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20 साल झेला SIMI सदस्य होने का झूठा आरोप, 122 लोग अदालत से बरी

सूरत के कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को UAPA के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

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गुजरात में सूरत के एक कोर्ट ने UAPA के तहत 20 साल पुराने मामले में आरोपी बनाए गए 127 लोगों को बरी कर दिया है. इन लोगों पर दिसंबर, 2001 में प्रतिबंधित संगठन "स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI)" की एक बैठक में हिस्सा लेने का आरोप था.

इन 127 आरोपियों में से सात की सुनवाई के दौरान मौत हो गई. पांच को छोड़कर बाकी सभी जमानत पर बाहर हैं. यह पांच आरोपी अलग मामलों में फिलहाल जेल में बंद हैं.

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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एएन दवे ने SIMI के सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किए गए 122 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है.

अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष "विश्वसनीय और संतोषजनक" सबूत पेश करने में नाकाम रहा है और यह साबित नहीं कर पाया कि आरोपी SIMI के सदस्य थे और प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इकट्ठा हुए थे.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने माना कि आरोपी एक एजुकेशनल प्रोग्राम के लिए इकट्ठा हुए थे और उनके पास कोई हथियार नहीं थे. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को UAPA के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

127 आरोपियों में से 7 की ट्रायल के दौरान मौत

सूरत पुलिस ने 28 दिसंबर 2001 को 123 लोगों को SIMI के सदस्य होने और शहर के नवसारी बाजार में संगठन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इकट्ठे होने के आरोप में UAPA की कई धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था. बाद में चार और लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

पुलिस ने दावा किया था कि मौके से SIMI में शामिल होने के लिए फॉर्म, ओसामा बिन लादेन की तारीफ में किताबें और बैनर जैसे चीजें बरामद की गई थीं.

SIMI को सरकार ने उसी साल सितंबर में बैन कर दिया था.

अपने बचाव में लोगों ने कहा था कि वो SIMI से ताल्लुक नहीं रखते और सभी "ऑल इंडिया माइनॉरिटी एजुकेशन बोर्ड" द्वारा आयोजित एक सेमिनार में हिस्सा लेने आए थे. यह लोग गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से आए थे.

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