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हरियाणा हिंसा:सोहना में पहले शांति बैठक,फिर उपद्रवियों ने की मस्जिद में तोड़फोड़

Haryana Violence: 'अधिकारियों के आश्वासन के कारण हम पहले नहीं भागे, लेकिन अब पछतावा हो रहा'- सोहना मस्जिद के सदस्य

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हरियाणा (Haryana Riots) के नूंह से शुरू हुई हिंसा राज्य के विभिन्न हिस्सों में पांव पसार चुकी है. मंगलवार, 1 अगस्त को हरियाणा के सोहना में एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई. शाही जामा मस्जिद पर मंगलवार को दोपहर करीब 2 बजे हमला किया गया. गौरतलब है कि हमले के कुछ ही घंटों पहले पुलिस और जिला प्रशासन ने इलाके में शांति मार्च निकाला था.

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मस्जिद के केयरटेकर शमीम अहमद ने दावा किया कि लगभग 200 लोगों की भीड़ थी, जिनके चेहरे ढके हुए थे, यह लोग दोपहर के वक्त अंदर घुस आए और "उनके सामने जो कुछ आया" उसे बर्बाद करना शुरू कर दिया.

अहमद ने द क्विंट को बताया, “हम लगभग 50 लोग थे - जिनमें यहां पढ़ने वाले बच्चे भी शामिल थे. हम मस्जिद के अंदुरनी कमरों में छुपे हुए थे. उन्हें ऐसा लगा होगा कि मस्जिद खाली है, नहीं तो उन्होंने हमें नहीं छोड़ा होता. हम आज मर गए होते.''

अहमद ने कहा कि मस्जिद में रहने वाले लोगों ने सोमवार, 31 जुलाई की हिंसा के बाद अपने-अपने गांव भागने पर विचार किया था, लेकिन अधिकारियों के आश्वासन के कारण वे वहीं रुक गए.

क्षतिग्रस्त मस्जिद के पायदान पर बैठे अहमद ने द क्विंट को बताया, “सुबह एक शांति बैठक थी. स्थानीय लोगों ने भी हमें बताया कि हमें अब जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब सब कुछ ठीक है. उस आश्वासन और विश्वास की वजह से हम रुके थे, लेकिन अब हमें इसका पछतावा है.''

मस्जिद के प्रार्थना कक्ष में तोड़फोड़ की गई, खिड़कियां टूट गईं और कांच के टुकड़े चारों ओर फैल गए. मस्जिद समिति के एक सदस्य की वैन, शौचालय, पंखे और अन्य सामान भी क्षतिग्रस्त हो गए.

सोहना शहर पुलिस SHO ने द क्विंट से पुष्टि की कि मामले में "अज्ञात व्यक्तियों" के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

भीड़ कैसे घुसी?

मंगलवार को लगभग 12:30 बजे, द क्विंट ने सोहना में पुलिस कारों और जिला अधिकारियों के एक काफिले को "शांति मार्च" या "शांति रैली" निकालते हुए देखा था. यह दिखाता है कि अब शांति होने की संभावना है. इसके अलावा, अहमद का कहना है कि, "सोमवार रात से मस्जिद में बीस पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई हिंसा न हो. वजह है कि यह क्षेत्र की सबसे बड़ी और सबसे प्रमुख मस्जिद है.

"दोपहर में (मंगलवार को), 1:30 बजे से 2 बजे के बीच मुख्य सड़क पर मस्जिद से कुछ मीटर की दूरी पर कुछ शोर और हुड़दंग हुआ. तो पुलिस वहां पहुंचीं. भीड़ ने ध्यान भटकाने के लिए इसी का इस्तेमाल किया और हमारी मस्जिद में घुस गयी.''
अहमद

मस्जिद समिति के एक अन्य सदस्य मोहम्मद फरमान ने दावा किया कि तोड़फोड़ 15-20 मिनट तक चली.

फरमान ने द क्विंट को बताया, “आखिरकार, पुलिस आई और उसने हवा में गोलियां चलाईं. इससे भीड़ भाग गई. हम तभी अपने कमरों से बाहर आ पाए.''

फरमान ने कहा, मस्जिद के बगल वाली गली में बड़ी संख्या में सिख आबादी है और एक गुरुद्वारा भी है. “भीड़ के भाग जाने के बाद, सिख समुदाय के कई सदस्य हमारी मदद के लिए आगे आए. उन्होंने हमारे परिवारों की महिलाओं और बच्चों के लिए बसों की व्यवस्था की और उन्हें उनके गांव वापस जाने में मदद की.”

अहमद ने कहा लेकिन मस्जिद के सदस्य इस घटना से काफी सहमे हुए नजर आ रहे हैं. “अब मेरे लिए आशा या विश्वास की भावना फिर से वापिस लाना मुश्किल है. हमने आज मौत को इतने करीब से देखा, यह अविश्वसनीय है. मेरा परिवार पचास साल से इस मस्जिद में रह रहा है और इस तरह की कोई घटना कभी नहीं हुई.''

सोमवार को हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा हुई थी, जो नूंह से शुरू होकर सोहना और गुरुग्राम तक फैल गई है. राज्य में अब तक कुल पांच लोगों के मारे जाने की खबर है. इसमें नूंह में दो पुलिस अधिकारी और दो स्थानीय लोग और गुरुग्राम के सेक्टर 57 में एक नायब इमाम शामिल हैं. गुरुग्राम में नायब इमाम की मंगलवार सुबह हत्या कर दी गई और मस्जिद में भी आग लगा दी गई.

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