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वकील-पुलिस टकराव: 3 नवंबर का फैसला केवल 2 मामलों के लिए- कोर्ट 

कोर्ट ने 10 पन्नों के आदेश में बार और पुलिस के बीच तनाव को लेकर नाराजगी जताई

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दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया है कि वकीलों पर सख्त कार्रवाई नहीं करने संबंधी उसका तीन नवंबर का आदेश केवल तीस हजारी कोर्ट परिसर में पुलिस और वकीलों के बीच हुई झड़प को लेकर दो नवंबर को दर्ज दो प्राथमिकियों के लिए है.

इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से दायर याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें कोर्ट से तीन नवंबर के फैसले पर यह स्पष्ट करने की मांग की गई थी कि यह बाद की घटनाओं पर लागू होता है या नहीं.

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पुलिस ने कोर्ट से क्या अपील की?

दिल्ली पुलिस ने भी बुधवार को केंद्र सरकार के अधिवक्ता अनुराग अहलूवालिया के जरिए अलग से आवेदन दायर कर दो नवंबर को कथित तौर पर वकील को जिला अदालत की हवालत में खींचने, वहां तैनात पुलिसकर्मियों में से एक के द्वारा गोली चलाने और इसमें तीन अधिवक्ताओं के घायल होने और वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लाठीचार्ज के आदेश दिए जाने को लेकर अदालत की टिप्पणी में संशोधन की मांग की.

पुलिस ने कहा कि टिप्पणी को हटाया जाना चाहिए ताकि किसी जांच के दौरान इसे उनके खिलाफ अंतिम नतीजे के तौर पर पढ़ा या समझा नहीं जाए.

कोर्ट ने क्या कहा?

पीठ ने आवेदन का निपटारा करते हुए कहा, ‘‘ टिप्पणी ‘प्रथम दृष्टया’ और ‘अस्थायी’ है और इसे केवल तीन नवंबर 2019 के फैसले के सदंर्भ में ही पढ़ा जाना चाहिए. अन्यथा इन तथ्यों को दर्ज सबूतों के आधार पर साबित किया जाना चाहिए.’’

कोर्ट ने 10 पन्नों के आदेश में बार और पुलिस के बीच तनाव को लेकर भी नाराजगी जताई और दोनों पक्षों के जिम्मेदार प्रतिनिधियों की बैठक कर विवादों को निपटाने का सुझाव दिया. पीठ ने कहा-

पुलिस और वकील न्याय के सिक्के के दो पहलू हैं और न्याय का राज स्थापित करने के लिए दोनों को सौहार्दपूर्ण माहौल मे काम करें. दोनों के बीच कोई विसंगति या टकराव शांति और सौहार्द के लिए नुकसानदायक और लोक हित के लिए विध्वंसक होगी.’’

हिंसा की घटनाएं बर्दाश्त नहीं, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी: बार काउंसिल

दिल्ली में जिला अदालतों के बाहर वकीलों के प्रदर्शन के बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा है कि वकीलों, पुलिस और जनता से जुड़ी हिंसा की किसी भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट परिसर में मिश्रा ने पत्रकारों को बताया कि BCI ने वकीलों और पुलिस के बीच हिंसा की सभी घटनाओं को गंभीरता से लिया है और दोषियों के खिलाफ सभी आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

उन्होंने पुलिसकर्मियों पर मंगलवार को पुलिस मुख्यालय के बाहर अपने प्रदर्शन के दौरान न्यायाधीशों और वकीलों के खिलाफ भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया.

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क्या है तीस हजारी हिंसा मामला?

बीते शनिवार को तीस हजारी कोर्ट परिसर में पार्किंग को लेकर पुलिस और वकील आपस में भिड़ गए थे. इस टकराव में दोनों पक्षों के लोग घायल हुए थे. इसके बाद सोमवार को साकेत जिला अदालत के बाहर कुछ वकीलों ने एक ऑन ड्यूटी पुलिसकर्मी के साथ मारपीट की. इन दोनों घटनाओं के विरोध में पुलिसकर्मियों ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.

बता दें, तीस हजारी झड़प मामले में 20 पुलिसकर्मी और कई वकील घायल हो गये थे. वहीं, साकेत अदालत के बाहर मोटरसाइकिल पर सवार एक वर्दीधारी पुलिसकर्मी को कोहनी मारते और उसे थप्पड़ मारते हुए वीडियो सामने आने के बाद अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दो प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं.

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