हरियाणा पुलिस ने 100 से ज्यादा किसानों पर डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा के आधिकारिक वाहन पर कथित हमले और नुकसान पहुंचाने के लिए सेडिशन का केस दर्ज किया है. घटना तब हुई, जब किसान हरियाणा की सत्ताधारी बीजेपी-जननायक जनता पार्टी गठबंधन के सदस्यों और कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
कथित हमला 11 जुलाई को हरियाणा के सिरसा जिले में हुआ था. FIR भी उसी दिन दर्ज हुई थी.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सेडिशन के अलावा FIR में किसानों पर हत्या की कोशिश का आरोप भी लगाया गया है. किसान आंदोलन के दो नेता हरचरण सिंह और प्रह्लाद सिंह भी FIR में नामित हैं.
किसान मोर्चा ने आरोपों को 'झूठा' बताया
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने इन आरोपों की आलोचना की है और इन्हें 'झूठा, हल्का और खुद से बनाए हुए' बताया है. मोर्चा ने कहा कि वो आरोपों को कोर्ट में चुनौती देगा.
SKM ने अपने एक बयान में कहा, "किसान नेता हरचरण सिंह और प्रह्लाद सिंह और करीब 100 किसानों को झूठे मामलों में फंसाया गया है... सेडिशन का गंभीर आरोप लगाया है... सिर्फ इसलिए क्योंकि वो सिरसा में हरियाणा के डिप्टी स्पीकर के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे."
सेडिशन पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने सेडिशन कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताई है और इस कानून की वैधता को चुनौती देने वाली ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की याचिका समेत याचिकाओं के समूह पर केंद्र से जवाब मांगा है.
चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि उसकी मुख्य चिंता कानून का दुरुपयोग है और उसने पुराने कानूनों को निरस्त कर रहे केंद्र से सवाल किया कि वो इस कानून को हटा क्यों नहीं कर रहा.
कोर्ट ने कहा कि सेडिशन कानून का मकसद स्वतंत्रता संग्राम को दबाना था, जिसका इस्तेमाल अंग्रेजों ने महात्मा गांधी और अन्य को चुप कराने के लिए किया था. इस बीच, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस कानून की वैधता का बचाव करते हुए कहा कि कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ दिशानिर्देश बनाए जा सकते हैं.
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