इंदौर में बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय ने जिस जर्जर मकान को गिराने से रोकने के लिए सरकारी अफसर पर चलाया था बल्ला, अब हाईकोर्ट ने ही उसे गिराने का आदेश दे दिया है. इंदौर में गंजी कंपाउंड के इस जर्जर मकान को लेकर मकान किराएदार की ओर से लगाई गई याचिका को हाईकोर्ट ने 2 जुलाई को मंजूर कर लिया.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "हमें गंजी कंपाउंड के इस मकान को गिराना कानूनी तौर पर गलत नहीं लग रहा है." लेकिन कोर्ट ने मकान गिराए जाने से पहले नगर निगम को किरायेदार के लिए अस्थायी वैकल्पिक व्यवस्था कराने के लिए कहा है.
‘कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं’
मध्य प्रदेश में नगर निगम अधिकारी की पिटाई करने की घटना का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं है, फिर चाहे वह कोई भी हो. बता दें, इससे पहले 2 जुलाई को ही पीएम मोदी ने भी मामले पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, फिर चाहे वो किसी का भी बेटा हो.
बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने उन नेताओं और बीजेपी कार्यकर्ताओं पर भी निशाना साधा, जिन्होंने आकाश विजयवर्गीय के समर्थन में नारे लगाए थे. पीएम मोदी ने कहा कि उन लोगों पर भी एक्शन होना चाहिए, जिन्होंने इस बात का समर्थन किया और स्वागत किया उन्हें भी पार्टी में रहने का कोई हक नहीं है.
क्या है आकाश विजयवर्गीय का मामला?
इंदौर के गंजी कंपाउंड में एक जर्जर मकान को गिराने गए नगर निगम के अधिकारी की आकाश ने क्रिकेट के बल्ले से पिटाई कर दी थी. इस घटना के बाद आकाश विजयवर्गीय को गरिफ्तार कर लिया गया था. हालांकि कुछ ही दिन बाद उन्हें जमानत भी मिल गई. बाहर आते ही उनका जोरदार स्वागत किया गया. इस मौके पर उनके कई समर्थक हर्ष फायरिंग भी करते नजर आए. जमानत पर छूटने के तुरंत बाद उन्होंने कहा था भगवान उन्हें दोबारा बल्लेबाजी का मौका न दे. विपक्ष ने इस मामले को लेकर बीजेपी और कैलाश विजयवर्गीय पर जमकर हमला बोला था.
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