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"3 FIR-5 गिरफ्तारी, 16 नामजद आरोपी", हल्द्वानी हिंसा में 5 मौत- पुलिस क्या एक्शन लेगी?

"हल्द्वानी से कर्फ्यू हटा लिया गया है, सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है"

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भारत
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उत्तराखंड के हल्द्वानी (Haldwani) में 8 फरवरी को एक अवैध मदरसे पर नगर निगम ने बुलडोजर चलाया था. पुलिस और प्रशासन की ओर से आरोप लगाया गया कि स्थानीय लोगों ने पुलिस और निगम की टीम पर हमला कर दिया था, इसके बाद इलाके में हिंसा भड़क गई थी.

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उत्तराखंड के एडीजी इंटेलिजेंस एपी अंशुमन ने कहा, "इस पूरे प्रकरण में तीन एफआईआर दर्ज हुए हैं, जिसमें 16 लोग नामजद हैं. उपद्रवी भीड़ हजारों की संख्या में थी. फिलहाल 5 की गिरफ्तारी हुई है. पुलिस की टीमें दबिश दे रही हैं."

सीसीटीवी फुटेज से सभी की पहचान की जा रही है. इलाके में हालात सामान्य हैं. हल्द्वानी में कर्फ्यू हटा दिया गया है. मौत की संख्या पर एडीजी ने कहा कि 5 लोगों की हिंसा में मौत हुई है.

घटना की जांच मजिस्ट्रेट के स्तर पर भी होगी. इसके अलावा हेडक्वार्टर स्तर पर भी पूरे मामले की जांच की जाएगी.
एपी अंशुमन, एडीजी इंटेलिजेंस

डीएम ने हल्द्वानी हिंसा पर क्या कहा था?

नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने 9 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हल्द्वानी हिंसा के घटनाक्रम की जानकारी दी.

डीएम ने कहा, "हाईकोर्ट के आदेश के बाद हल्द्वानी में जगह-जगह अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गई. सभी को नोटिस और सुनवाई के अवसर दिए गए. कुछ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, कुछ को समय दिया गया, जबकि कुछ को समय नहीं दिया गया. जहां समय नहीं दिया गया, वहां पीडब्ल्यूडी और नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया गया. ये किसी विशेष संपत्ति को टारगेट करके की गतिविधि नहीं थी."

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नैनीताल डीएम बोलीं, "हमने डिमोलिशन अभियान जारी रखने का फैसला किया क्योंकि परिसंपत्तियों पर कोई स्टे नहीं था, इस संपत्ति पर किसी व्यक्ति का अधिकार नहीं था. अलग-अलग जगह पर अतिक्रमण हटाने की कानूनी प्रक्रिया चल रही है और इसलिए यहां भी ऐसा किया गया. हमारी टीमें और संसाधन मूव हुई और किसी को उकसाया या नुकसान नहीं पहुंचाया गया जिससे जनसंपत्ति की हानि हमारी टीमों (पुलिस और प्रशासन) के जरिए हो. अभियान शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुआ. पूरी प्रक्रिया ठीक से होने के बावजूद आधे घंटे के भीतर एक बड़ी भीड़ ने हमारी नगर निगम टीम पर पहला हमला पत्थरों से किया."

डीएम वंदना सिंह ने कहा,

"अगर डिमोलिशन के लिए थोड़ा और वक्त दिया जाता तो प्रशासन का मानना है कि उन्हें और समय मिल जाता और वे बड़े पैमाने पर हिंसा करते."

उन्होंने कहा, "हमारी सबसे ज्यादा फोर्स थाने को बचाने के लिए लगाई गई थी. बाकी जगहों पर पुलिस ने खुद को बचाने के लिए बल प्रयोग किया. हमारी प्राथमिकता थी कि हम हल्द्वानी के दूसरे क्षेत्र में हिंसा की घटनाएं न फैलने दें."

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