हरिद्वार (Haridwar) में आयोजित हुई तीन दिवसीय धर्म संसद (Dharm Sansad) की जांच के लिए एसआईटी (SIT) का गठन किया गया है.गढ़वाल के डीआईजी केएस नागन्याल ने कहा कि मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया गया है.
इस तीन दिवसीय धर्म संसद को कुछ दिनों पहले विवादित छवि वाले डासना मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद गिरी ने आयोजित किया था. इस धर्म संसद में अन्नपूर्णा मां, वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी, सागर सिंधु महाराज जैसे लोग शामिल थे.
धर्म संसद में क्या हुआ था?
हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर तक आयोजित हुई इस धर्म संसद में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना, मुसलमानों और ईसाईयों के खिलाफ भड़काऊ भाषणों जैसी बातें बोलकर शपथ समारोह का आयोजन किया गया. इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर भी किया गया था. वीडियो वायरल हो जाने के कई दिनों बाद एफआईआर दर्ज की गई.
मीडिया में आकर अन्नपूर्णा मां, यति नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण ने धर्म संसद के नाम पर दी गई भड़काऊ भाषणबाजी पर कहा था की उन्हें इसक कोई अफसोस या पश्चाताप नहीं है.
सोशल मीडिया पर धर्म संसद को लेकर लगातार उठ रहे सवालों के बाद उत्तराखंड पुलिस ने हरिद्वार धर्म संसद में दी गई भड़काऊ भाषणबाजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. जिसमें सिर्फ वसीम रिजवी उर्फ जीतेन्द्र नारायण त्यागी को नामजद किया गया था और बाकि अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी थी.
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी समेत तमाम रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस धर्म संसद में हुई भड़काऊ भाषणबाजी के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की थी. विपक्ष भी उत्तराखंड में बीजेपी पर भड़काऊ भाषण देने वालो पर कार्यवाही के लिए लगातार दबाव बना रहा था.
इस धर्म संसद के खिलाफ उत्तराखंड के देहरादून और हरिद्वार में कई मुस्लिम संगठनो ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन भी किये थे.
पीएम, राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र
हरिद्वार में आयोजित हुई इस धर्मसंसद के खिलाफ तीन पूर्व सेना प्रमुख समेत कई नामी हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया. और इन धर्म संसदों में मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ की गई भड़काऊ भाषणबाजी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भी देश के चीफ जस्टिस एनवी रमन को चिट्ठी लिख कर मामले में स्वतः संज्ञान लेने की अपील की थी. वकीलों ने घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि अगर नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई नहीं होती है तो सुप्रीम कोर्ट तुरंत मामले का संज्ञान ले.
पुलिस की अबतक की कार्रवाई
शुरुआत में इस धर्म संसद के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस ने सिर्फ जीतेन्द्र नारायण त्यागी को नामजद किया. बाकी नामो को शामिल ना करने पर उत्तराखंड पुलिस का कहना था कि शिकायतकर्ता बाकी लोगों के नाम नहीं जानता इसलिए फिलहाल बाकी नामों को शामिल नहीं किया गया है. लेकिन आगे की जांच के बाद जल्द ही और नाम भी शामिल किये जायेंगे.
इसके बाद एफआईआर (FIR) में यति नरसिंहानंद और सागर सिंधु महाराज का नाम भी शामिल कर लिया गया था. इसकी जानकारी उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने साझा की थी. इसके अलावा धारा 295ए को एफआईआर में शामिल किया गया था.
अब मामलें की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है यह पूछे जाने पर कि क्या मामले के संबंध में कुछ गिरफ्तारियों की भी संभावना है, डीआईजी ने कहा कि अगर जांच में ठोस सबूत मिलते हैं तो निश्चित रूप से. गढ़वाल के डीआईजी केएस नागन्याल ने कहा, "हमने एक एसआईटी का गठन किया है. यह जांच करेगा. अगर इसमें शामिल लोगों के खिलाफ ठोस सबूत मिलते हैं, तो उचित कार्रवाई की जाएगी."
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