देश में ई- कॉमर्स साइटों से सामान या ऑनलाइन फूड चेन से पिज्जा की डिलीवरी के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. सरकार ने सोमवार को ड्रोन पॉलिसी जारी की है उसके मुताबिक ड्रोन तकनीक का कॉमर्शियल इस्तेमाल दिसंबर से हो सकेगा.
इस नीति में ड्रोन का वर्गीकरण किया गया है और साथ ही उसे उड़ाने के लिए जरूरी योग्यता को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है. इस नीति के मुताबिक ड्रोन की श्रेणी इस तरह है.
- नैनो - 250 से कम वजन वाले
- माइक्रो - 250 ग्राम 2 किलो वजन वाले
- स्मॉल - 2 से 25 किलो वजन वाले
- मीडियम- 25 से 150 किलो वजन वाले
- लार्ज - 150 किलो से ज्यादा वजन वाले
पहली दो कैटेगरी वाले ड्रोन को छोड़कर सभी कैटेगरी के ड्रोन का रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इनके लिए एक आइडेंटिफिकेशन नंबर (UIN) भी जारी किया जाएगा. पहली दो कैटेगरी को इसलिए इनसे छूट दी गई है कि यह अक्सर बच्चों के खेलने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. ड्रोन लाइसेंस के लिए 18 साल की उम्र, दसवीं तक पढ़ाई और अंग्रेजी की जानकारी जरूरी है.
ड्रोन ऑपरेटरों के लिए भी नियम तय
सरकार ने ऑपरेटरों के लिए नियम बनाए हैं. सिविल ड्रोन उड़ाने के लिए सरकार को डीजीसीए से परमिट लेनी होगी. कुछ अपवाद हैं. हालांकि अपवाद के तहत कुछ श्रेणियों के ड्रोन को इसकी परमिट नहीं लेनी होगी.
- गैर नियंत्रित एयरस्पेस में 50 फीट से नीचने उड़ने वाले नैनो ड्रोन
- गैर नियंत्रित एयरस्पेस/सटे इमारतों में 200 फीट से नीचने उड़ने वाले माइक्रो ड्रोन
- गैर नियंत्रित एयरस्पेस में 200 फीट से नीचे उड़ने वाले ड्रोन लेकिन इसके लिए पुलिस को सूचना देनी होगी
कुछ इलाकों को नो फ्लाइ जोन घोषित किया गया है. इनमें अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास के हवाईअड्डे, विजय चौक, सचिवालय और सैन्य इलाके शामिल हैं.बेसिक ऑपरेटिंग प्रोसिजर सिर्फ दिन में उड़ने वाले ड्रोन पर लागू होगा और वह भी विजुअल लाइन ऑफ साइट ड्रोन के लिए.
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