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‘वैक्सीन मिक्सिंग का प्रोटोकॉल नहीं’, मंत्रालय ने क्या-क्या कहा?

देश में 34 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां केस पॉजिटिविटी में लगातार एक हफ्ते से कमी देखी जा रही है.

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कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोज ही देशभर में दी जा रही हैं. ये नियम जारी रहेगा, इसमें किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं होगा. साथ ही जिस किसी को कोरोना वायरस की जिस ब्रांड की वैक्सीन लगी है, उसे दूसरी डोज भी उसी ब्रांड की दी जाएगी, इसमें भी किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है. ये जानकारी नीति आयोग के मेंबर डॉ वीके पॉल ने स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी. दरअसल, ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि कोविशील्ड की अब सिर्फ एक ही वैक्सीन लगाई जा सकती है या वैक्सीन मिक्सिंग की भी बात हो रही थी जिसपर वीके पॉल ने जानकारी दी है.

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कुछ खबरें ऐसी चल रही हैं कि कोविशील्ड की सिर्फ एक डोज लगेगी. ये साफ किया जाता है कि भारत में कोविशील्ड का दो डोज का शेड्यूल है और दो ही डोज लगेगा. कोवैक्सीन की भी डोज लगेगी. इसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा.मिक्सिंग ऑफ डोज की बात हो रही है, जिसपर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं, भारत में ये साफ-साफ है कि जो आपको वैक्सीन पहली बार में लगा है दूसरी डोज में भी वही लगेगा है. कोई भी बदलाव नहीं किया गया है.
डॉ वीके पॉल,मेंबर, नीति आयोग

वैक्सीन की कोई कमी नहीं- स्वास्थ्य मंत्रालय

वैक्सीन की कमी की रिपोर्ट्स पर अब स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि वैक्सीन की कमी नहीं है और जुलाई के आखिरी या अगस्त से भारत के पास इतना वैक्सीन होगा जिससे एक करोड़ वैक्सीन एक दिन में लगाए जा सकेंगे. आईसीएमआर के डीजी डॉ बलराम भार्गव का कहना है कि दिसबंर तक ये अनुमान है कि पूरे देश को वैक्सीन दे दी जाए.

बता दें कि देशभर में अबतक 21.60 करोड़ वैक्सीन डोज दी जा चुकी हैं. पहली डोज 17.12 करोड़ और दूसरी डोज 4.48 करोड़ डोज ले चुके हैं. वहीं 1 मई से 18 से 44 साल की उम्र के लोगों को वैक्सीन दी जा रही है. इस आयु वर्ग में पहली डोज 2.03 करोड़ डोज दी गई है, दूसरी डोज 23,629 लोगों को दी गई हैं.

देशभर से कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमे होने के मिल रहे संकेत!

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और आईसीएमआर डीजी डॉ बलराम भार्गव ने अलग-अलग आंकड़े देकर ये बताया कि बीच में जिस तेजी से कोरोना वायरस की रफ्तार बढ़ रही थी, अब उस तेजी में कमी आने के संकेत मिल रहे हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक-

  • देश में 29 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ऐसे हैं जहां प्रतिदिन 5000 से कम मामले दर्ज किए जा रहे हैं. 28 अप्रैल से 4 मई के बीच देश में 531 ऐसे जिले थे जहां प्रतिदिन 100 से अधिक मामले दर्ज किए जा रहे थे. ऐसे जिले अब 295 रह गए हैं.
  • देश में 34 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां केस पॉजिटिविटी में लगातार कमी एक हफ्ते से देखी जा रही है. जैसे- उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, बिहार, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश में केस पॉजिटिविटी 5 फीसदी से भी कम दर्ज की गई है.
लव अग्रवाल ने बताया है कि राज्यों को निर्देश दिया गया है कि कोशिश ये होनी चाहिए कि केस पॉजिटिविटी पांच फीसदी से कम होनी चाहिए.

ऐसे में 7 मई से 31 मई के बीच केस पॉजिटिविटी पर नजर डालें तो-

  • पहले जहां देश में 92 जिले थे जहां पॉजिटिविटी रेट 5 फीसदी से कम थी, वो 344 जिले हो गए हैं. मतलब 252 नए जिले ऐसे आए हैं जहां कोरोना की केस पॉजिटिविटी 5 फीसदी कम लगी है.
  • आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव कहते हैं कि अप्रैल के पहले हफ्ते में 200 जिले से कम जिलों में 10 फीसदी से ज्यादा पॉजिटिविटी दर्ज की गई थी.
  • अप्रैल के लास्ट हफ्ते में करीब 600 जिले ऐसे हो गए जहां 10 फीसदी से ज्यादा पॉजिटिविटी दर्ज की गई थी.
  • 1 जून को 239 जिले देश में ऐसे हैं जहां 10 फीसदी से ज्यादा केस पॉजिटिविटी है.
  • 144 जिले ऐसे हैं 5 से 10 फीसदी पॉजिटिविटी है.
  • 350 ऐसे हैं जहां 5 फीसदी से कम केस पॉजिटिविटी है.

डॉ भार्गव कहना है कि ये आंकड़े इस बात के संकेत हैं कि सही दिशा में काम किया जा रहा है और कंटेनमेंट और टेस्टिंग से संक्रमण पर काबू पाया जा सकता है लेकिन ये स्थायी समाधान नहीं है. कोरोना कर्फ्यू में ढील देने को लेकर वो कहते हैं, ये तभी होना चाहिए जब जिलों में ये तीन स्तंभ मजबूत कर दिए जाएं-

  • टेस्ट पॉजिटिविटी रेट जिले में एक हफ्ते का औसत 5 फीसदी से कम होनी चाहिए.
  • जिले में बुजुर्ग, कोमॉर्बिडिटी वाले लोगों और जिन्हें संक्रमण का खतरा है, उनको वैक्सीनेट किया जाएगा. ऐसे 70 फीसदी लोगों का वैक्सीनेशन हो.
  • कम्युनिटी ऑनरशिप. मतलब कि लोग कोरोना से लड़ने में अपनी तरफ से एक समाज के तौर पर भागीदारी दिखाएं.

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