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हापुड़ लिंचिंग:आरोपी की पत्‍नी बोली,गाय के लिए कुर्बान हो सकते हैं

हापुड़ में भीड़ के हाथों हुई हत्या को लेकर क्या कहते हैं दोनों गांवों के लोग

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'अगर पुलिस हमारे पतियों को झूठे केस में फंसाएगी, तो हम औरतें अपनी गायों को बचाने के लिए जाएंगीं. हम गाय की रक्षा करने के लिए अपनी कुर्बानी दे सकते हैं.' ये कहना है संतोष सिसोदिया का.

संतोष के पति राकेश सिसोदिया, उन दो लोगों में से एक हैं, जिन्हें उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में 39 साल के कासिम की हत्या और 65 साल के समीउद्दीन को गंभीर रूप से घायल करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है.

राकेश सिसोदिया और युधिष्ठर सिंह को समीउद्दीन के भाई यासीन की ओर से पिलखुआ थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया गया है.

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'मदापुर के लोगों ने हम पर फायरिंग की...मेरे पति को झूठा फंसाया गया'

पुलिस इस मामले को 'रोड रेज' का केस बता रही है. पुलिस के मुताबिक, कासिम और समीउद्दीन का अज्ञात बाइक सवारों के साथ किसी छोटे-मोटे एक्सीडेंट की वजह से झगड़ा हो गया था.

हालांकि, दोनों गांवों के लोगों का कहना है कि ठाकुरों के वर्चस्व वाले बझेड़ा खुर्द और मुस्लिम बहुल गांव मदापुर के लोगों में मवेशियों को लेकर झगड़ा हुआ.

संतोष ने 'द क्विंट' को बताया कि उसके पति को फंसाया जा रहा है. उन्होंने बताया, 'हमारे खेत आसपास हैं. हमारे गांव के कुछ लोग चारा लेने खेतों में गए थे, तभी उन्होंने देखा कि दूसरे गांव के कुछ लोग एक जगह पर जमा हैं. उन लोगों ने एक बछड़े और एक बकरी को पेड़ से बांधा हुआ था. गांव वालों को लगा कि कुछ गलत होने जा रहा है, इसलिए वे गांव लौट आए. इसके बाद पांच-दस लोग इकट्ठा होकर वापस वहां गए.'

संतोष ने बताया, 'इसी दौरान वहां झगड़ा हो गया. इधर हमारे गांव में झगड़े की खबर फैल गई, तो गांव के लोग उधर के लिए दौड़ लिए. मदापुर के लोग भी जमा हो चुके थे. उन लोगों ने पहले हमारे गांव के लोगों के ऊपर फायरिंग की. इसके बाद ही हमारे गांव के लोगों ने कासिम और समीउद्दीन के साथ मारपीट की.'

संतोष बताती हैं, कि जिस वक्त भीड़ दोनों को खेतों से खींचकर बझेड़ा गांव के देवी मंदिर तक लाई, उस वक्त उनके पति घर पर थे.

संतोष कहती हैं, 'मेरे पति भीड़ को शांत करने के लिए मौके पर गए. उन्होंने ही पुलिस को बुलाया. लेकिन पुलिस डेढ़ घंटे बाद आई. अब वह मेरे पति को झूठे केस में फंसा रही है.'

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‘सबूतों को मिटाने की कोशिश की गई’

राकेश की बेटी नेहा का कहना है कि गांव वाले कासिम पर हमला नहीं करना चाहते थे, वह सिर्फ मवेशी को बचाने के लिए गए थे.

हिंदू धर्म में गाय की पूजा होती है. गाय को हम मां मानते हैं. कोई बेटा क्या करेगा, अगर उसकी मां को उसकी ही आंखों के सामने काटा जा रहा होगा? एक तरफ हम गो रक्षा की बात करते हैं, फिर हम गाय को कटते हुए कैसे देख सकते हैं?
नेहा, राकेश की बेटी

नेहा का आरोप है कि पुलिस जब घटना की रात गांव में आई तो मदापुर के लोगों ने खेतों से सभी सबूतों को मिटाने की कोशिश की. ताकि, असल मुद्दे को दफनाया जा सके.

हालांकि, जब क्विंट 20 जून को खेतों में पहुंचा, तो घटनास्थल पर एक जोड़ी टूटी चप्पल और खून के धब्बे मिले. समीउद्दीन के भतीजे अब्दुल ने बताया कि वो चप्पल कासिम की थी.

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'मुद्दा बनाने के लिए छोड़ दी गाय, ताकि समीउद्दीन को आरोपी बनाया जा सके'

समीउद्दीन उन्मादी भीड़ के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. फिलहाल, वह हापुड़ के नंदिनी देवी हॉस्पिटल में भर्ती हैं. उनके भतीजे अब्दुल का कहना है कि उस दिन समीउद्दीन अपने दोस्त हसन अली के साथ अपने पशुओं के लिए कुछ चारा लाने के लिए खेतों में गए थे.

उस दिन हसन अली और मेरे चाचा दो और लोगों के साथ खेतों में गए थे. मुझे नहीं पता कि कासिम उन लोगों से मिलने के लिए वहां क्यों पहुंचा? वहां एक आवारा गाय और बछड़ा खेतों में घुस आया, तो हमारे लोगों ने उन्हें खेतों से भगाने की कोशिश की. इसी दौरान आई भीड़ ने उन लोगों पर हमला कर दिया. हसन अली और बाकी के दो लोग भाग गए, जबकि कासिम और मेरे चाचा को भीड़ घसीटते हुए मंदिर तक लेकर गई.
अब्दुल
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पुलिस के आने तक नहीं हटी भीड़ः मंदिर पुजारी

देवी मंदिर के पुजारी इकादिशी गिरी कहते हैं कि वह दोपहर में सो रहे थे. इसी दौरान शोर-शराबे से उनकी नींद खुल गई.

पुजारी ने बताया, भीड़ एक शख्स को घसीटते हुए मंदिर तक आने वाले रास्ते के गेट तक लाई, जबकि दूसरे को खेतों तक.

उन्होंने बताया, 'जब तक पुलिस नहीं आई, तब तक भीड़ नहीं हटी थी.'

पुजारी का दावा है कि कुछ घंटो के लिए दो गायों को मंदिर के पास छोड़ा गया था. बाद में पुलिस आई और वही गायों को वहां से ले गई. पुजारी से जब पूछा गया कि क्या झगड़ा गायों की वजह से ही हुआ, तो उन्होंने कुछ भी साफ कहने से इनकार कर दिया.

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कासिम को इसलिए मार दिया, क्योंकि वह मुस्लिम था

कासिम के भाई मोहम्मद सलीम का कहना है कि इस मामले में गाय की कोई बात ही नहीं थी. सलीम ने बताया, कासिम मवेशियों की खरीद-फरोख्त करता था. इस दिन वह पहली बार बझेड़ा खुर्द गांव गया था. कासिम को सुबह एक फोन आया था, जिसके बाद वह करीब 11 बजे घर से निकला था. वह अक्सर मवेशियों की खरीद-फरोख्त के लिए आसपास के गांवों में जाया करता था. इसलिए हम लोगों ने कोई खास ध्यान नहीं दिया. कुछ घंटों बाद पुलिस ने हमें बताया कि कासिम को हॉस्पिटल ले गए हैं. पुलिस ने बताया कि पड़ोसी गांव के लोगों की भीड़ ने उसके साथ मारपीट की है.

सलीम का आरोप है कि यह धार्मिक दुश्मनी का मामला है. उनका कहना है, 'हिंदुओं ने इकट्ठे होकर मेरे भाई को सिर्फ इसलिए मार दिया, क्योंकि वह मुस्लिम था. गाय की तो कोई बात ही नहीं थी. गाय की बात तो सिर्फ अपना गुनाह छिपाने के लिए लाई जा रही है. आप वीडियो में भी सुन सकते हैं, उन्होंने मेरे भाई को पानी तक देने से देने से तक इनकार कर दिया, क्योंकि वह मुस्लिम था.'

कासिम की पत्नी को न्याय की आस

हमारे घर में कासिम ही अकेला कमाने वाला था. उसकी ही कमाई से हमारा घर चलता था...मेरा और मेरे बच्चों का पेट भरता था. अब हमारा ख्याल कौन रखेगा?
नशीम, कासिम की पत्नी

फिलहाल, दोनों गांवों के बीच तनाव का माहौल है. एहतियात के तौर पर पीएसी की दो कंपनियों को बझेड़ा खुर्द और मदापुर गांव में शांति बनाए रखने के लिए तैनात किया गया है.

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