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'प्लीज हमें बचा लो': हल्द्वानी हिंसा में ड्राइवर, पिता-बेटे की 'हत्या', सदमे में परिवार

Haldwani Violence: मोहम्मद जाहिद दूध खरीदने निकले थे, लेकिन हल्द्वानी में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.

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"उसकी मां बहुत डरी हुई और अंदर तक हिल गई है और वह बात नहीं कर सकती. उसने कुछ साल पहले अपने पति को खो दिया था और अब नौजवान बच्चे की जान चली गई."

हल्द्वानी निवासी जावेद कुरैशी (28) ने आठ फरवरी को शहर में हुए हमलों के दौरान हुई हिंसा का जिक्र किया, जब उनके चचेरे भाई फहीम हादी (30) की अंधाधुंध और निशाना बनाकर किए गए हमलों में मौत हो गई थी.

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एक मजार और एक मदरसे को गिराने के बाद हिंसा की शुरुआत हुई थी, जिस पर आपत्तियां उठाई गई थीं, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार, दंगाइयों ने आग में घी डाला और हिंसा को भड़का दिया.

जावेद कहते हैं, "मेरा भाई की हत्या कर दी गई. उसका न तो डिमोलिशन से लेना-देना था और न ही वह सड़कों पर उमड़ी भीड़ का हिस्सा था. वह तो शांति से अपने घर पर बैठा था. उसका घर हिंसा वाली जगह से महज 100 मीटर की दूरी पर है."

हादी ने जब अपने सभी गाड़ियों (एक टाटा ऐस (छोटा हाथी), एक बुलेट, दो स्कूटर और दो ऑटो ) को आग में जलते देखा तो वह बाहर की तरफ भागा. जावेद के मुताबिक, तभी वहां संजय सोनकर आया. वह इस मामले में मुख्य आरोपी है.

'हिंसा के बीच उसे जान से मारने का मौका मिल गया'

जावेद ने आरोप लगाया कि उनके घर के बाहर भीड़ में सोनकर और उनका बेटा शामिल था.  वे नारे लगा रहे थे, उन्हें उकसा रहे थे और उनकी गाड़ियों को नुकसान पहुंचा रहे थे.

उन्होंने बताया- सोनकर और हादी के बीच अतीत में विवाद होता रहा है. पिछले साल हादी ने सुरक्षा के लिए अपनी गली में एक तरफ एक दीवार बनाई थी. इस वजह से ही सोनकर भड़क गया और तब से ही वह हादी से नाराज चल रहे थे.

"मेरा भाई नीचे आया और आग बुझाने की कोशिश कर रहा था और उनसे पूछ रहा था कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं. उन्होंने दो-तीन सेकंड के भीतर उसे तीन गोली मार दी. एक गोली उनकी छाती पर, एक पेट पर और दूसरी उनके घुटने से होकर निकल गई."
जावेद ने द क्विंट को बताया

द क्विंट को मिले वीडियो में देखा जा सकता है कि स्थानीय लोग समुदाय विशेष को अपशब्द कह रहे थे और गाली-गलौज कर रहे थे.

नीचे दी गई तस्वीर में हादी का घर चिह्नित किया गया है. तस्वीर में देखा जा सकता है कि हादी के दो गाड़ी आग की जद में हैं.

Haldwani Violence: मोहम्मद जाहिद दूध खरीदने निकले थे, लेकिन हल्द्वानी में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.

ऊपर बाईं ओर हादी का घर है. नीचे, हादी की दो गाड़ियों में आग लगी है.

फोटो- क्विंट हिंदी

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जावेद ने कहा, "उन लोगों ने हिंसा को हिंदू-मुस्लिम एंगल दे दिया और अपनी ओर से पत्थर फेंकना शुरू कर दिया और 'जय श्री राम कहना होगा' जैसे नारे लगाने लगे. इसके अलावा, वह अपमानजनक नारे भी लगा रहे थे. हम कुछ भी नहीं किया. पुलिस थोड़ी दूरी पर उनके पीछे खड़ी थी."
Haldwani Violence: मोहम्मद जाहिद दूध खरीदने निकले थे, लेकिन हल्द्वानी में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.

इस तस्वीर में भीड़ को हादी की गाड़ियों को तबाह करते और पथराव करते देखा जा सकता है.

फोटो- क्विंट को मिले वीडियो का स्क्रीनशॉट

गोली लगने के बाद हादी को आनन-फानन में कृष्णा अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल में लोगों ने बताया कि हादी ने सांस लेना बंद कर दिया है. इसके बाद हादी को सुशीला तिवारी अस्पताल रेफर कर दिया. कागजी कार्रवाई के बाद परिवार को मोर्चरी जाने को कहा गया. परिवार अब भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है.

जावेद याद करते हुए कहते हैं कि सोनकर ने कुछ दिन पहले हादी के सबसे बड़े भाइयों में से एक बबलू को कथित तौर पर धमकी दी थी कि वह हादी को जान से मार देगा.

Haldwani Violence: मोहम्मद जाहिद दूध खरीदने निकले थे, लेकिन हल्द्वानी में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.

फहीम हादी की हल्द्वानी हिंसा में मौत हो गई

फोटो- क्विंट हिंदी

मदरसे और मजार को गिराए जाने को लेकर हुई हिंसा के बाद कई स्थानीय लोगों की मौत हुई है. एसपी हरबंस सिंह ने मृतकों की संख्या 6 बताई थी, वहीं एसपी मीणा ने पांच लोगों की मौत की बात कही थी.

डिमोलिशन के तुरंत बाद द क्विंट ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया था कि 14 फरवरी को एक और सुनवाई होने के बावजूद डिमोलिशन हुआ था. स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया था कि यह बिना किसी अदालती आदेश के किया गया था.

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'हल्द्वानी में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ…'

हादी का परिवार अपने दादा की पीढ़ी से लगभग 60-70 साल से हल्द्वानी में रह रहा है.

यह पूछे जाने पर कि क्या उनके परिवार ने हल्द्वानी में पहले भी इस तरह के झगड़े या हिंसा देखी थी, जावेद ने कहा,

"इससे पहले कभी भी हमारे समुदायों के बीच ऐसी कोई लड़ाई या झगड़ा नहीं हुआ था, जिससे इतना ‘जहर’ फैल सके. मुसलमान और हिंदू हमेशा सौहार्दपूर्ण ढंग से मिलते थे. हाल ही में जब से यह सरकार यहां सत्ता में आई है और राम मंदिर समारोह हुआ है, तब से यह नफरत और आक्रामकता की झलक जमीनी स्तर पर दिखी है."

हादी की मां और उसके भाई की जिंदगी में बड़ा तूफान आया है. दोनों भयभीत हैं. हादी की मां अब भी सदमे में हैं. वह किसी से बात नहीं कर रही हैं.

जावेद ने कहा, "उसकी (हादी) मौत के बाद से हम उसकी मां को लगभग पांच बार अस्पताल ले गए हैं क्योंकि वह बेहोश हो जा रही हैं, रोने लगती हैं.

उन्होंने आगे कहा, "पूरे घर में उथल-पुथल मच गया है, इस हद तक कि सबसे बड़ा भाई इस घटना से बहुत प्रभावित है. हम डर गए थे कि उन्हें गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं."

Haldwani Violence: मोहम्मद जाहिद दूध खरीदने निकले थे, लेकिन हल्द्वानी में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.

हीम हादी महज 30 साल का था और हलद्वानी में ड्राइवर की नौकरी करता था.

सबसे बड़े भाई बबलू ने द क्विंट को बताया कि पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है और उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी एक चिट्ठी भेजी है.

दूसरी ओर जिस पर (सोनकर) हादी के परिवार ने आरोप लगाया है, उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. एसपी प्रहलाद मीणा से 11 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था, इस दौरान उनसे सोनकर पर लगे आरोपों के बारे में पूछा गया था.

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एसपी प्रहलाद मीणा ने जवाब देते हुए कहा, "इस घटना में और अगले दिन, हमें जो भी शव मिले हैं, उनकी मौत की वजह और की जांच की जा रही है और उसके बाद ही हम बता पाएंगे कि उनकी मौत कैसे हुई."

जावेद ने कहा कि 'उनके परिवार को पुलिस को यह भी बताना पड़ा कि हादी की मौत गोली की वजह से नहीं बल्कि सोनकर और उसके भीड़ की वजह से हुई.'

परिवार ने मामले में तेजी से कार्रवाई की मांग की है.

पिता-पुत्र की गोली मारकर हत्या

हल्द्वानी में अभी भी कर्फ्यू लगा हुआ है. इस वजह से स्थानीय लोगों किराने का सामान लेने या बच्चों के लिए दूध लेने में मुश्किल का सामना कर रहे हैं.

45 साल के मोहम्मद जाहिद और उनके 18 साल के बेटे मोहम्मद अनस के परिवार को लगता है कि अगर जाहिद अपने नाती के लिए दूध लाने के लिए बाहर नहीं निकले होते तो शायद वे बच जाते.

Haldwani Violence: मोहम्मद जाहिद दूध खरीदने निकले थे, लेकिन हल्द्वानी में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.

हल्द्वानी हिंसा में मोहम्मद जाहिद की मौत हो गई.

फोटो- क्विंट हिंदी

जैद अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाले इंसान हैं. उनकी पत्नी, तीन बेटे (एक की मौत हो गई) उनपर आश्रित हैं. उनकी एक बेटी भी है जो अपने बच्चे के साथ उनसे मिलने आई थी.

बाहर की तनाव भरी स्थिति की वजह से मुमताज बेगम ने अपने दामाद जाहिद को जल्दी से घर वापस आने को कहा था.

मुमताज बेगम याद करती हैं, "जाहिद आए और अपनी पत्नी से बिरयानी तैयार करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि वह बिरयानी चटनी के साथ खाएंगे. एक कॉल पर बात करते हुए, वह यह कहते हुए बाहर चले गए कि वह दूध लेने के लिए बाहर जा रहे हैं क्योंकि उनके नाती को दूध की जरूरत पड़ेगी और बाहर की स्थिति बदतर हो सकती है."

जिस जगह पर हिंसा हुई, उस जगह को 'मलिका का बगीचा' कहा जाता है. ये जाहिद के घर से 1 किलोमीटर दूरी पर है. मुमताज ने कहा कि उनका इलाका हिंसा की चपेट में तब आया, जब पास के पुलिस थाने में आग लगा दी गई.

"जाहिद कुछ कदम ही आगे गया था कि उसे गोली लग गई. अनस खतरे की वजह से उन्हें रोकने के लिए उसके पीछे गया था. कुछ लड़के जाहिद के शव को उठाकर अस्पताल ले गए. जब अनस को जाहिद नहीं दिखे तो वह उन्हें ढूंढता हुआ आगे तक चला गया और उसे भी गोली मार दी गई."
मुमताज बेगम ने द क्विंट को बताया
Haldwani Violence: मोहम्मद जाहिद दूध खरीदने निकले थे, लेकिन हल्द्वानी में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.

18 साल के अनस की हल्द्वानी हिंसा में मौत हो गई

फोटो- क्विंट हिंदी

मुमताज बताती हैं, "मेरे एक बेटे को इसकी जानकारी लगी तो वह दौड़ता हुआ बाहर गया और अनस को जमीन पर गिरा देखा. उसने अनस को गोली के दर्द से कराहते हुए देखा. वह दर्द से तड़पते हुए कह रहा था कि ‘मुझे अस्पताल ले चलो, मुझे बचा लो प्लीज’ और फिर उसने दम तोड़ दिया."

जाहिद को सीने में गोली लगी थी, जबकि अनस को पेट के पास गोली लगी थी.

कुछ ही देर बाद जाहिद का 22 साल का सबसे बड़ा बेटा अमन भागकर अनस के शव को अपने घर की ओर ले जा रहा था, तभी उसने अपने पिता जाहिद को जमीन पर पड़ा देखा.

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मुमताज बेगम कहती है, "अमन अपने पिता के शरीर पर गिर पड़ा. उसने उन लोगों काफी मिन्नतें की और कहा, उन्हें मत मारो वह मर जाएंगे. लेकिन उन्होंने कहा, ‘हम इसे नहीं छोड़ेंगे’ और पीटना जारी रखा. हमें नहीं पता कि वे स्थानीय पुलिसकर्मी थे या पुलिस की वर्दी में वे लोग जो डिमोलिशन के लिए आए थे."

द क्विंट से बात करते हुए अमन ने कहा, "मैंने अपने पिता को जमीन से उठाया और एक गाड़ी पर बिठाया, दूसरी तरफ से लगभग 100 पुलिसकर्मी आ रहे थे. उनमें से 10-15 हमारे पास आए और मेरे पिता, ड्राइवर और मुझे लगातार पीटा."

जाहिद कंस्ट्रक्शन बिजनेस में काम करता था. वहीं अनस 9 वीं तक पढ़ा था, क्योंकि महामारी के बाद से उसकी पढ़ाई बंद हो गई थी.

मुमताज बेगम ने कहा कि जाहिद की पत्नी सबीना ने पति की मौत के बाद से रोना बंद नहीं किया है. जाहिद की मौत के बाद सबीना बदहवास हो गई हैं.

मुमताज बेगम ने द क्विंट से कहा,"उसका रो-रोकर बुरा हाल हो गया है और वे एक लाश की तरह बन गई है. वह उदास है और हम में से किसी से भी बात नहीं कर पा रही है.

'मेरी दुनिया उजड़ गई, क्या करूं मैं अब?'
मुमताज बेगम

जाहिद और अनस दोनों को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां जाहिद को मृत घोषित कर दिया लेकिन अस्पताल ने कहा कि अगर अनस को और खून मिलता है तो उसे बचाया जा सकता है. इसके बाद अनस को कृष्णा अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्हें मौके पर ही मृत घोषित कर दिया गया.

Haldwani Violence: मोहम्मद जाहिद दूध खरीदने निकले थे, लेकिन हल्द्वानी में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.

हल्द्वानी में हिंसा के दौरान मारे गए एक अन्य स्थानीय निवासी मोहम्मद शभान की मौत हो गई.

फोटो- उमर अल्ताफ

मुमताज कहती हैं कि उनका परिवार गरीब है. वह बेटी और बेटों के लिए मुआवजा की उम्मीद कर रहे हैं. परिवार पोस्टमार्टम के नतीजों का भी इंतजार कर रहा है.

मुमताज बोलीं, "एसडीएम 11 फरवरी को हमारे घर आए और हमें सांत्वना दी और हमसे कहा कि वे नहीं चाहते कि किसी और के साथ ऐसा हो. हम भी अपने लिए यही चाहते थे. हमने उनसे कहा कि हम केवल दोषियों को सजा दिलाना चाहते हैं."

(द क्विंट ने एसडीएम और हल्द्वानी पुलिस से भी संपर्क किया है. उनकी प्रतिक्रिया आने पर रिपोर्ट में जोड़ दी जाएगी. द क्विंट सोनकर से भी संपर्क करने की कोशिश कर रहा है. जब वह जवाब देंगे तो हम कहानी को अपडेट करेंगे)

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