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प्रेग्नेंट महिला की मौत के बाद अस्पताल ने थमाया 18 लाख का बिल

मामला हरियाणा के फरीदाबाद के एशियन हॉस्पिटल का है. महिला और उसके गर्भ में पल रही 7 महीने की बच्ची की मौत.

Published
भारत
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प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही और इलाज के नाम पर लाखों का बिल बनाने का मामला एक बार फिर सामने आया है. मामला हरियाणा के फरीदाबाद के एशियन अस्पताल का है. जहां बुखार से पीड़ित एक गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रही 7 महीने की बच्ची की 22 दिन के इलाज के दौरान मौत हो गई. इतना ही नहीं, अस्पताल ने महिला के इलाज के बाद 18 लाख रुपए का बिल उसके घरवालों को थमा दिया.

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परिवार के मुताबिक 13 दिसंबर को श्वेता के पिता ने उसे बुखार की शिकायत होने पर अस्पताल में एडमिट कराया था. लेकिन चार पांच दिन के बाद डॉक्टर ने कहा कि बच्चा पेट में ही मर गया है, जिसकी वजह से ऑपरेशन करना पड़ेगा.

श्वेता के परिवार का आरोप है,

श्वेता को बुखार था, लेकिन डॉक्टर ने उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया. बाद में डॉक्टर ने कहा उसे टाइफाइड हो गया है. फिर उसके पेट में इंफेक्शन हो गया है. जिसके लिए डॉक्टर ने कहा ऑपरेशन करना होगा. डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए 3 लाख रुपये मांगे. उन लोगों ने तब तक ऑपरेशन नहीं किया जब तक पैसे नहीं जमा करा दिए गए. हमने इतने दिनों में 10 से 12 लाख रुपये जमा करा दिया था.
श्वेता के चाचा

गर्भ में पल रही 7 महीने की बच्ची की भी मौत

ऑपरेशन में देरी की वजह से श्वेता के पेट में इंफेक्शन हो गया. वहीं ऑपरेशन के दौरान श्वेता के गर्भ में पल रही 7 महीने की बच्ची मृत पाई गई. लेकिन तब तक श्वेता की हालत बिगड़ चुकी थी. उसे डॉक्टर ने आईसीयू में शिफ्ट कर दिया.

परिवार का आरोप है कि डॉक्टर ने आईसीयू में श्वेता से मिलने नहीं दिया. बहुत जिद करने के बाद अस्पताल ने 5 जनवरी को पिता को बेटी से मिलने दिया. आईसीयू में श्वेता से मिलने गए पिता ने बेटी को बुरी हालत में देख परेशान हो गए.

लेकिन उसके बाद अस्पताल की तरफ से जब और पैसे की मांग की गई तो उन्होंने पैसे जमा करने से मना कर दिया जिसके बाद कुछ ही देर में श्वेता को मृत घोषित कर दिया.

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अस्पताल ने किया इंकार

इस मामले में अस्पताल प्रबंधन मृतक के पिता के आरोपों से इनकार कर रहा है. अस्पताल के क्वालिटी एंड सेफ्टी के चेयरमैन डॉ रमेश चांदना का कहना है कि मरीज को टाइफाइड था, गुर्दे भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे, इसलिए मरीज को तुरंत आईसीयू में दाखिल कराया गया. मरीज की हालत बीच में सुधार था और उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था, लेकिन पेट में इंफेक्शन की वजह से उसे दोबारा आईसीयू में भर्ती करना पड़ा.

वहीं परिवार का आरोप है कि अस्पताल ने कुल 18 लाख रुपये की मांग की थी. श्वेता का परिवार अब जांच की मांग कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल ने श्वेता के शव को उसके परिवार को सौंप दिया है. और बाकी के पैसों को माफ कर दिया है.

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