लिए कहा. जैकब ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें चेन्नई के फॉरनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) ने भारत छोड़ने के लिए 'ओरल डायरेक्शन्स' दिए.

  • 01/02
    (फोटो: ट्विटर/Chinta Bar)
  • 02/02
    (फोटो: ट्विटर/Chinta Bar)
ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘इमिग्रेशन ऑफिसर ने CAA पर पूछा सवाल’

जैकब के दोस्तों ने द न्यूज मिनट को बताया कि इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने उन्हें रेजिडेंस परमिट पर मीटिंग के लिए बुलाया, लेकिन सीएए पर उनके नजरिए को लेकर सवाल किया.

‘जैकब को आईआईटी में उनके कॉर्डिनेटर ने बुलाया और कहा कि उनके रेजिडेंस परमिट को लेकर कुछ दिक्कत है और उन्हें इमिग्रेशन डिपार्टमेंट जाना होगा. बाद में, जैकब ने हमें बताया कि ऑफिसर ने उनसे परमिट के बारे में पूछा और फिर नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन पर उनका ओपिनियन पूछा. जब जैकब ने अपना विरोध जताया, तो ऑफिसर ने कहा कि वो उनसे सहमत नहीं हैं. जैकब को बाहर इंतजार करने के लिए कहा गया. उसके बाद उन्हें अंदर बुलाया गया और तुरंत भारत छोड़ने के लिए कहा गया.’
जैकब के दोस्त ने द न्यूज मिनट को बताया

जैकब के दोस्त ने ये भी बताया कि वो माफीनामे पर साइन करने को भी तैयार थे, लेकिन ऑफिसर ने ये ऑफर रिजेक्ट कर दिया. इमिग्रेशन ऑफिसर ने उन्हें कथित तौर पर धमकी भी दी कि अगर वो खुद नहीं जाते हैं तो उन्हें डिपोर्ट कर दिया जाएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वापस जर्मनी लौटना लगा बेहतर

जैकब लिंडेंथल एक्सचेंज प्रोग्राम के स्टूडेंट हैं और उनका एक सेमेस्टर अभी भी बाकी है. द न्यूज मिनट की खबर के मुताबिक, जर्मन वाणिज्य दूतावास ने उन्हें कानूनी मदद की भी पेशकश की, लेकिन जैकब को वापस जाना सुरक्षित लगा.

वाणिज्य दूतावास के एक सूत्र ने ये भी कहा कि आमतौर पर विदेशी नागरिकों को वही करना चाहिए जिसके लिए वो आए हैं, और मेजबान देश उन्हें डिपोर्ट करने के बारे में फैसला कर सकते हैं. मेजबान देश के पास वीजा रद्द करने और लोगों को डिपोर्ट करने की पावर होती है. हालांकि, कई देश इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को विरोध प्रदर्शन में भाग लेने की अनुमति देते हैं.

जैकब ने कहा कि जर्मनी में, किसी को भी कानूनी प्रदर्शन में भाग लेने के लिए बेदखल नहीं किया जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ट्विटर पर गर्माया मुद्दा

कांग्रेस सांसद शशि थरूर समेत कई लोगों ने स्टूडेंट को वापस भेजने पर सवाल खड़ा किया है. शशि थरूर ने ट्विटर पर लिखा, ‘ये निराश करने वाला है. हम एक लोकतंत्र हुआ करते थे, दुनियभर के लिए एक उदाहरण. किसी भी लोकतंत्र में आजादी की सजा नहीं दी जाती है.’

नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है. उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में 15 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो गई है.

(द न्यूज मिनट, द इंडियन एक्सप्रेस के इनपुट्स के साथ)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×