गुजरात हाईकोर्ट ने 15 अप्रैल को कहा कि 'अगर गुजरात सरकार ने पहले से सही कदम उठाए होते तो कोरोना वायरस की आज जो स्थिति बनी है उससे बचा जा सकता था.' इसके अलावा कोर्ट ने कोरोना के सरकारी आंकड़ों पर भी सवाल खड़ा किया है.
गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा- अगर राज्य ने जनहित याचिका दायर होने के पहले सही कदम उठाए होते. तो आज हालात बेहतर होते.
हालांकि एडवोकेट जनरल ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना को लेकर पर्याप्त तैयारियां की हुई थीं.
चीफ जस्टिस ने कहा कि-
'आपके पास पूरा सरकारी तंत्र और संसाधन हैं, ताकि आप चीजों को सही तरीके से देख सकें. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. हमारे सुझावों को गंभीरता से लागू नहीं किया गया. लोग इसे बहुत हल्के में ले रहे हैं.'विक्रम नाथ, चीफ जस्टिस, गुजरात हाईकोर्ट
हाईकोर्ट के जज चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस भार्गव कारिया की बेंच कोर्ट के कोरोना की स्थितियों पर स्वतः संज्ञान सुनवाई की. चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार ने जो कोरोना पॉजिटिव पाए गए लोगों के आंकड़े दिए हैं और असल में जो आंकड़े हैं उनमें फर्क दिखाई देता है.
राज्य ने जो कोरोना पॉजिटिव लोगों का डेटा दिया है वो असल आंकड़ों से जुदा हैंविक्रम नाथ, चीफ जस्टिस, गुजरात हाईकोर्ट
चीफ जस्टिस ने यहां तक कहा कि 'हाईकोर्ट की एकेडमी और ऑडिटोरियम हॉल का इस्तेमाल वकीलों और कोर्ट के स्टाफ को आइसोलेट करने में किया जा सकता है.' साथ ही चीफ जस्टिस ने बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट व्यवस्था बनाने के लिए कहा है.
रेमडेसिविर पर कोर्ट का सवाल
कोर्ट ने सरकारी वकील से पूछा कि रेमडेसिविर दवाई पर मौजूदा स्थिति को साफ करें. कोर्ट ने कहा कि- 'इसके इस्तेमाल के बारे में सही जानकारी नहीं थी. इस दवाई की कालाबाजारी हुई और करीब चार गुने दाम में इसे बेचा गया.'
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