सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में गुजरात दंगों के दौरान गैंग रेप की शिकार बिलकिस बानो को 2 हफ्ते के अंदर मुआवजे के तौर पर 50 लाख रुपये, नौकरी और घर देने का निर्देश दिया है. हालांकि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को मुआवजा देने का निर्देश दिया था. लेकिन अब कोर्ट ने गुजरात सरकार को इसे लेकर अल्टीमेटम दे दिया है और दो हफ्तों में बिलकिस बानों को मुआवजा देने को कहा है.
क्या है पूरा मामला?
2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगा फैल गया था. दंगों के दौरान अहमदाबाद के रंधिकपुर में 17 लोगों ने बिलकिस के परिवार पर हमला किया और 7 लोगों की हत्या कर दी थी. इसी दौरान कुछ लोगों ने बिलकिस के साथ गैंग रेप किया था. जब बिलकिस के साथ हैवानियत हुई उस वक्त वह 5 महीने की गर्भवती थीं. यही नहीं उनकी दो साल की बच्ची को पीट-पीट कर मार डाला गया था. उस वक्त बिलकिस बानो की उम्र सिर्फ 19 साल थी.
पहले भी दिए थे मुआवजे के निर्देश
इसी साल 23 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने गुजरात सरकार को 50 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया था. इस दौरान गुजरात सरकार ने कोर्ट को बताया था कि ‘इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है. बॉम्बे हाई कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए गए अधिकारियों के पेंशन लाभ रोक दिए गए हैं.’
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सबूत मिटाने के लिए एक आईपीएस अफसर को दो पद डिमोट करने की राज्य सरकार की सिफारिश को मान लिया था.
इससे पहले गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो को मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये देने का प्रस्ताव दिया था, जिसे बिलकिस बानो ने ठुकरा दिया था.
स्पेशल कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को बिलकिस बानो का रेप करने और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या करने वाले 11 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. मामले में पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों समेत सात लोगों को छोड़ दिया गया था.
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