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कैप्टन वरुण ने जान की बाजी लगा किया था 'तेजस' को सुरक्षित, मिला था शौर्य चक्र

कैप्टन वरुण सिंह ने फाइटर प्लेन तेजस को अपनी सूझबूझ से कई हजार फुट की ऊंचाई पर क्रैश होने से बचाया था.

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(इस खबर को 9 दिसंबर 2021 को पब्लिश किया गया था. क्विंट के आर्काइव से इसे दोबारा पब्लिश किया जा रहा है.)

तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार 8 दिसंबर को हुए IAF Mi-17V5 हादसे में घायल हुए इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Captain Varun Singh) का निधन हो गया है. इस हादसे में CDS जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका समेत 13 जवानों की मौत हो गई थी. इस हादसे में कैप्टन वरुण सिंह इकलौते जीवित बचे थे और उनका वेलिंग्टन के सैन्य अस्पताल में चल रहा था.

कैप्टन वरुण सिंह एयरफोर्स के बेहतरीन पायलटों में से एक हैं. कैप्टन को 2020 में मिड एयर इमरजेंसी में अपनी सूझबूझ से निपटने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया जा चुका है.

12 अक्टूबर 2020 को तेजस के फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम में गड़बड़ी आ गई थी. प्लेन काफी ऊंचाई पर था और उसके कॉकपिट के प्रेशर सिस्टम में खराबी आ गई थी.

शौर्य चक्र दिए जाने के दौरान, रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया कि कैप्टन ने समस्या की पहचान कर लैंडिंग के लिए कम ऊंचाई पर उतरने की पहल की. उतरते समय फ्लाइट का कंट्रोल खो गया क्योंकि फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम फेल हो गया था.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक,

ये ऐसी विफलता थी जो पहले कभी नहीं हुई थी. जिंदगी दांव पर लगने की स्थिति में शारीरिक और मानसिक तनाव के बावजूद कैप्टन ने संयम बनाए रखा और विमान पर कंट्रोल हासिल कर लिया. इससे उनकी असाधारण फ्लाइंग स्किल देखने को मिली.
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जब विमान ने फिर से खो दिया नियंत्रण

करीब 10000 फीट की ऊंचाई पर विमान ने फिर से अपना नियंत्रण खो दिया, लेकिन कैप्टन वरुण सिंह ने संयम रखते हुए तेजस फाइटर प्लेन को सुरक्षित उतारा.

"खुद के जीवन के संभावित खतरे का सामना करते हुए, उन्होंने लड़ाकू विमान को सुरक्षित रूप से उतारने के लिए असाधारण साहस और कौशल का प्रदर्शन किया. पायलट ने ड्यूटी कॉल से परे जाकर रिस्क लिया और विमान को उतारा. उन्होंने न केवल LCA के नुकसान को टाला, बल्कि नागरिक संपत्ति और जमीन पर लोगों की भी रक्षा की"
रक्षा मंत्रालय, शौर्य चक्र दिए जाने के वक्त

कैप्टन को उनके कौशल और साहस के लिए 15 अगस्त 2021 को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.

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