फेसबुक मसाला चिप्स के पैकेट जैसा है, आप इसके हर बाइट का मजा लेते हुए इसे खाते रहना चाहते हैं, लेकिन ज्यादा खाने के बाद आप खुद को बीमार महसूस करने लगते हैं. अंत में आप इन ऑइली चिप्स को डस्टबिन में फेंककर इनसे पीछा ही छुड़ाना चाहते हैं.
जी हां, आप फेसबुक भी ऐसा ही है. आप इसे प्यार करें या इससे नफरत करें, पर इसे इग्नोर तो कतई नहीं कर सकते.
हमारी जिंदगियों में ‘लाइक’, ‘शेयर’, ‘टैग’ और ‘चेक-इन’ जैसे शब्दों को घोलने के बाद अब मार्क जकरबर्ग ने हमपर ‘डिसलाइक’ बटन नाम के हथियार को आजमाने का फैसला किया है. उनके इस फैसले ने हमें, द क्विंट के लोगों को, सोच में डाल दिया कि हम इस डिसलाइक बटन को कैसे इस्तेमाल करना चाहेंगे.
तो लो भइया, हमने यही बात बताने के लिए आपको भी टैग कर लिया!
जब आपके पास चालीसों नोटिफिकेशन सिर्फ इसलिए आ जाते हैं क्योंकि किसी ने आपको एक तस्वीर में टैग किया होता है, तब क्या आपको झल्लाहट नहीं होती? और वह भी एक ऐसी तस्वीर जिससे आपका दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं होता.
इससे भी बुरा तब होता है जब कोई आपकी उस तस्वीर में टैग कर दे जिसमें आप देर रात तक पार्टी करने के बाद नशे में धुत्त नजर आते हैं. अब बताइए, अगली सुबह कोई अपने हैंगओवर से पीछा छुड़ाए या टैगिंग के इस आतंक से निपटे! शुरू-शुरू में तो टैगिंग के इस खेल में बड़ा मजा आता था पर बाद में यह एक सरदर्द बन गया.
टैगस्टर का पोस्ट: कल रात बहुत मजा आया. @दिव्या, यह तस्वीर तुम्हें कैसी लगी? हम्म.. डिसलाइक.
‘क्योंकि बहुत कूल हूं मैं’
डींग हांकने वाले लोग हम सभी को सख्त नापसंद होते हैं, फिर चाहे वह असल जिंदगी में हों या वर्चुअल लाइफ में. डींगबाज जोंक की तरह होते हैं, जो आपके जीवन से सारी खुशियां चूस लेते हैं.
ये जीवन को खूबसूरत दिखाने वाले तमाम स्टैटस पोस्ट करते रहते हैं, और आप उसी पल चाहते हैं कि आप अपने दुखों को कहीं किसी समंदर में डुबा दें. चाहे उनकी अच्छी-खासी जॉब हो, पर्फेक्ट बॉडी हो, प्यारे-प्यारे दोस्त हों या अच्छा खाना हो, फेसबुक पर वे अपनी सारी जिंदगी उड़ेल कर रख देते हैं.
लेकिन आप ‘वाह, कितनी सुहानी सुबह है’ जैसी उनकी पोस्ट पर डिसलाइक बटन दबाकर ऐसे दमघोंटुओं से भी दो कदम आगे निकल सकते हैं.
ब्रैगर की पोस्ट: मैं अपनी फरारी से बहुत प्यार करता हूं. कितनी तेज है ये!उप्स... डिसलाइकतेरी तो!
तेरा ध्यान किधर है, अपन तो इधर है!
इंटरनेट एक लिबरल जगह है. यह एक मेगाफोन की तरह है जिसके जरिए सब अपनी बात कह-सुन सकते हैं. लेकिन यह अभी भी किसी व्यक्ति को फेसबुक पर गाली देने का अधिकार नहीं देता.
तब आपको कैसा लगता है जब आप किसी की गालियों से भरी पोस्ट पढ़ते हैं? इनमें से कुछ पोस्ट को जस्टिफाई किया भी जा सकता है, पर उनका क्या जो सिर्फ आपका ध्यान पाने के लिए और कूल दिखने के लिए फेसबुक पर चिपका दिए जाते हैं. ऐसे पोस्ट को दुत्कारना तो बनता ही है.
गाली वाली पोस्ट: चू***पा है सब! आज मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा. क्या करूं मैं?भक्क *&&^&^... डिसलाइक.
प्यार, इश्क और मोहब्बत
ईमानदारी से बताइएगा, क्या कोई भी ऐसा दिन बीता है जब किसी की शादी, मंगनी, हनीमून वगैरह का कोई एल्बम आपकी टाइमलाइन पर चिपका हुआ न मिला हो. फेसबुक पर प्यार वगैरह दिखाना अब फैशन हो गया है.
ऐसे ही पोस्ट की वजह से सोसायटी में लवेरिया नाम की संक्रामक बीमारी फैल जाती है और इसे झेलते हैं हम जैसे मासूम. इसका सबसे सही इलाज है डिसलाइक बटन दबा दो. काम खल्लास.मुझे प्यार हुआ है वाली पोस्ट: एक मस्तानी शाम को मैं और मेरी वो.चल बेटा! डिसलाइक
ले, ले, ले, ले रे सेल्फी तू ले, ले, रे
इसकी सेल्फी, उसकी सेल्फी... वह एकलौती तस्वीर जो आपके फेसबुक करियर को बुलंदियों पर ले जा सकती है और ध्वस्त भी कर सकती है. एक फ्लॉप डीपी (डिसप्ले पिक्चर) फेसबुक पर आपकी इमेज को हमेशा के लिए बर्बाद कर सकती है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है इसे बार-बार बदलने से सोशल मीडिया के आपके साथियों को कितनी तकलीफ होती है? अब आप चाहे बहामा के बीच पर हों या झुमरी तलैया की सड़कों पर, कोई क्यों परवाह करेगा मेरे भाई! बस इतना करें कि हमें बख्श दें.
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