गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव में दलित व्यक्ति के अपनी शादी में घोड़ी पर बैठने का खामियाजा पूरे समुदाय को भुगतना पड़ा है. पूरे गांव ने अनुसूचित जाति(एससी) समुदाय के लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है. मामले की जानकारी जब शासन-प्रशासन को मिली तो वो भी सकते में आ गए. डिप्टी सीएम नितिन पटेल खुद कड़ी तालुके के लोर गांव पहुंच गए, जहां की ये घटना है. डिप्टी सीएम दोनों समुदाय में सुलह कराने की कोशिश में भी लगे रहे. अभी दो चरणों के चुनाव बाकी हैं, ये मुद्दा महंगा भी पड़ सकता है, सरकार को इस बात का अहसास है.
पूरा मामला क्या है?
पुलिस के मुताबिक, 7 मई को मेहुल परमार नाम के एक शख्स की बारात गांव से गुजर रही थी. क्योंकि परमार एक दलित हैं इसलिए गांव के कुछ नेताओं ने इस पर आपत्ति की और समुदाय के लोगों को अपनी हद पार नहीं करने की चेतावनी दी. अगड़ी जाति के लोग दूल्हे के घोड़ी चढ़ने के कदम से कथित रूप से नाखुश थे.
गांव के सरपंच विनूजी ठाकोर ने गांव के दूसरे नेताओं के साथ फरमान जारी कर गांववालों को दलित समुदाय के लोगों का बहिष्कार करने को कहा. अगले ही दिन गांव के कुछ प्रमुख ग्रामीणों ने दलितों के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की. इसके अलावा समुदाय के लोगों से बात करने या उनके साथ किसी तरह का मेलजोल रखने वालों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाये जाने की भी घोषणा की गयी थी.
अब इस मामले में गांव के सरपंच विनूजी ठाकोर को गिरफ्तार कर लिया गया है. साथ ही चार दूसरे लोगों के खिलाफ भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गये हैं.
रोहित परमार कहते हैं कि जब मैं घोड़ी चढ़ा तो कुछ ग्रामीणों ने मुझे इस तरह से बारात नहीं निकालने को कहा था. आज सुबह जब हमें सामाजिक बहिष्कार का पता चला तो हमने पुलिस की मदद मांगी. सुबह चाय बनाने के लिये किसी ने हमें दूध तक नहीं दिया.
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