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FB,ट्विटर,OTT को 24 घंटे में हटाना होगा ‘बैड’ कंटेंट,पूरी गाइडलाइन

ओटीटी और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए 3 लेयर मैकेनिज्म की व्यवस्था

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केंद्र सरकार ने Facebook, Twitter जैसे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के लिए नई गाइडलाइंस जारी की गई है. अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म को यूजर्स की शिकायतों की सुनवाई के लिए ग्रीवांस रीड्रेसेल मैकेनिज्म (शिकायत निपटारे के लिए सिस्टम) बनाना होगा. वहीं ओटीटी प्लेटफार्म को सेल्फ रेगुलेशन करना होगा. अब ओटीटी और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए तीन लेयर व्यवस्था बनाई गई है.

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क्या है सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइन?

केंद्रीय कानून मंत्री ने सोशल मीडिया के नियमों को लेकर बताया कि,

  • आपको एक शिकायत अधिकारी रखना होगा. जो 24 घंटे के अंदर शिकायत को सुनेगा और 14 दिन के अंदर उसका समाधान करेगा. ये बिल्कुल साफ है.
  • अगर न्यूडिटी और महिलाओं के प्राइवेट पार्ट दिखाए गए हैं तो आपको शिकायत के 24 घंटे के अंदर उसे हटाना होगा. महिलाओं के सम्मान के लिए ये किया गया है.
  • सोशल मीडिया कंपनी को एक मुख्य शिकायत अधिकारी रखना होगा, जो भारत में रहता हो. एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन भी रखना होगा.
  • आपको हर महीने शिकायतों की एक रिपोर्ट भी जारी करनी होगी, जिसमें बताना होगा कि आपके पास क्या शिकायतें आईं और उन पर क्या कार्रवाई की गई.
  • अगर कोई गैरकानूनी जानकारी आपके प्लेटफॉर्म पर है तो आपको उसे तुरंत हटाना होगा.
  • अगर कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म किसी का ट्वीट या पोस्ट हटाता है तो आपको पहले उसे कारण की जानकारी देनी होगी और उसकी सुनवाई करनी होगी.
केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि, जब कोई खुराफात होती है तो इस बात को लेकर बहस होती है कि किसने इसे शुरू किया या पोस्ट किया. तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बताना होगा कि सबसे पहले कंटेंट कहां से आया. अगर भारत के बाहर से हुआ तो भारत में किसने इसे शुरू किया, ये बताना होगा. ये उस अपराध के तहत आएगा, जिसमें 5 साल से ज्यादा की सजा है.

ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल मीडिया

केंद्रीय आईटी मंत्री प्रकाश जावडेकर ने न्यूज पोर्टल्स को लेकर कहा कि ये अच्छी बात है. ऐसे ही ओटीटी प्लेटफॉर्म भी बन गए. जो लोग प्रेस से आते हैं उन्हें प्रेस काउंसिल का कोड फॉलो करना होता है, लेकिन डिजिटल मीडिया के लिए ऐसा कोई बंधन नहीं है. टीवी के लोगों को केबल नेटवर्क एक्ट फॉलो करना होता है. ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है. इसीलिए सरकार ने ये समझा कि सभी के साथ बराबर सिस्टम होना चाहिए. इसीलिए डिजिटल हो, प्रिटिंग हो, टीवी हो या ओटीटी हो, उनके लिए कुछ नियमों का पालन करना होगा.

इसके लिए लोगों की मांग भी बहुत ज्यादा थी. रोजाना सैकड़ों पत्र मंत्रालय में आते हैं. दोनों सदनों में मिलकर 50 सवाल ओटीटी पर पूछे गए. देशभर में इस विषय की काफी चर्चा है. हमने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के साथ दिल्ली, चेन्नई और मुंबई में बुलाकर चर्चा की. मैंने खुद दिल्ली में दो मीटिंग बुलाई. मैंने पहली मीटिंग में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को कहा कि आप सेल्फ रेगुलेशन बनाइए, जैसा टीवी ने बनाया है. लेकिन नहीं हुआ. फिर मैंने एक बार मीटिंग बुलाई और कहा कि 100 दिन में बनाइए.

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OTTऔर डिजिटल मीडिया के लिए 3 लेयर मैकेनिज्म

इसीलिए अब हमने तय किया है कि सभी मीडिया के लिए एक इंस्टीट्यूशनल मैकेनिज्म होना चाहिए. क्योंकि मीडिया की आजादी लोकतंत्र की आत्मा है. लेकिन हर आजादी एक जिम्मेदार आजादी होनी चाहिए. इसके लिए हमने 3 लेयर मैकेनिज्म तैयार किया है.

  • पहले नियम के मुताबिक ओटीटी और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपनी पूरी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी. वो कैसे पब्लिश करते हैं, किसके लिए करते हैं, इसकी पहुंच कितने लोगों तक है... ये सब कुछ बताना होगा. रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है.
  • ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल मीडिया के लिए एक सेल्फ रेगुलेशन फोरम बनाया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे. जहां शिकायतों की सुनवाई और फैसला होगा.
  • साथ ही अगर कुछ बहुत बड़ा केस होता है तो सरकार के पास ओवरसाइड मैकेनिज्म होगा, जिसमें सरकार इसे लेकर फैसला ले सकती है.
  • इसके अलावा ओटीटी के लिए सेंसर बोर्ड की तरह, सेल्फ क्लासिफिकेशन के लिए एक नियम हो. जिसमें 13 साल, 16 साल की एक कैटेगरी बनाई जाए. जिसमें पेरेंटल लॉक की सुविधा हो और ये सुनिश्चित किया जाए कि बच्चे इसे नहीं देख पाएं.

जावडेकर ने कहा कि, डिजिटल मीडिया पोर्ट्ल्स को अफवाह फैलाने का, झूठ फैलाने का अधिकार नहीं है. जैसा कि मैंने कहा कि मीडिया की आजादी जरूरी है, लेकिन इसके लिए जिम्मेदारी जरूरी है. ओटीटी और डिजिटल मीडिया को सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय देखेगा और बाकी सोशल मीडिया को आईटी मिनिस्ट्री ही देखती रहेगी.

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सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल रोकना जरूरी- कानून मंत्री

केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बताया कि, सोशल मीडिया का भारत में बिजनेस करने के लिए हम स्वागत करते हैं. उनके पास अच्छे यूजर्स हैं, हम इसकी तारीफ करते हैं. व्यापार करें, पैसे कमाएं और लोगों को मजबूत करें. सरकार आलोचना को भी स्वीकार करती है, सोशल मीडिया का इस्तेमाल इसके लिए भी होता है. लेकिन ये जरूरी है कि सोशल मीडिया का मिसयूज रोका जाए.

हमारे सामने शिकायत आती थी कि एक महिला की मॉर्फ्ड फोटो दिखाई जा रही है. ऐसे-ऐसे कमेंट आते हैं, जिन्हें समाजिक नहीं कहा जा सकता है. हमारे पास ऐसी शिकायतें काफी ज्यादा आई थी. हमें ये भी शिकायत आई थी कि सोशल मीडिया पर क्रिमिनल और आतंकी भी कार्रवाई कर रहे हैं.

केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि, भारत में 53 करोड़ वॉट्सऐप यूजर्स हैं. यूट्यूब यूजर 44.8 करोड़ हैं, फेसबुक यूजर 41 करोड़ हैं, इंस्टाग्राम यूजर 21 करोड़ हैं और 1.75 करोड़ ट्विटर यूजर्स हैं. ये काफी अच्छे नंबर हैं. भारतीय यूजर इन प्लेटफॉर्मस का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन कई सालों से सोशल मीडिया पर गाली गलौच को लेकर शिकायतें आ रही हैं. ये बात कोर्ट और संसद के सामने भी आई है. जिन पर रेगुलेशन जरूरी है.

सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद में उठाए गए सवाल

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, फेक न्यूज का तो ये हाल है कि आजकल टीवी चैनल भी एक फैक्ट चेक मशीन रखते हैं. ये बताता है कि किस तरह फेक न्यूज का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. बाकी भी चीजें सोशल मीडिया पर चल रही हैं. प्रसाद ने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर 2019 को मेरी मिनिस्ट्री को कहा कि कृपया एक नई गाइडलाइन जल्द से जल्द बनाएं. इसके लिए कोर्ट में हमने एफिडेविट भी दायर किया गया. राज्यसभा में भी फेक न्यूज पर सभी सदस्यों ने कहा था कि गाइडलाइन बननी चाहिए. जहां मैंने उन्हें भरोसा दिलाया था कि हम अपनी गाइडलाइन में सुधार करेंगे.”

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