केरल सरकार सोमवार को निपाह वायरस को लेकर एक्शन में आई. राज्य में निपाह वायरस से संक्रमित रोगियों के होने की आशंका जताई गई है. ऐसे में एक बार फिर से भारत में निपाह वायरस पर बात होने लगी है. केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने राज्य के लोगों को सतर्क रहने और स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है. विजयन के मुताबिक सरकार ने निपाह वायरस पर नजर बना रखी है और निपाह से निपटने के लिए तैयार है.
बता दें कि केरल के कोच्चि में एक निजी अस्पताल में 23 साल का एक कॉलेज स्टूडेंट भर्ती हुआ है. जिसे लेकर ये आशंका जताई जा रही है कि वो निपाह वायरस से संक्रमित है. हालांकि इसकी पुष्टि के लिए पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) से रिपोर्ट मिलने का इंतजार है.
केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले में कहा..
‘‘हमें संदेह है कि एर्नाकुलम में रोगी निपाह वायरस से संक्रमित है, अलाप्पुझा वायरोलॉजी संस्थान के टेस्ट रिजल्ट इस ओर संकेत कर रहे हैं. हालांकि, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक टेस्ट कराने की आवश्यकता है. हम अभी पुणे वायरोलॉजी सेंटर के टेस्ट रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं.’’के के शैलजा, स्वास्थ्य मंत्री केरल
क्या है ये निपाह वायरस?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक निपाह वायरस (NiV) तेजी से फैलता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है.
सबसे पहले 1998 में मलेशिया के एक गांव 'सांगुई निपाह' में इस वायरस का पता चला और ये नाम इसे वहीं से मिला. इस बीमारी के चपेट में आने की पहली घटना तब हुई जब मलेशिया के खेतों में सूअर, फ्रूट बैट (चमगादड़ की एक प्रजाति) के संपर्क में आए. ये जंगलों की कटाई की वजह से अपना घर गंवा चुके थे. खेतों तक पहुंच गए थे.
NiV प्राकृतिक रूप से टेरोपस जीनस के फ्रूट बैट में पाया जाता है.
हमारे इको सिस्टम में लाखों फ्रूट बैट हैं- वे हमारे सर्वाइवल के लिए महत्वपूर्ण हैं. इंसानों और चमगादड़ों में बहुत सी एक जैसी आम बीमारियां होती हैं. सूअरों में भी इंसानों जैसी बीमारियां होती हैं. इसलिए जब इनके हैबिटैट को नुकसान पहुंचाया जाता है तो इनसे बीमारियों के इंसानों तक पहुंचने की संभावना अधिक होती है.
(इनपुट भाषा से)
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