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‘लूट कुंभ’: हरिद्वार में बुरे इंतजाम पर रोष, मेला अफसर की पिटाई

शंकराचार्य के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने कुंभ को लूट कुंभ बताया है

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कोरोना महामारी के बीच उत्तराखंड के हरिद्वार में महाकुंभ का आगाज हो चुका है. हमेशा की तरह तमाम पूजापाठ और विधि विधान से साथ कुंभ शुरू हुआ. लेकिन पहले ही दिन से कुंभ की तैयारियों और व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े होने शुरू हो चुके हैं. अपर मेला अधिकारी की पिटाई कर दी गई. अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने मीडिया के सामने ये तक कह दिया कि ये महाकुंभ लूट कुंभ है.

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सुविधाओं को लेकर नाराज संत

कुंभ को लेकर कई महीनों से उत्तराखंड के हरिद्वार में तैयारियां जारी थीं. कोरोना महामारी को देखते हुए तमाम गाइडलाइन बनाईं गईं, उसके बाद नए सीएम ने उन्हें हटाया, लेकिन हाईकोर्ट की फटकार के बाद एक बार फिर कड़े नियम बनाए गए. इस तमाम घटनाक्रम के बावजूद अब व्यवस्थाओं को लेकर साधु-संत नाराज दिख रहे हैं.

दरअसल हर बार महाकुंभ में अलग-अलग अखाड़ों के लिए खास तैयारियां और व्यवस्थाएं की जाती हैं. लेकिन इस बार प्रमुख अखाड़ों में से एक निर्मोही अखाड़े के संत सुविधाओं को लेकर नाराज थे.

आरोप है कि नाराज साधु-संतों ने अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह पर हमला बोल दिया. उनके साथ मारपीट की गई. इस दौरान अपर मेला अधिकारी के साथ मौजूद पुलिस के जवान पर भी हमला किया गया, जिसमें जवान को चोट आई और अस्पताल में भर्ती करना पड़ा.

हिंसा को लेकर अखाड़ा परिषद नाराज

इस घटना की अखाड़ा परिषद की तरफ से निंदा की गई है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने इस मामले को लेकर कहा कि, अगर गलती अखाड़े ने की है, तो इसकी सजा अखाड़े को मिलेगी. मामले में जो भी दोषी है, उसे बक्शा नही जाएगा.

उन्होंने कहा कि सभी अखाड़ों से एक-एक व्यक्ति को लेकर एक कमेटी गठित करेंगे उस कमेटी को एक हफ्ते का वक्त दिया जाएगा. कमेटी जो फैसला सुनाएगी उसके मुताबिक निर्मोही अखाड़े को सजा दी जाएगी. उन्होंने कहा है कि निर्मोही अखाड़े में जो हुआ वह निंदनीय हैं हम उसका विरोध करते हैं.

अब इस मामले में पुलिस दूसरा पक्ष है. पुलिस फिलहाल इस मामले को तूल नहीं देना चाहती है. इसीलिए 7 लोगों की कमेटी बनाने की बात कही गई है. साथ ही बताया गया है कि इस मामले की जांच चल रही है. साथ ही उचित कार्रवाई की भी बात कही गई है.

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क्या हैं समस्याएं?

अब सवाल ये उठता है कि कुंभ में संतों को ऐसी क्या समस्याएं आ रही हैं, तो निर्मोही अखाड़े के संतों का कहना है कि बिजली-पानी की व्यवस्था से वो नाराज हैं. खासतौर पर निर्मोही अखाड़े के कुछ संत बिजली की आपूर्ति को लेकर लगातार नाराज चल रहे थे. जिसके बाद ये पूरी घटना सामने आई. हालांकि अपर मेला अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार नहीं थे, इसे अलग-अलग अधिकारी देखते हैं. लेकिन हरबीर सिंह ऐसे अधिकारी माने जाते हैं, जो हर काम में अपनी भागीदारी निभाते हैं. इसीलिए इस बार उन्हें संतों के गुस्से का सामना करना पड़ा.

अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने लगाए प्रशासन पर आरोप

जगत गुरु शंकराचार्य के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने तो कुंभ को लूट कुंभ बताया है. उन्होंने मेला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि, एक तरफ लोग कोरोना से डरे हुए हैं ,दूसरी तरफ उनमें और डर का माहौल बनाया जा रहा है. भय का वातावरण पैदा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना राजनीतिक नहीं हैं, लेकिन राजनीति के नुमाइंदे इस पर राजनीति कर रहे हैं.

अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि, धर्म पक्का है और धर्म से जुड़े लोग चाहे कुछ भी हो जाए धार्मिक कार्यों में आएंगे. उन्होंने कहा कि हर जगह शराब की दुकानें खुल सकती हैं, क्या वहां कोरोना नहीं फैलता ,शराब की दुकानें खुल सकती हैं लेकिन मठ, मंदिर नहीं, एक देश में एक विधान हो सकता है ,तो एक कानून क्यों नहीं हो सकता. उन्होंने आरोप लगते हुए कहा कि आज कुंभ में कोरोना के नाम पर सिर्फ लोगों को डराने का काम किया जा रहा है. लोगों में भ्रम फैलाया जा रहा है ,जिससे लोग कुंभ में न आएं.

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कोरोना नियमों को लेकर राजनीति

इससे पहले कुंभ मेले में कोरोना नियमों को लेकर खूब राजनीति भी देखने को मिली थी. पहले जब फरवरी के महीने में कुंभ के लिए गाइडलाइन जारी हुई थीं तो कोरोना को लेकर तमाम तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं. इस बात का खयाल रखा गया था कि कुंभ कोरोना का हॉटस्पॉट न बन जाए. लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के कुर्सी से जाते ही नए सीएम तीरथ सिंह रावत ने इन तमाम फैसलों को पलट दिया और ऐलान किया कि हर कोई बिना किसी प्रतिबंध के कुंभ में स्नान करने आ सकता है. ऐलान तब किया गया, जब देश में तेजी से कोरोना मामले बढ़ रहे थे. इस फैसले की जमकर आलोचना भी हुई.

आखिरकार हाईकोर्ट को फटकार लगानी पड़ी और कहा कि कुंभ में आने वालों को कोरोना रिपोर्ट दिखानी होगी. तब जाकर तीरथ सिंह रावत ने कोरोना नियमों में सख्ती बरतनी शुरू की. फिलहाल कुंभ को शुरू हुए दो दिन हुए हैं और सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे हैं, ऐसे में एक महीने तक चलने वाला महाकुंभ उत्तराखंड सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा.

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