भारत सरकार ने एक बार फिर 118 चीनी ऐप्स को बैन करने का ऐलान किया है. लेकिन इन सभी ऐप्स में सबसे ज्यादा चर्चा पब्जी मोबाइल गेम की हो रही है. जैसे टिक टॉक भारत में वीडियो के लिए काफी ज्यादा फेमस था, वैसे ही पब्जी गेम को लेकर भी भारत में करोड़ों लोग दीवाने थे. कुछ महीने पहले आई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पब्जी के करीब 17.5 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं. इस गेमिंग ऐप को लेकर भारत ही नहीं दुनियाभर में काफी ज्यादा चर्चा है.
अब भारत सरकार के पब्जी को बैन करने के फैसले पर कई एक्सपर्ट्स ने भी अपनी राय रखी है. इन सभी 118 चीनी ऐप्स को बैन करने के पीछे भारत सरकार ने फिर लोगों के निजी डेटा को खतरा बताया है.
चीनी ऐप बैन करने को लेकर अमेरिका में टेक्नोलॉजी लॉयर की प्रैक्टिस कर रहीं मिशी चौधरी ने कहा, चाहे 59 ऐप को बैन किया जाए या फिर 118 ऐप्स को, ये सभी चीजें एक बात को साफ करती हैं कि कैसे टेक्नोलॉजी और जियो पॉलिटिकल मामले एक ही रस्सी के दो छोर बनते जा रहे हैं. भारत सरकार के पास आईटी एक्ट के सेक्शन 69ए के तहत ऐसा करने की शक्तियां हैं लेकिन ये सिर्फ एक कामचलाऊ उपाय है. डेटा प्रोटेक्शन लॉ अपनी मौजूदगी में कभी भी इतना जरूरी नहीं रहा है जितना अभी है. हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि लोग सुरक्षित हैं और वो किसी डेटा गेम में मोहरे से कम नहीं हैं.
दूसरे गेम्स की तरफ भी यूजर्स का रुख
ऑनलाइन स्पोर्ट्स फैन कम्युनिटी रूटर के सीईओ और फाउंडर पीयूष ने भी इस मामले को लेकर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा, इस बैन से इंडियन गेमिंग ईको सिस्टम को काफी बड़ा मौका मिला है. वो अपने बिजनेस को इस समय सरकार की आत्म निर्भर भारत वाली रणनीति के तहत आगे बढ़ा सकते हैं और लोगों को गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म मुहैया करा सकते हैं.
अपने प्लेटफॉर्म रूटर के बारे में पीयूष कहते हैं कि, रूटर में रहते हुए हम लगातार ये सोचते रहते हैं कि आगे भविष्य किन चीजों का है, इसीलिए हम लगातार दूसरे गेम्स पर इनवेस्ट करते रहते हैं. हमारे प्लेटफॉर्म पर ज्यादातर यूजर्स और कंटेंट क्रिएटर पब्जी के मुकाबले इन्हीं गेम्स में ज्यादा इंगेज रहते हैं. रूटर के पास 10 फीसदी से भी कम यूजर्स पब्जी खेलते हैं. हमारी लगातार कोशिश रहती है कि हम दूसरे गेम्स पर भी फोकस करें जिसमें फ्री फायर और कॉल अप ड्यूटी जैसे गेम शामिल हैं. रूटर पर ये दोनों गेम काफी पॉपुलर हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)