ADVERTISEMENTREMOVE AD

आज की घटना ने किसानों को बदनाम किया, कांग्रेस-लेफ्ट का रोल- खट्टर

मनोहर लाल खट्टर को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा, कार्यक्रम हुआ रद्द

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले डेढ़ महीने से दिल्ली में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा किसान पंजाब और हरियाणा से हैं. इसी बीच हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार का विरोध भी तेज है. किसानों को कानूनों के फायदे गिनाने के लिए सीएम खट्टर ने किसान महापंचायत बुलाई थी, लेकिन इसे रद्द करना पड़ा. अब मनोहर लाल खट्टर ने खुद किसानों के इस विरोध पर बयान दिया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमने कभी प्रदर्शन करने से नहीं रोका

हरियाणा के सीएम खट्टर को उनके कार्यक्रम से ठीक पहले किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ा. खट्टर को जिस हैलीपैड पर उतरना था, उसे उखाड़ दिया गया. इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पानी की बौछारें, आंसू गैस और लाठीचार्ज भी किया. इस पूरे बवाल के बाद सीएम खट्टर ने कहा,

“हमारे देश में एक मजबूत लोकतंत्र है, जहां हर किसी के पास अभिव्यक्ति की आजादी है. आरोप लगाने वाले किसानों और उनके नेताओं को हमने कभी भी प्रदर्शन करने से नहीं रोका. उनका आंदोलन जारी है. बल्कि कोरोना के चलते हमने उनके लिए व्यवस्थाएं कीं.”

खट्टर ने उनके कार्यक्रम से पहले हुए प्रदर्शन को लेकर कहा कि किसानों ने प्रशासन को वादा किया था कि वो सिर्फ सांकेतिक प्रदर्शन करेंगे. जिसके बाद किसानों पर भरोसा कर प्रशासन ने अपने स्तर पर सारी व्यवस्थाएं की थीं. आज के कार्यक्रम में 5 हजार से भी ज्यादा लोग मौजूद थे, लेकिन कुछ युवाओं ने उनका वादा पूरा नहीं किया.

खट्टर बोले- आंदोलन के पीछे कांग्रेस, लेफ्ट का रोल

खट्टर ने इस दौरान कांग्रेस पर भी जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि, जो भी अपनी बात रखना चाह रहा है उसे रोकना ठीक नहीं है. मुझे नहीं लगता है कि लोग डॉक्टर बीआर अंबेडकर के बताए सिद्धांतों का उल्लंघन बर्दाश्त करेंगे. 1975 में कांग्रेस ने लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश की थी. उस वक्त लोगों ने उनके इस घिनौने काम को देखा था और उन्हें सत्ता से बाहर फेंक दिया था. खट्टर ने आगे कहा,

ADVERTISEMENTREMOVE AD

"आज की घटना ने लोगों को उससे भी बड़ा मैसेज दे दिया है, जो मैं देने जा रहा था. इन लोगों ने किसानों को नीचा दिखाने का काम किया है, क्योंकि देश के किसानों का व्यवहार ये नहीं हो सकता है. एक किसान कम पढ़ा-लिखा हो सकता है, लेकिन वो सेंसिबल होता है. ये लोग एक्सपोज हो चुके हैं. मुझे लगता है कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों का इन आंदोलनों के पीछे एक अहम रोल है."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×