गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) काउंसिल ने श्रीनगर में हो रही दो दिन की मीटिंग में 1,150 प्रोडक्ट के टैक्स रेट तय कर दिए हैं. कुल मिलाकर, 1,211 प्रोडक्ट पर ये रेट तय होने हैं.
इस पहली के बैठक के बाद एक्सपर्ट्स ने भी अपनी राय देना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि रोजाना इस्तेमाल में आने वाले प्रोडक्ट सस्ते होंगे और कैपिटल गुड्स पर काफी कम असर पड़ेगा.
आइए, आपको बताते हैं किन प्रोडक्ट पर कितना असर पड़ा और आपको कितना टैक्स भरना पड़ेगा.
कंज्यूमर गुड्स
GST आने से फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स, जैसे हेयर ऑयल, टूथपेस्ट और साबुन, इन पर 18 फीसदी टैक्स लगेगा, जो अभी करीब 26 प्रतिशत टैक्स देना होता है. FMCG मेजर डाबर इंडिया लिमिटेड के सईओ सुनील दुग्गल का कहना है कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं.
इसका स्वागत हुआ है, क्योंकि टैक्स की दर 23 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत हो गई है.सुनील दुग्गल, सीईओ, डाबर इंडिया
मैरिको लिमिटेड के सीएफओ विवेक कार्वे का भी कुछ वही कहना है, जो सुनील दुग्गल सोचते हैं.
अगर ग्राहकों पर अलग से टैक्स का बोझ नहीं डाला जाएगा और अगर मैक्रो इकोनॉमिक की कंडीशन काम करती है, तो हम ग्राहकों के बीच एक अच्छी डिमांड देखेंगे.विवेक कार्वे, सीएफओ, मैरिको लिमिटेड
वहीं पतंजलि आयुर्वेद के प्रवक्ता एसके तिजारवाला का कहना है कि इससे ग्राहकों को तो फायदा मिलेगा ही, साथ ही मैन्युफैक्चरर्स के लिए भी अच्छा रहेगा, क्योंकि उन्हें कच्चा माल सस्ता मिलेगा.
कमोडिटीज
जीएसटी काउंसिल इस बात के लिए राजी हो गई है कि कमोडिटीज, जैसे चीनी, कॉफी, खाने वाला तेल और ऐसी चीजों को 5 प्रतिशत के टैक्स ब्रैकेट में रखा जाएगा.
जो टैक्स की समीझा अभी की जा रही है, उसमें चीनी पर लगभग वही टैक्स रहेगा, जो पहले था. श्री रेनुका शुगर्स के वाइस चैयरमैन और एमडी नरेंद्र मुरकुंबी का कहना है कि ये सब काफी सकारात्मक है.
ये एक अच्छा कदम है, क्योंकि चीनी एक जरूरी वस्तु है. अभी का टैक्स लेवल लगभग समान ही है. हम ऐसी ही उम्मीद कर रहे थे और अच्छा है कि ऐसा हुआ.नरेंद्र मुरकुंबी, मैनेजिंग डायरेक्टर, श्री रेनुका शुगर्स
कोयले पर पहले 8 से 11 प्रतिशत के बीच टैक्स था, जो कि अब 5 प्रतिशत कर दिया गया. ये पावर सेक्टर के लिए सकारात्मक बात है. JSW स्टील लिमिटेड के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर और ग्रुप सीएफओ शेषगिरि राव का कहना है कि जितना GST कम होगा, उतना ग्राहकों के लिए पावर टैरिफ भी कम होगा.
कोयले को 5 प्रतिशत की दर में लाने से भी कई तरह के फायदे हैं.
हो सकता है कि कोल इंडिया को इसका फायदा न होगा, लेकिन टाटा पावर और एनटीपीसी जैसी कंपनियों को इससे जरूर लाभ होगा.तरंग भानुशाली, असिस्टेंट वीपी, IIFL प्राइवेट वेल्थ
जिंदल स्टील और पावर लिमिटेड के ग्रुप सीएफओ और सीईओ राजेश भाटिया का कहना है कि सेस बहुत ज्यादा (400रु प्रति टन) है, इसके बारे में भी उनको कुछ करना होगा.
दूध और दालों को टैक्सेशन से बाहर रखा गया है. हालांकि ये साफ नहीं है कि ब्रांडेड और पैक्ड दालों पर टैक्स क्या होगा.
कैपिटल गुड्स
कैपिटल गुड्स और इंडस्ट्रियल इंटरमीडिएट को 18 प्रतिशत के ब्रैकेट में रखा गया है. IIFL इंस्टीट्यूशनल इक्विटी की रेणु बैद का कहना कै कि इस रेट से न्यूट्रल फर्क पड़ा है.
थरमैक्स लिमिटेड के एमडी एमएस उन्नीकृष्णन का कहना है कि हमारे जैसी कंपनियों को इसका कुछ खास फायदा नहीं मिलेगा, जो 14.5 प्रतिशत का इंटर स्टेट टैक्स देती हैं और ये बोझ या तो कंपनी पर या ग्राहकों पर जा सकता है.
IIFL के भानुशाली कहते हैं कि इस सेक्टर पर कोई खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि ज्यादातर फायदा ग्राहकों को होगा.
(स्रोत: BloombergQuint)
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