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ब्लैक फंगस: एंटी फंगल इंजेक्शन की कमी, जून तक 5 लाख का टारगेट

केंद्र सरकार ने 5 और फॉर्मा कंपनियों को दिया Amphotericin-B के निर्माण का लाइसेंस

Published
भारत
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कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. कोरोना महामारी में दवाओं की कमी के बाद अब इस बीमारी में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की भी भारी किल्लत है. जिसके बाद केंद्र सरकार ने Amphotericin-B एंटी फंगल इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.

कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ते जा रहे हैं और Amphotericin-B एंटी फंगल इंजेक्शन की कमी देखी जा रही है.

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जून तक बढ़ेगी एंटी फंगल इंजेक्शन की संख्या

केंद्र सरकार ने 5 अतिरिक्त फॉर्मा कंपनियों को Amphotericin-B एंटी फंगल इंजेक्शन के उत्पादन करने का लाइसेंस दिया है. इनमें नाटको फॉर्माक्यूटिकल, एलेमबिक फॉर्माक्यूटिकल, ग्यूफिक बायोसाइंस लिमिटेड, एमक्यूर फार्माक्यूटिकल और लाइका गुजरात शामिल हैं.

केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय ने कहा कि जून में Amphotericin-B इंजेक्शन के 3,15,000 वायल आयात किए जाएंगे. वहीं घरेलू आपूर्ति के साथ देश में जून तक एंटी फंगल इंजेक्शन की संख्या बढ़कर 5,70,114 हो जाएगी.

इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर अन्य देशों से भी Amphotericin-B एंटी फंगल इंजेक्शन का आयात कर सकता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अन्य एंटी फंगल दवाएं भी जुटा रही है जिसका इस्तेमाल ब्लैक फंगस के इलाज में किया जा सकता है.

क्या है Amphotericin-B इंजेक्शन?

यह एक एंटी फंगल ड्रग है जिसका इस्तेमाल ब्लैक फंगस/म्यूकोरिस बीमारी में किया जाता है. अभी तक भारत में इस दवा का निर्माण भारत सीरम एंड वैक्सीन लिमिटेड, बीडीआर फॉर्मा, सन फॉर्मा, सिप्ला लिमिटेड और लाइफ केयर इनोवेशन करता है.

राज्यों में एंटी फंगल इंजेक्शन की कमी

देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं और कुछ राज्यों ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया है. इस बीच बीमारी के इलाज के लिए एंटी फंगल इंजेक्शन की मांग अचानक बढ़ गई है.

कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डॉ अश्वथनारायणन ने कहा कि ब्लैक फंगस के केसों की संख्या के आधार पर हम Amphotericin-B ड्रग को जुटाने को कोशिश कर रहे हैं. राज्य की मांग के आधार पर केंद्र सरकार ने दवा को आवंटन कर दिया है.

वहीं महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने बताया कि पुणे में फिलहाल ब्लैक फंगस के 300 मामले हैं लेकिन इसके इलाज के लिए इंजेक्शन की कमी है. अगर यहां 300 मरीज हैं तो हर दिन 1800 इंजेक्शन की जरूरत है और इतनी संख्या में इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं.

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