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Gyanvapi: कौन हैं दो वकील, जो 19 मई को कोर्ट को सौंपेंगे सर्वे रिपोर्ट?

सर्वे और वीडियोग्राफी की पूरी रिपोर्ट अजय प्रताप सिंह और विशाल सिंह 19 तारीख को अदालत के सामने पेश करेंगे.

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भारत
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वाराणसी स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) में 17 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में सर्वप्रथम अधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे और वीडियोग्राफी कराने का जिम्मा सौंपा था. बाद में मुस्लिम पक्ष के विरोध पर सिविल जज सीनियर डिविजन मे 2 सहायक अधिवक्ता स्पेशल कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह को नियुक्त किया था. तीनों की अगुवाई में सर्वे का काम पूरा हुआ.

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हालांकि, 17 मई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अधिवक्ता कमिश्नर के पद से अजय कुमार मिश्रा को हटा दिया. अब सर्वे और वीडियोग्राफी की पूरी रिपोर्ट अजय प्रताप सिंह और विशाल सिंह 19 तारीख को अदालत के सामने पेश करेंगे.
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Gyanvapi Case: Ajay Pratap Singh कौन हैं?

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद में सहायक अधिवक्ता कमिश्नर अजय प्रताप सिंह वाराणसी के विंध्यवासिनी नगर कॉलोनी के रहने वाले हैं. ये लगभग 20 वर्षों से अधिवक्ता हैं. काशी विश्वनाथ धाम ने कॉरिडोर निर्माण के लिए लगभग 400 मकानों का अधिग्रहण किया था. इसे प्रशासन की ओर से नियुक्त अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने ही रजिस्ट्री कराई थी. अजय प्रताप सिंह दीवानी और फौजदारी दोनों के हरफन मौला अधिवक्ता माने जाते हैं.

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Gyanvapi Case: Vishal Singh के पिता वकील रहे हैं

वाराणसी के नाटीइमली स्थित भरत मिलाप कॉलोनी निवासी विशाल सिंह के पिता स्वर्गीय मंगला प्रसाद सिंह बनारस बार में लगभग 50 साल तक दीवानी के अधिवक्ता रहे. उनकी छत्रछाया में ही विशाल सिंह ने दीवानी की वकालत शुरू की. लगभग 15 साल से दीवानी में प्रैक्टिस करने के पश्चात अदालत ने ज्ञानवापी प्रकरण में उन्हें स्पेशल कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया. इसके बाद यह चर्चा में आए. हालांकि, इसके पूर्व वकालत में इनका बहुत बड़ा नाम नहीं था.

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वकालत में पांच वर्ष की अवधि पूरा करने वाला बन सकता है कोर्ट कमिश्नर

वाराणसी कचहरी में दीवानी के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय प्रकाश सिंह ने बताया की कोर्ट कमिश्नर बनने के लिए अधिवक्ता को कोई विशेष कार्य नहीं करना पड़ता है. वकालत करते हुए 5 वर्ष से अधिक की अवधि पूरा कर चुका कोई भी अधिवक्ता कोर्ट कमिश्नर नियुक्त होने के लिए अदालत में आवेदन कर सकता है. इसके पश्चात बनारस बार और बेंच के माध्यम से एक सूची तैयार होती है, जो अदालत को सौंपी जाती है.

इस सूची में अधिकतम 100 की संख्या अधिवक्ताओं की होती है. ये प्रत्येक वर्ष तैयार होने वाली सूची है. जिस भी अदालत को किसी मुकदमे में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करना होता है, इस सूची का संज्ञान लिया जाता है. ये कोर्ट पर निर्भर करता है कि वह सीरियल नंबर से अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करेंगे या प्राथमिकता के आधार पर चुनेंगे. इस पर कोई जोर या दबाव नहीं होता है.

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