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पिछले 4 साल में सिर्फ 40% ही ‘निर्भया फंड’ खर्च कर सकी मोदी सरकार

महिला सुरक्षा पर मोदी सरकार के थे बड़े दावे, लेकिन आकड़ों ने खोल दी पोल

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16 दिसंबर निर्भया कांड के बाद सारा देश सकते में आ गया था. महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध को लेकर सारा देश एकसाथ खड़ा था. इस कांड ने केंद्र सरकार तक को खतरे में डाल दिया था. उस वक्त की यूपीए सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए काम कर रही संस्थाओं के लिए एक फंड का ऐलान किया था. इस फंड का नाम है निर्भया फंड. अब खबर है कि केंद्र सरकार ने इस फंड का सिर्फ 42 फीसदी ही खर्च किया है.

2014 में देश में सरकार बदली नरेंद्र मोदी नए प्रधानमंत्री बनें. उनके चुनाव प्रचार के दौरान एक नारा बना ‘बहुत हुआ नारी पर वार अबकी बार मोदी सरकार. ’ सरकार में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार महिला सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा के लिए काफी मुखर रही है.

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सरकारी आंकड़ों से हुआ है खुलासा

आंकड़ों के मुताबिक, निर्भया फंड के लिए सार्वजनिक खाते में ट्रांस्फर रकम 2015 से लेकर वित्त वर्ष 2018-19 तक 3,600 करोड़ रुपये थी, जिसमें से केंद्र सरकार ने दिसंबर 2018 तक सिर्फ 1,513.40 करोड़ रुपये की राशि जारी की है. शुरुआत में 2013-14 में ये रकम 1,000 करोड़ रुपये और 2014-15 में भी इतनी ही रकम इस फंड में जुड़ गई. इसके बाद 2016-17 और 2017-18 में हर साल 550 करोड़ रुपये फंड में जुड़ते चल गए. इसके बाद फंड का आवंटन 2018-19 में 500 करोड़ रुपये था.

निर्भया फंड का पैसा बिना खर्च हुए समाप्त नहीं होने वाला धन है जो वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के पास जमा रहता है और ये रकम देश में महिलाओं की संरक्षा और सुरक्षा बढ़ाने के मकसद से शुरू की गई पहलों के कार्यान्वयन पर खर्च की जाती है.  

सिर्फ दो प्रोजेक्ट के लिए जारी हुआ सौ फीसदी फंड

इनमें से सिर्फ दो परियोजनाओं के लिए सौ फीसदी राशि जारी की गई. गृह मंत्रालय के केंद्रीय पीड़ित मुआवजा निधि निर्माण (सीवीसीएफ) के लिए एक बार की किश्त 200 करोड़ रुपये और निर्भया डैशबोर्ड (नियंत्रण पट्ट) बनाने के लिए डब्ल्यूसीडी की एनआईसीएसआई के लिए 0.24 करोड़ रुपये प्रदान किए गए.

निर्भया फंड में करीब 26 परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई और इन परियोजनाओं को इस फंड से धन मुहैया करवाया जाता है. जिनमें 11 प्रस्ताव गृह मंत्रालय से, आठ महिला और बाल विकास मंत्रालय से, तीन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से, दो रेल मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली की ओर से और एक न्याय विभाग के प्रस्ताव शामिल हैं. 

इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम के लिए 312.62 करोड़ रुपये की राशि में से केंद्र सरकार ने 2015-16 में कुछ राशि जारी नहीं की, लेकिन 2016-17 में 217.97 करोड़ रुपये, 2017-18 में 55.39 करोड़ रुपये और 2018-19 में 19.71 करोड़ रुपये जारी किए गए. गृह मंत्रालय के प्रस्ताव के लिए कुल 293.07 करोड़ रुपये जारी किए गए.

(इनपुट: IANS)

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