2002 नरोदा गाम दंगा मामले की सुनवाई कर रहे एक विशेष एसआईटी जज का ट्रांसफर कर दिया गया है. गुजरात हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद सिविल कोर्ट के जज एमके दवे को वलसाड के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज के तौर पर ट्रांसफर कर दिया गया. नरोदा गाम दंगा मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी एक आरोपी हैं.
बचाव पक्ष की दलीलें हो चुकी हैं पूरी
गुजरात हाई कोर्ट के शुक्रवार को जारी एक नोटिफिकेशन के अनुसार अहमदाबाद के सिविल अदालत के प्रधान न्यायाधीश एमके दवे को वलसाड जिले के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज के तौर पर ट्रांसफर कर दिया गया.
न्यायाधीश दवे की जगह एसके बक्शी लेंगे जो यहां ट्रांसफर किये जाने से पहले भावनगर के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज थे.
एमके दवे नरोदा गाम दंगा मामले में अंतिम दलीलें सुन रहे थे. कोडनानी के वकील ने पिछले सप्ताह मामले में अपनी दलीलें शुरू की थीं.
18 प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज का हो चुका है ट्रांसफर
न्यायाधीश दवे के ट्रांसफर के बाद इसकी आशंका है कि नये न्यायाधीश को अंतिम दलीलें नये सिरे से सुननी पड़ें. अदालत ने मामले में सबूत दर्ज करने की प्रक्रिया फरवरी 2018 में शुरू की थी.
इससे पहले मामले की सुनवाई करने वाले जजों में शामिल रहे पूर्व प्रधान सत्र न्यायाधीश पीबी देसाई दिसम्बर 2017 में रिटायर हो गए थे.
दवे उन 18 प्रधान जिला न्यायाधीशों में से एक हैं जिनका ट्रांसफर गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने किया है. मुख्य न्यायाधीश ने 17 डिविजन के सत्र न्यायाधीश भी नियुक्त किये हैं.
नरोदा गाम नरसंहार 2002 में हुए गुजरात दंगों के उन नौ प्रमुख मामलों में से एक है जिनकी जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने की थी.
2002 के दंगों के दौरान अहमदाबाद के नरोदा गाम क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के 11 सदस्य मारे गए थे. मामले में कुल 82 लोग सुनवाई का सामना कर रहे हैं .
कोडनानी इस मामले की आरोपियों में शामिल हैं. वह पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं.
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