केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बताया है कि यौन अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए बने बाल संरक्षण अधिनियम(पॉक्सो एक्ट) 2012 के तहत तीन वर्षों में 11 हजार से अधिक आरोपी दोषी सिद्ध हुए हैं. ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए सभी राज्यों में फास्ट ट्रैक कोर्ट भी बनाए गए हैं.
साल 2014 से 2016 तक के आंकड़े
दरअसल, एनसीपी के सांसद डॉ. फौजिया खान ने गुरुवार को राज्यसभा में बाल संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत राज्यों में दोषी मिले अपराधियों की संख्या और इसके लिए बने स्पेशल कोर्ट के बारे में जानकारी मांगी थी. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस सवाल का लिखित जवाब देते हुए वर्ष 2014 से वर्ष 2016 के बीच दोषी ठहराए गए अपराधियों के राज्यवार आंकड़े भी दिए. हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने वर्ष 2014 से वर्ष 2016 तक के ही आंकड़े उपलब्ध कराए हैं.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने लिखित जवाब में कहा कि वर्ष 2014 में 2686, वर्ष 2015 में 4567 और वर्ष 2016 में 3859 आरोपी पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए. इस प्रकार तीन वर्षों में 11,112 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी ठहराया. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा पॉक्सो एक्ट के दोषी मिले. मिसाल के तौर पर मध्य प्रदेश में वर्ष 2014 में 848, 2015 में 944 और 2016 में 792 आरोपी दोषी मिले. उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014 में 410, 2015 में 1241 और 2016 में 1003 लोग दोषी मिले.
1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए बजट
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम से जुड़े मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए 389 विशेष पॉक्सो न्यायालय सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों की स्थापना के लिए 28 राज्यों को 2019-20 में 140 करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 89.89 करोड़ रुपये की राशि का वितरण किया गया. दिसंबर, 2020 तक 331 विशेष पॉक्सो कोर्ट सहित 609 फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रचलित हैं.
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