राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कोरोना हालातों पर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र के ऑक्सीजन के इंडस्ट्रियल सप्लाई को बैन करने वाले फैसले पर सवाल उठाए हैं. केंद्र ने फैसला किया था कि 22 अप्रैल से ऑक्सीजन को औद्योगिक इस्तेमाल के लिए बैन किया जाएगा. कोर्ट का कहना है कि- 'आप (केंद्र) इसे आज से ही बैन क्यों नहीं करते हैं. हर एक जिंदगी अहम और कीमती है.'
कोर्ट ने कहा कि अगर ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए अगर कुछ नहीं किया जाता है तो देश बड़ी आपदा की तरफ आगे बढ़ेगा. पहली प्राथमिकता लोगों की जिंदगी बचाना होना चाहिए.
दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली वाली डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की.
केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि 'भारत सरकार सभी संभावित कदम उठा रही है और आगे भी फैसले लेने के लिए प्रतिबद्ध है. केंद्र, राज्य सरकारों की जो भी मदद कर सकता है वो करेगा.'
वैक्सीन की बर्बादी पर कोर्ट ने जताई चिंता
वैक्सीन की भारी बर्बादी पर कोर्ट ने अपनी नाखुशी जताई. कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि वो सुनिश्तिच करें कि वैक्सीन की बर्बादी ना हो.
ये भारी बर्बादी है. वैक्सीन उन्हें ही दी जानी चाहिए जिन्हें इनकी जरूरत है. जिन्हें भी आप वैक्सीनेट कर सकते हैं, कृपया उन्हें वैक्सीनेट करें. चाहे 16 साल का युवा हो या 60 साल का वृद्ध. महामारी भेदभाव नहीं करती.दिल्ली हाईकोर्ट
कोर्ट ने कहा कि 'इस बार युवाओं पर कोरोना का ज्यादा असर देखने को मिल रहा है. कई युवाओं ने इस दौरान अपनी जान गंवाई है.'
ऑक्सीजन सप्लाई पर कोर्ट की केंद्र को नसीहत
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि 'ऑक्सीजन की सप्लाई की अच्छी तरह से जांच परख कर करें. केंद्र इस मामले में सभी स्टेकहोल्डर्स से बात करे ताकि उपलब्ध ऑक्सीजन के ज्यादातर हिस्से का इस्तेमाल मौजूदा स्थिति से उबरने में काम आ सके.'
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