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"बाल उखाड़े, एसिड डाला, रॉड से मारा": गुरुग्राम में नाबालिग हाउस हेल्प को किया टॉर्चर

द क्विंट ने नाबालिग के माता-पिता से गुरुग्राम के एक सरकारी अस्पताल में मुलाकात की, जहां उनकी बेटी का इलाज चल रहा है.

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(चेतावनी: खबर में यौन और शारीरिक हिंसा के बारे में काफी जानकारी है, पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें)

"जब मैं उससे मिली तो मेरी बेटी पहचान में नहीं आ रही थी और उसकी हालत बहुत खराब थी. मेरा दिल जोर से धड़कने लगा. उन्होंने उसे प्रताड़ित क्यों किया? क्या यह अन्याय हमारे साथ इसलिए हो रहा है क्योंकि हम गरीब हैं?"

यह बात एक नाबालिग हाउस हेल्प की मां ने कहा, जिनकी बेटी को गुरुग्राम में काम देने वाली फैमली के मेंबर्स ने पांच महीने से अधिक समय तक कथित तौर पर पीटा, प्रताड़ित किया, नग्न किया गया और फिर मोबाइल में उसे रिकॉर्ड किया.

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नाबालिग हॉउस हेल्प सेक्टर 57 में एक 55 वर्षीय महिला और उसके दो बेटों के आवास पर काम करती थी. उसे 8 दिसंबर को रेस्क्यू किया गया.

गुरुग्राम पुलिस ने 9 दिसंबर को पॉक्सो एक्ट की धारा 10, किशोर न्याय (JJ) अधिनियम की धारा 75 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की है.

जहां माता-पिता ने दावा किया कि नाबालिग लड़की 13 साल की थी, वहीं प्रारंभिक चिकित्सा रिपोर्ट से पता चला कि पीड़िता 17 साल की थी. डीसीपी (यातायात) वीरेंद्र विज ने 12 नवंबर को एक बयान में ये जानकारी दी थी, जो स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रभारी भी हैं.

पांच दिन बाद भी मामले के संबंध में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. द क्विंट ने 11 दिसंबर को नाबालिग के माता-पिता से गुरुग्राम के एक सरकारी अस्पताल में मुलाकात की, जहां उनकी बेटी का इलाज चल रहा है.

'मुझ पर एसिड डाला, गलत तरीके से छुआ': नाबालिग ने परिजनों को बताया

लगभग डेढ़ साल पहले, नाबालिग के माता-पिता अपने पांच बच्चों के साथ आजीविका की तलाश में बिहार के सीतामढी जिले से गुरुग्राम आए थे. तब से, लड़की शहर में अपनी मां की काम में मदद कर रही थी. हालांकि, परिस्थितियों ने माता-पिता को नाबालिग के लिए नौकरी खोजने के लिए मजबूर किया.

"हम बेहद गरीब हैं. मेरे पति माली हैं और ज्यादा नहीं कमाते, और मेरी इनकम आठ लोगों के परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं थी. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था."
नाबालिग की मां ने द क्विंट को बताया

जुलाई 2023 में, माता-पिता ने एक परिचित से नाबालिग को हॉउस हेल्प के रूप में नौकरी खोजने के लिए कहा. यहीं पर उनकी मुलाकात 55 वर्षीय महिला से हुई.

नाबालिग के पिता ने द क्विंट को बताया, "जब हमने अपनी बेटी को भेजा, तो उसने (आरोपी) आश्वासन दिया कि वह हमारी बेटी की देखभाल अपनी बेटी की तरह करेगी. वह हमें 9,000 रुपये प्रति माह देने पर सहमत हुई. हम खुश थे, और हमारा बच्चा भी खुश था."

माता-पिता ने दावा किया कि पहले दो महीनों तक तो सब ठीक था. लेकिन चीजें तब खराब हो गईं जब काम पर रखने वाले आरोपियों ने कथित तौर पर नाबालिग को पीटना शुरू कर दिया.

पिता ने दावा किया कि, "मेरी बेटी ने मुझे बताया कि वे (आरोपी) उसके मुंह पर पट्टी बांध देते थे और उसे रोजाना रॉड और हथौड़े से मारते थे. उन्होंने उसे चाकू से भी काटा. एक दिन, उसने कहा, महिला (आरोपी) ने उसे निर्वस्त्र कर दिया, जबकि उसके बेटों ने इस पूरे मामले का वीडियो बनाया. उन्होंने उसे घर में सभी के सामने नग्न नचवाया. उन्होंने उससे कहा कि वे उसका वीडियो लीक कर देंगे और उसे वेश्यावृत्ति में बेच देंगे."

नाबालिग ने कथित तौर पर अपने माता-पिता को बताया कि आरोपियों का परिवार उसे खाने के लिए भूखा रखता था.

लड़की की मां ने दावा किया कि, "वे उसे दो दिन में एक बार खाना देते थे. उसे कभी भी घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी. मेरी बेटी के इतने लंबे बाल थे, लेकिन उन्होंने उसे काट दिया. एक बार, जब वह पोछा लगा रही थी तो उन्होंने उस पर तेजाब डाल दिया. यहां तक ​​कि जब उसे चोट लग जाती थी और खून बहता था तब भी उन्होंने कभी उसकी मदद नहीं की."

माता-पिता ने आरोप लगाते हुए द क्विंट को बताया कि, जब भी नाबालिग ने सवाल उठाने की कोशिश की, तो आरोपी ने कथित तौर पर उसे जान से मारने की धमकी दी. "उन्होंने उसे चेतावनी दी कि अगर उसने इस बारे में किसी को भी बताया, तो वे उसके माता-पिता को मार देंगे. हमारी बच्ची डरी हुई थी."
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'उससे एक बार भी मिलने नहीं दिया गया': नाबालिग के माता-पिता

पहले दो महीनों के लिए उन्होंने लड़की की मां को 9,000 रुपये का भुगतान किया था. लेकिन वह जल्द ही बंद हो गया. पिछले पांच महीनों में मां कथित तौर पर अपनी बेटी के बारे में पूछताछ करने के लिए तीन बार आरोपी के घर गई.

मां ने कहा, "जब भी मैं अपनी बेटी से मिलने और वेतन मांगने उनके घर जाती थी, वह (आरोपी) हमें बताती थी कि हमारी बेटी घर पर नहीं है. महिला ने मुझे कभी अंदर नहीं आने दिया और धमकी दी,"

नवंबर में, लड़की की मां कथित तौर पर नियोक्ता (आरोपी) के आवास पर वापस गई और बेटी को परिवार के साथ छठ पूजा मनाने के लिए भेजने के लिए कहा.

मां ने दावा किया कि, "जब मैंने उससे अपनी बेटी को एक दिन के लिए घर भेजने का आग्रह किया, तो वह मुझ पर चिल्लाने लगी और मुझे धमकी दी. उसने मुझसे कहा कि मेरी बेटी मुझे देखना नहीं चाहती, उसने मुझे जाने के लिए कहा और मेरे चेहरे पर दरवाजा बंद कर दिया."
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8 दिसंबर को क्या हुआ था?

गुरुवार, 7 दिसंबर की रात, लड़की की मां ने अपने पूर्व नियोक्ता और अपने पति से मदद मांगी.

"वह (मां) शुक्रवार शाम करीब 4 बजे हमारे घर आई. उसने हमें स्थिति बताई. इसलिए, मैंने महिला (आरोपी) को फोन किया और उससे हमें बच्चे से बात करने के लिए कहा. उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं पुलिस विभाग से हूं या किसी एनजीओ से. मैंने पूछा कि वह लड़की को उसकी मां से क्यों नहीं मिलने दे रही है, और उसने फोन काट दिया. हमें पता था कि कुछ गड़बड़ है और हम उसके घर के लिए निकल गए गए."
लड़की की मां की नियोक्ता

जब पूर्व नियोक्ता, बच्ची के माता-पिता के साथ, उस महिला के घर पहुंचे, तो उन्होंने नाबालिग को देखा और वे उसे देखकर टूट गए.

उन्होंने आगे द क्विंट को बताया कि, "जब उसने दरवाजा खोला तो बच्ची पहचान में नहीं आ रही थी. महिला उसके ठीक पीछे खड़ी थी और उसे कस कर पकड़ कर रखा था. उसके बाल खींचे गए थे, उसका हाथ तेजाब से जला हुआ था, उसकी गर्दन पर चोट के निशान थे और उसका चेहरा झुलसा हुआ था. हम हम बेहद हैरान थे. जबकि महिला हमें अंदर जाने देने से हिचक रही थी, हमने बच्चे को बाहर निकाला और चले गए.

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, मां की शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 344 (गलत तरीके से कैद करना), 289, 506, 509 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. इसमें पॉक्सो एक्ट और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत भी मामला दर्ज है.

एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया, "अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. हम आरोपियों से पूछताछ कर रहे हैं और जांच जारी है."

एक बयान में, डीसीपी (यातायात) वीरेंद्र विज ने कहा, "नाबालिग लड़की की एक सरकारी अस्पताल में मेडिकल जांच की गई, और एक रिपोर्ट मिली है. उत्तरजीवी की उम्र ओसिफिकेशन टेस्ट के माध्यम से निर्धारित की गई, जिससे पता चला कि उसकी उम्र 17 साल थी."

डीसीपी ने कहा कि एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है और बुधवार को अंतिम राय आने की उम्मीद है.

पुलिस अधिकारी ने कहा कि शिकायत में नामित आरोपी महिला को "प्रक्रिया के अनुसार जांच में शामिल किया गया है, और मामले के अन्य पहलुओं पर आगे की जांच चल रही है."

डीसीपी विज ने कहा, "हमारी टीम ने मंगलवार को नियोक्ता से घंटों पूछताछ की और जांच में शामिल होने के बाद उसे छोड़ दिया गया"

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'वह लगातार रो रही है, ज्यादा कुछ नहीं खाया है'

नाबालिग का इलाज गुरुग्राम के सरकारी अस्पताल में चल रहा है. नाबालिग के पिता ने द क्विंट को बताया, "तीन दिन हो गए हैं. मेरी बच्ची ने ठीक से खाना नहीं खाया है. वह लगातार रो रही है. जब हम उसे खाना देते हैं, तो उसके पास खाना नहीं होता है. वह बहुत डरी हुई और तबाह हो गई है."

मां ने कहा कि, "एक मां के रूप में, मुझे बहुत दुख हुआ. मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मेरे बच्चे के साथ ऐसा हुआ है. उसने ऐसा क्या किया कि वह इस लायक हुई? कोई इतना अमानवीय कैसे हो सकता है? मैंने उसे काम पर भेजकर गलती की है. मैं ऐसा कभी नहीं करूंगी. मैं नहीं चाहती कि जैसा हमारे साथ हुआ वैसा ही किसी और के साथ हो."

दिसंबर 2022 के बाद से दिल्ली-एनसीआर में घरेलू कामगारों (हाउस हेल्प) को उनके नियोक्ताओं द्वारा कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने का यह आठवां मामला है.

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