ADVERTISEMENTREMOVE AD

दिनकर ने दिखाई राह, जिंदगी को जिएं तो जिएं कैसे

दिनकर जी के निबंध ‘हिम्मत और जिंदगी’ से चुनी हुई कुछ बेहतरीन लाइनें.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने काव्य की रचना के साथ-साथ गद्य के जरिए भी साहित्य जगत की भरपूर सेवा की. उन्होंने देशवासियों की रगों में कविताओं के जरिए जोश तो भरा ही, साथ ही अनेक कालजयी निबंध लिखकर लोगों को जीवन जीने का सही तरीका भी सिखाया.

‘हिम्मत और जिंदगी’ दिनकर जी का एक ऐसा ही निबंध है, जिसमें उन्होंने बताया है कि जीवन में सुखों का आनंद लेने के लिए किन बुनियादी शर्तों को पूरा करना पड़ता है. वैसे तो इस निबंध की हर पंक्ति ही ‘सूक्त‍ि’ जैसी है, पर आगे इसकी चुनी हुई कुछ बेहतरीन लाइनें दी जा रही हैं...

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जिन्दगी के असली मजे उनके लिए नहीं हैं, जो फूलों की छांह के नीचे खेलते और सोते हैं, बल्कि फूलों की छांह के नीचे अगर जीवन का कोई स्वाद छिपा है, तो वह भी उन्हीं के लिए है, जो दूर रेगिस्तान से आ रहे हैं, जिनका कंठ सुखा हुआ, ओठ फटे हुए और सारा बदन पसीने से तर है.

पानी में जो अमृतवाला तत्व है, उसे वह जानता है, जो धूप में खून सुखा चुका है. वह नहीं, जो रेगिस्तान में कभी पड़ा ही नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जो सुखों का मूल्य पहले चुकाते हैं और उनके मजे बाद को लेते हैं, उन्हें स्वाद अधिक मिलता है. जिन्हें आराम आसानी से मिल जाता है, उनके लिए आराम ही मौत है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जीवन का भोग त्याग के साथ करो, यह केवल परमार्थ का ही उपदेश नहीं है, क्योंकि संयम से भोग करने पर जीवन से जो आनंद प्राप्त होता है, वह निरा भोगी बनकर भोगने से नहीं मिल पाता.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अगर रास्ता आगे ही आगे निकल रहा हो, तो फिर असली मजा तो पांव बढ़ाते जाने में ही है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

झुंड में चलना और झुंड में चरना, यह भैंसे और भेंड़ का काम है. सिंह तो बिल्‍कुल अकेला होने पर भी मग्न रहता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जिंदगी से अंत में हम उतना ही पाते हैं, जितनी उसमें पूंजी लगाते हैं. यह पूंजी लगाना जिंदगी के संकटों का सामना करना है, उसके उस पन्ने को उलटकर पढ़ना है, जिसके सभी अक्षर फूलों से नहीं, कुछ अक्षर अंगारों से भी लिखे गए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दुनिया में जितने भी मजे बिखेरे गए हैं, उनमें तुम्हारा भी हिस्सा है. वह चीज भी तुम्हारी हो सकती है, जिसे तुम अपनी जांच के परे मानकर लौटे जा रहे हो.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कामना का अंचल छोटा मत करो, जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो, रस की निर्झरी तुम्‍हारे बहाए भी बह सकती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×