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ज्ञानवापी केस में SC-कथित शिवलिंग की हो सुरक्षा,मुस्लिमों की एंट्री पर रोक न लगे

ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर Supreme Court में अगली सुनवाई गुरुवार,19 मई को होगी

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भारत
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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले (Gyanvapi Mosque case) में सुप्रीम कोर्ट (SC) में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मंगलवार,17 मई को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने सुनवाई के पहले दिन वाराणसी के डीएम को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर जिस क्षेत्र में शिवलिंग पाए जाने की बात कही जा रही है, उसे विधिवत संरक्षित किया जाएगा लेकिन साथ ही मुसलमानों की मस्जिद तक पहुंच पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह गुरुवार,19 मई को मामले की फिर से सुनवाई करेगा.

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साथ ही स्थानीय अदालत के आदेश कि मस्जिद के अंदर सिर्फ 20 लोग ही नमाज आदि पढ़ेंगे, को भी सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के प्रबंधन की समिति द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें एक स्थानीय अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे और वीडियोग्राफी करने की अनुमति दी गई है.

ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर SC में सुनवाई, 5 बड़ी बात

  1. जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि ज्ञानवापी मस्जिद में जहां शिवलिंग मिलने की बात की जा रही, उस क्षेत्र की सुरक्षा की जाए

  2. मस्जिद के अंदर मुसलमानों के नमाज पढ़ने और वजू करने के अधिकार पर कोई रोक-टोक नहीं होनी चाहिए

  3. ट्रायल जज का निर्देश है कि केवल 20 लोग नमाज अदा करेंगे, को SC ने रद्द किया

  4. वाराणसी के स्थानीय अदालत में कार्यवाही पर कोई रोक नहीं लगाई गयी है.

  5. 19 मई गुरुवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले की फिर से सुनवाई होगी.

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"कहां है शिवलिंग? यहां तक ​​कि मजिस्ट्रेट ने भी नहीं देखा.

अपीलकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि "इस मामले के इस अदालत (SC) द्वारा जब्त किए जाने के बावजूद कमीशन गया. इस तथ्य के बावजूद कि कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई थी, वादी द्वारा आवेदन में कहा गया था कि तालाब के पास कहीं शिवलिंग था, यह बहुत अत्यधिक अनुचित है". हुजेफा अहमदी ने यह भी कहा कि स्थानीय कोर्ट द्वारा पारित सभी आदेश बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक ले मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हैं.

उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने कोई आदेश पारित होने से पहले निर्देश लेने के लिए समय मांगा. सुनवाई के दौरान बेंच ने उनसे पूछा कि

"शिवलिंग कहां है? यहां तक ​​कि मजिस्ट्रेट ने भी इसे नहीं देखा है. हम साफ कर सकते हैं कि हमारा आदेश केवल उसके बाद के संदर्भ में है"

इसपर एसजी तुषार मेहता ने बेंच से कहा कि "अगर किसी ने शिवलिंग को नष्ट कर दिया तो क्या होगा?". इसपर बेंच ने जवाब दिया, "हम डीएम से सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहेंगे"

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