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OBC आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला, 24 साल से पड़ा हुआ मुद्दा खत्म

अब सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और बैंक समेत वित्तीय संस्थाओं में कुछ पदों को इसमें शामिल किया गया है

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भारत
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सरकार ने 24 साल से चली आ रही अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कोटे में आरक्षण की विसंगति को खत्म कर दिया है. बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने क्रीमीलेयर के दायरे को बढ़ाने का फैसला लिया. अब सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और बैंक समेत वित्तीय संस्थाओं में कुछ पदों को इसमें शामिल करने का फैसला किया गया है.

इससे PSU और दूसरी संस्थाओं में निम्न श्रेणियों में काम कर रहे लोगों के बच्चों को सरकार में निम्न श्रेणियों में काम कर रहे लोगों के बच्चों के समान ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने ये फैसला लिया है. यानी अब सरकारी पदों के साथ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र (PSU) के उपक्रमों, बैंकों में पदों की समतुल्यता और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण लाभों का दावा करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है.

इस फैसले के बाद ऐसे संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर काम कर रहे लोगों के बच्चों को इस लाभ से रोक लग सकेगी, जिन्हें ओबीसी के लिए आरक्षित सरकारी पदों पर आय मापदंडों की गलत व्याख्या के चलते और पदों की समतुल्यता के अभाव में गैर-क्रीमीलेयर मान लिया जाता था और वास्तविक गैर-क्रीमीलेयर उम्मीदवार इस आरक्षण सुविधा से वंचित रह जाते थे.

यानी उन अधिकारियों के बच्चों को आरक्षण की सुविधा मिलेगी जिन्हें इसकी जरूरत होती है.

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सीमा 6 लाख से बढ़कर हुई 8 लाख

केंद्रीय कैबिनेट ने देशभर में क्रीमीलेयर को ओबीसी आरक्षण की परिधि से बाहर करने के लिए 6 लाख रुपये की सालाना आय को बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने की भी मंजूरी दे दी है.

बता दें कि सरकार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए संसद में पहली ही एक बिल पेश कर चुकी है. सरकार ने, संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत ओबीसी की उप-श्रेणियों को बनाने के लिए एक आयेाग की स्थापना की है जिससे ओबीसी समुदायों के बीच और अधिक पिछड़े लोगों की शिक्षण संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लाभों तक पहुंच बन सके.

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