कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) सुप्रीम कोर्ट में गुजरात दंगे (Gujarat Riots) से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान भावुक हो गए. सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि वो भी खुद भी सांप्रदायिक हिंसा के शिकार रहे हैं और उन्होंने पाकिस्तान में इस तरह की हिंसा में अपनों को खोया है.'
''मैंने भी सांप्रदायिक हिंसा में अपने खोये''
सिब्बल ने सांप्रदायिक हिंसा की तुलना ज्वालामुखी के लावा से करते हुए कहा, ''सांप्रदायिक हिंसा ज्वालमुखी के लावा की तरह होती है. जब भी लावा जमीन को छूता है, यह एक निशान छोड़ जाता है और भविष्य में बदला लेने के लिए उपजाऊ जमीन तैयार करता है. मैंने खुद अपने नानी घर के लोगों को पाकिस्तान में इसी वजह से खोया है.''
सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि वह हिंसा का किसी पर आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन दुनिया को यह संदेश जाना जरूरी है कि धर्म के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
मोदी को क्लीनचिट को जाकिया जाफरी ने दी है चुनौती
गुजरात दंगे में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को क्लीनचिट दिए जाने के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. मामले की सुनवाई जस्टिस एम खानविलकर और दिनेश महेश्वर की बेंच कर रही है, जाकिया पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं. एहसान जाफरी की हत्या 2002 में गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्गा सोसाइटी में कर दी गई थी.
सिब्बल ने सुनवाई के दौरान एसआईटी की जांच को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि एसआईटी ने मामले की ठीक से जांच नहीं कि और आधिकारिक रिकॉर्ड्स से यह बात साफ हो जाएगी.
मैं SIT के आधिकारिक रिकॉर्ड्स की बात कर रहा हूं...सवाल है कि एसआईटी ने सबूत मिलने पर क्या कानूनों और प्रकियाओं का पालन करते हुए काम किया?... उन्होंने इसे महत्व नहीं दिया और इसकी जांच नहीं की.कपिल सिब्बल
सिब्बल ने कहा कि 2009 में एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने खुद कबूल किया था कि जाकिया जाफरी की शिकायत की जांच करने में उसे दिक्कत आ रही है, क्योंकि कोई सहयोग नहीं कर रहा था.उन्होंने कहा कि एसआईटी ने किसी को फोन सीज किया, ना किसी का कॉल रिकॉर्ड देखा
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