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"झूठ बोला, मौत के बाद सबूत छिपाए", FIR में दर्ज हाथरस में कैसे मची भगदड़?

FIR में आयोजकों पर आरोप है कि घटना के ठीक बाद उन्होंने घायलों की मदद के लिए कोई सहयोग नहीं किया.

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हाथरस में 2 जुलाई को सिकंदराराऊ के फुलरई-मुगलगढ़ी गांव में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई. इस हादसे में अब तक 116 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा कई घायलों का इलाज जारी है. मामले में दर्ज हुई FIR से पता चलता है कि भोले बाबा के सत्संग से निकलने के ठीक बाद ये हादसा हुआ. FIR में भोले बाबा का नाम नहीं है और आयोजकों का नाम शामिल हैं. ये घटना हुई कैसे? और FIR से क्या-क्या पता चलता है?

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FIR- अनुमति नहीं ली गई

बृजेश पांडे, उपनिरीक्षक चौकी प्रभारी पोरा थाना सिकन्दरा राउ ने FIR दर्ज की है. एफआईआर के मुताबिक, 2 जुलाई को फुलरई-मुगलगढ़ी गांव के जीटी रोड के पास भोले बाबा के सत्संग का कार्यक्रम प्रस्तावित था. इसके आयोजनकर्ता मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजनकर्ता हैं.

आयोजनकर्ता ने प्रशासन को कार्यक्रम में जुटने वाली लाखों लोगों की भीड़ की स्थिति को छिपाते हुए इस कार्यक्रम में करीब 80 हजार की भीड़ (श्रृद्धालू) जमा होने की अनुमति मांगी थी. इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा, शान्ति व्यवस्था और यातायात प्रबंधन किया.

लेकिन कार्यक्रम में आसपास के गांव और राज्यों से लगभग 2.5 लाख से ज्यादा श्रृद्वालुओं की भीड़ जमा हो गई जिसके कारण जीटी रोड पर यातायात प्रभावित हो गया.

FIR से ये साफ पता चलता है कि कार्यक्रम की अनुमति तो ली गई थी लेकिन लोगों की भीड़ के बारे में आयोजकों ने सही जानकारी नहीं दी. FIR में आयोजकों पर जानकारी छिपाने का आरोप है.

यहां देखें- जिलाधिकारी कार्यालय से भी यही जानकारी मिली है.

FIR में आयोजकों पर आरोप है कि घटना के ठीक बाद उन्होंने घायलों की मदद के लिए कोई सहयोग नहीं किया.

जिलाधिकारी हाथरस

(फोटो- क्विंट हिंदी)

कैसे मची भगदड़?

FIR आगे बताती है कि, कार्यक्रम समाप्त होने के बाद प्रवचनकर्ता सूरजपाल उर्फ भोले बाबा अपनी गाड़ी में सवार होकर कार्यक्रम स्थल से दोपहर करीब 2 बजे निकल गए.

इसके बाद श्रृद्धालुओं ने उनकी गाड़ी के गुजरने के मार्ग से धूल समेटना शुरु कर दिया. इस दौरान कार्यक्रम स्थल से लाखों श्रद्धालुओं की बेतहाशा भीड़ बाहर निकल रही थी ऐसे में भीड़ के दवाब के कारण नीचे बैठे, झुके श्रृद्धालू दबने और कुचलने लगे, चीखपुकार मच गई. प्रबंधन में जुटे आयोजनकर्ताओं ने हाथों में लिये डंडों से जबरदस्ती भीड़ को रोक दिया जिसके कारण दवाब बढता चला गया और महिला, बच्चे और पुरुष दबते कुचलते चले गए.

इसी भगदड़ में लगी चोट से कई महिलाएं, बच्चे और पुरुषों की मौत हो गई. मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हर संभव प्रयास करते हुए लाखों की भीड के दबाव से घायल और बेहोश हुए लोगों को अस्पताल भिजवाया. लेकिन आयोजनकर्ताओं और सेवादारों ने कोई सहयोग नहीं किया.

घायलों को जनपद हाथरस, अलीगढ, एटा और आसपास के इलाकों के अस्पतालों में उपचार के लिए भिजवाया गया. उच्चाधिकारियों को सूचित करते हुए राहत और बचाव कार्य के लिए अतिरिक्त पुलिस बल और संसाधनों की मांग की गई. आयोजनकर्ताओं ने कार्यक्रम में एकत्रित होने वाली भीड़ की संख्या को छिपाकर अत्याधिक लोगों को बुलाया. साथ ही कार्यक्रम स्थल पर यातायात नियंत्रण के लिए आयोजकों ने शर्तों का पालन नहीं किया.

FIR में आयोजकों पर आरोप है कि उन्होंने यातायात नियंत्रण के लिए आयोजकों ने शर्तों का पालन नहीं किया. साथ ही भगदड़ के बाद घायल हुए लोगों की मदद के लिए कोई सहयोग नहीं किया.
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सबूत छिपाए गए?

FIR में ये भी आरोप लगाया गया है कि आयोजकों ने सबूतों से छेड़छाड़ की और सबूत मिटाने और छिपाने की कोशिश भी की है.

एफआईआर के मुताबिक, भगदड़ में जिन लोगों की मौत हुई या जो घायल या बेहोश हुए उन लोगों के मौके पर कुछ सामान जैसे, कपड़े, जूते-चप्पल छूट गए थे, जिन्हें आयोजकों ने उठा कर पास के खेत में फेंक कर साक्ष्य छिपाया.

आयोजकों पर नए कानून भारतीय न्याय सहिंता की धारा 105, 110, 126 (2), 223, 238 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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