गुरुग्राम में मुसलमानों के खुले में नमाज पढ़ने में रुकावट डालने (Gurugram Namaz Row) के संबंध में हरियाणा राज्य के अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. राज्यसभा के पूर्व सांसद, मोहम्मद अदीब ने अवमानना कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है. इस याचिका में मोहम्मद अदीब ने सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है.
मोहम्मद अदीब द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि हाल के कुछ महीनों में, कुछ "पहचाने जाने योग्य गुंडों" के इशारे पर मुसलमानों द्वारा जुमे (शुक्रवार) की नमाज में रुकावट डालने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है, जो झूठे तौर पर धर्म के नाम पर खुद को पेश करते हैं और पूरे शहर में एक समुदाय के खिलाफ नफरत और पूर्वाग्रह का माहौल बनाने की कोशिश करते हैं.
याचिका में हरियाणा राज्य के मुख्य सचिव संजीव कौशल (आईएएस) और पुलिस महानिदेशक पीके अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
याचिका में क्या आरोप लगाया गया है ?
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार याचिका में तर्क दिया गया है कि गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने में रुकावट डालने की इन घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय करने में राज्य मशीनरी की गंभीर निष्क्रियता है.
याचिकाकर्ता मोहम्मद अदीब ने यह भी तर्क दिया है कि अप्रैल 2021 की शुरुआत से ही स्थानीय निवासियों और जुमे की नमाज अदा करने आने वाले लोगों को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
मोहम्मद अदीब के अनुसार पुलिस कमिश्नर, गुरुग्राम के पास शिकायत दर्ज की गई है लेकिन शिकायतों के बावजूद गंभीर रूप से निष्क्रियता बनी रही.
सुप्रीम कोर्ट के किस आदेश को बनाया आधार ?
याचिका में इस आधार पर अवमानना की कार्रवाई की मांग की जा रही है कि, हरियाणा के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा “तहसीन एस. पूनावाला बनाम भारत सरकार और अन्य” वाद में जारी निर्देशों का पालन करने में विफल रहे हैं.
उक्त मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में भीड़ की हिंसा, लिंचिंग सहित हेट क्राइम की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने और रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए थे.
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