पिछले दिनों हरियाणा के गुरुग्राम (Gurugram) में जुम्मे की नमाज को लेकर लगातार विवाद होता रहा है, जिसके संबंध में सुप्रीम कोर्ट में राज्यसभा के एक पूर्व सांसद के द्वारा दायर की गई. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति जताई है. याचिका में हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि गुरुग्राम में नमाज अदा करने वाले मुस्लिम समाज का विरोध करने वाले तत्वों को मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक रोकने में कामयाब नहीं हो सके.
भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि मैं इस मामले को देखूंगा और इसे उचित बेंच के हवाले करूंगा.
याचिकाकर्ता पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब की तरफ से सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कहा कि याचिका केवल अखबारों की खबरों पर आधारित नहीं है. हमने खुद शिकायत दर्ज की है, हम एफआईआर लागू करने के लिए नहीं कह रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि जुमे की नमाज इस्लाम धर्म में एक जरूरी प्रथा मानी जाती है, जिसमें मुस्लिम समाज के लोग सामूहिक रूप से इकट्ठे होकर नमाज अदा करते हैं. इस दौरान गुरुग्राम में कई जगहों पर मुसलमानों द्वारा नमाज अदा की जाती है, जिसकी आज्ञा पहले से ही स्थानीय अधिकारियों द्वारा ली जाती है.
'नमाज पढ़ना अतिक्रमण नहीं'
आगे कहा गया है कि नगर नियोजन में प्रशासनिक दूरदर्शिता की कमी और नमाज के लिए जगह की अनुपलब्धता की वजह से यह उपाय जरूरी होता है.
नमाज पढ़ने के लिए खुली जगहों का प्रयोग करना किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं है, यह स्थानीय अधिकारियों के द्वारा अप्रूव करवाने के बाद ही किया जाता है. नमाज पढ़ने के लिए पुलिस और जिला अधिकारियों से आज्ञा लेने के बाद 37 स्थानों पर नमाज अदा की गई थी.
याचिका में दलील दी गई कि पिछले कुछ महीनों के दौरान गुंडों के द्वारा कथित तौर पर जुमे की नमाज के दौरान हंगामा किया गया और नमाज को रोकने की कोशिश की गई. पूरे शहर में नफरती घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है.
याचिका में एडवोकेट फैजुल अहमद अय्यूबी ने कहा कि अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करवाने के बाद भी गुरुग्राम में हर शुक्रवार को इस तरह की घटनाएं होती रहीं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)