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हिंदी पर साउथ में बवाल के बाद सरकार ने बदला शिक्षा नीति का ड्राफ्ट

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2019 ड्राफ्ट को लेकर कई राज्यों में विरोध की आवाजें उठ रही थीं

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भारत
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गैर-हिंदी भाषी राज्यों में भी हिंदी पढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर बवाल के बाद केंद्र सरकार ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2019 ड्राफ्ट में बदलाव कर दिया है. नए ड्राफ्ट के तहत स्टूडेंट के पास अपनी पसंद के हिसाब से भाषा बदलने का विकल्प होगा.

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संशोधित ड्राफ्ट में कहा गया है कि जो स्टूडेंट पढ़ाई जाने वाली 3 भाषाओं में से एक या ज्यादा भाषा बदलना चाहते हैं, वे ग्रेड 6 या ग्रेड 7 में ऐसा कर सकते हैं, अगर वे सेकेंडरी स्कूल के दौरान मॉड्यूलर बोर्ड परीक्षा में तीन भाषाओं (एक भाषा साहित्य के स्तर पर) में दक्षता प्रदर्शित कर पाने के योग्य हों. जिस पैराग्राफ में इस बात का जिक्र है उसमें हिंदी को लेकर कुछ नहीं लिखा गया है.
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बता दें कि मूल ड्राफ्ट में 3 भाषाओं का जो फॉर्मूला सुझाया गया था, उसके तहत गैर-हिंदी भाषी राज्यों में मातृ भाषा के अलावा हिंदी और अंग्रेजी को पढ़ाए जाने की बात कही गई थी. इस ड्राफ्ट के मुताबिक, हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी के अलावा अंग्रेजी और भारत की किसी और भाषा को पढ़ाए जाने का सुझाव था.

इस प्रस्ताव के खिलाफ देश के कई राज्यों (खासकर दक्षिण भारत के राज्यों) में प्रदर्शन होने लगे थे. तमिलनाडु में दोनों मुख्य द्रविड़ पार्टियों- AIADMK और DMK ने इस ड्राफ्ट का विरोध किया था. केंद्र ने भले ही अब ड्राफ्ट को संशोधित कर दिया हो, लेकिन AIADMK और DMK थ्री-लैग्वेंज पॉलिसी के पक्ष में नहीं हैं.

इस मामले पर DMK ने बयान जारी कर कहा है, ‘’तमिलों के धैर्य का परीक्षण मत करो. DMK किसी भी वक्त उस नीति का विरोध करती है, जिससे तमिलनाडु में द्विभाषी तंत्र प्रभावित होता हो. हम केंद्र की बीजेपी सरकार से अनुरोध करते हैं कि वो तमिल लोगों की भावनाओं से ना खेले.’’

इससे पहले तमिलनाडु सरकार में मंत्री केटी राजेंद्र बालाजी ने कहा था AIADMK टू-लैंग्वेज पॉलिसी में भरोसा करती है और पार्टी थ्री-लैग्वेंज पॉलिसी का विरोध करेगी.

हालांकि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को साफ किया था कि यह सिर्फ ड्राफ्ट है और इसे लागू करने पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. पिछली मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे जावड़ेकर ने ही उस समिति को गठित किया था, जिसने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के ड्राफ्ट में गैर-हिंदी भाषी राज्यों में भी हिंदी पढ़ाने का सुझाव दिया गया था.

जावड़ेकर ने कहा था, "समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. ड्राफ्ट तैयार किया जा चुका है लेकिन सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. ड्राफ्ट पर प्रतिक्रिया मिलने के बाद ही हम कोई फैसला लेंगे."

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