उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी (Gyanvapi ) मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा-अर्चना से जुड़े मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) कोर्ट ने सोमवार, 26 फरवरी को फैसला सुनाया. कोर्ट ने व्यास तहखाने में पूजा-अर्चना पर रोक लगाने से इनकार करते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी.
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया. इसी के साथ व्यासजी तहखाने (Vyasji Tahkhana) में पूजा-अर्चना जारी रहेगी.
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
इलाहाबाद हाई कोर्ट जस्टिस अग्रवाल की सिंगल बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “मामले के पूरे रिकॉर्ड को देखने और संबंधित पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत को जिला न्यायाधीश द्वारा 17.01.2024 को पारित फैसला, जिसमें डीएम, वाराणसी को संपत्ति का रिसीवर नियुक्त किया गया था और दिनांक 31.01.2024 को जारी आदेश जिसमें तहखाने में पूजा की अनुमति दी गई है, इसमें हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला."
"यह सनातन धर्म की बड़ी जीत है. न्यायाधीश ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जो मुस्लिम पक्ष ने जिला न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दायर की थी. इसका मतलब है कि पूजा वैसे ही जारी रहेगी. जिला मजिस्ट्रेट 'तहखाना' के रिसीवर के रूप में बने रहेंगे. वे (मुस्लिम पक्ष) इसमें रिव्यू कर सकते हैं या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं."प्रभाष पांडेय, हिंदू पक्ष के वकील
हिंदू पक्ष के दूसरे वकील विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्टर से बातचीत के दौरान कहा, "आज इलाहबाद हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है जो 17 और 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ निर्देशित की गई थी. इसका मतलब है कि जो पूजा चल रही थी वह वैसे ही चलती रहेगी.अगर वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तो हम भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखेंगे."
विवाद क्या था?
वाराणसी जिला अदालत ने बुधवार, 31 जनवरी को ज्ञानवापी विवाद मामले पर सुनवाई करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदूओं के पूजा-अर्चना की अनुमति दे दी थी और अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित 'पूजा' और 'पुजारी' की व्यवस्था करने का निर्देश भी दिया था.
जिला अदालत के इन दोनों आदेशों को चुनौती देते हुए अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने 1 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
मामले की सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील ने यह दावा किया कि 1993 तक मस्जिद के तहखाने में सोमनाथ व्यास के परिवार द्वारा हिंदू रीति रिवाज की से प्रार्थनाएं की जाती थीं. लेकिन तत्कालीन सरकार के निर्देश पर इसपर ताला लगा दिया गया.
मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध किया और कहा कि मस्जिद की इमारत पर हमेशा से मुसलमानों का अधिकार रहा है.
ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन संभालने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमिटी ने इस मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. तब सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने के लिए कहा था.
हिंदू-मुस्लिम पक्ष के अपने-अपने दावा
मामले में जो अहम विवाद है वह यह कि हिंदू पक्ष दावा करता है कि उक्त भूमि पर एक प्राचीन मंदिर का एक हिस्सा था. जिसे 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासन के दौरान तोड़ दिया गया था. इसी तर्ज पर वह परिसर में पूजा करने की मांग करते हैं.
दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष कहता है कि मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल से पहले की थी और इसने समय के साथ कई बदलावों को झेला है.
कब क्या-क्या हुआ?
अगस्त 2021: पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर की और ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर कथित तौर पर स्थित मूर्तियों की पूजा करने की अनुमति मांगी.
16 मई 2022: एक स्थानीय अदालत द्वारा नियुक्त कमेटी ने काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद का वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण पूरा किया. सर्वे के दौरान, मस्जिद परिसर के अंदर एक संरचना पाई गई जिसे हिंदू पक्ष ने 'शिवलिंग' होने का दावा किया और मुस्लिम पक्ष ने 'फव्वारा' होने का दावा किया.
21 जुलाई 2023: वाराणसी जिला अदालत ने वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दिया और यह पता लगाने का निर्देश दिया की क्या मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था.
4 अगस्त 2023: अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमति के बाद कड़ी सुरक्षा में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) फिर से शुरू किया गया.
11 दिसंबर 2023: जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने का एक और सप्ताह का समय दिया.इससे पहले भी कोर्ट ने ASI टीम को 6 सितंबर, 5 अक्टूबर, 2 नवंबर, 17 नवंबर और 30 नवंबर को एक्सटेंशन दिया था.
18 दिसंबर 2023: ASI ने मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट जिला अदालत को सौंपी. ASI ने अपनी रिपोर्ट में कहा मस्जिद के निर्माण हिंदू मंदिर के अवशेष पर किया गया है.
25 जनवरी 2024: हिंदू और मुस्लिम पक्षों को ASI की रिपोर्ट की एक प्रति मिली जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का अदालत द्वारा आदेशित वैज्ञानिक सर्वे के निष्कर्ष शामिल थे.
29 जनवरी 2024: चार हिंदू महिलाओं ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के एक सीलबंद हिस्से की खुदाई और वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
31 जनवरी 2024: जिला कोर्ट ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी स्थित व्यासजी तहखाने में पूजा की इजाजत दे दी.
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