हाथरस में 20 साल की युवती के सात हुई हैवानियत के मामले में तमाम सवाल खड़े होने के बाद अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट ने हाथरस मामले में संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
बता दें कि हाथरस मामले को लेकर यूपी सरकार और यूपी पुलिस को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. जिन पर देशभर के लोगों का गुस्सा देखा जा सकता है.
हाईकोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार के चीफ सेक्रेट्री, पुलिस चीफ, एडिशनल डीजीपी, हाथरस के डीएम और एसपी को नोटिस जारी कर घटना को लेकर जवाब मांगा है.
मानवाधिकार आयोग का भी नोटिस
हाईकोर्ट से पहले इस मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी योगी सरकार और यूपी पुलिस को नोटिस जारी किया है. आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि ये मामला दो समुदायों के बीच का है इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए मृतका के परिवार और गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा दें, साथ ही सरकार को 4 हफ्तों के अंदर नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है.
मानवाधिकार आयोग के अलावा महिला आयोग ने भी आधी रात को हुए अंतिम संस्कार पर यूपी के डीजीपी से जवाब मांगा है.
प्रशासन पर कई सवाल
हाथरस में 20 साल की लड़की के साथ हुई दरिंदिगी के मामले को लेकर यूपी पुलिस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. 14 सितंबर को हुई इस हैवानियत के बाद जहां पुलिस पर पीड़ित परिवार की बात नहीं सुनने और देरी से कार्रवाई करने का आरोप लगा, वहीं इसके बाद पुलिस ने अब ये मानने से इनकार कर दिया है कि पीड़िता के साथ किसी भी तरह का कोई दुष्कर्म हुआ था. जबकि पीड़िता ने खुद होश में आकर ये बात कबूली थी.
वहीं पुलिस ने खुद इस मामले में गैंगरेप का केस दर्ज किया था. इसके अलावा पुलिस ने जल्दबाजी दिखाकर आधी रात को पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया. जिसका जवाब अब तक पुलिस और सरकार नहीं दे पाई है. इस अंतिम संस्कार में पिता और भाई को शामिल नहीं किया गया. जिसे लेकर यूपी सरकार के खिलाफ लोग गुस्से में हैं.
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