कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) में हिजाब विवाद (Hijab row) पर सुनवाई शुक्रवार, 18 फरवरी को छठे दिन भी जारी रही जहां एडवोकेट जनरल (महाधिवक्ता) प्रभुलिंग नवदगी ने राज्य सरकार की तरफ से दलील रखी. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट से कहा कि उसके अनुसार हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और साथ ही इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकार का हिस्सा नहीं है.
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि हिजाब अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकार का हिस्सा है और इसपर प्रतिबंध उसका उल्लंघन है. हमारा (राज्य) मानना है कि ऐसा नहीं है”.कर्नाटक हाई कोर्ट में राज्य सरकार
शैक्षिक संस्थानों में हिजाब को बैन करने के राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों द्वारा दायर इन याचिकाओं पर कर्नाटक हाई कोर्ट अगली सुनवाई 21 फरवरी करेगा.
सबरीमाला और तीन तलाक पर SC के फैसले की कसौटी पर खरा उतरे हिजाब- राज्य सरकार
कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को कर्नाटक हाई कोर्ट से कहा कि हिजाब पहनने की प्रथा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सबरीमाला और तीन तालक मामलों में दिए फैसले में निर्धारित संवैधानिक नैतिकता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सबरीमाला और तीन तालक मामलों में दिए फैसले का उल्लेख करते हुए एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि
"हिजाब पहनने की प्रथा को संवैधानिक नैतिकता और व्यक्तिगत गरिमा की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए."
दूसरी तरफ आज की सुनवाई की शुरुआत में, वरिष्ठ वकील रविवर्मा कुमार ने कोर्ट को सुझाव दिया कि YouTube पर मामले की लाइव स्ट्रीमिंग को निलंबित कर दिया जाए, क्योंकि इससे स्टूडेंट "अनकही कठिनाई और दुख" में आ रहे हैं.
हालांकि इसको इंकार करते हुए चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी ने कहा कि
"लोगों को यह भी सुनने दें कि उत्तरदाताओं का क्या रुख है."
एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सिराजुदीन अहमद ने हाई कोर्ट को बताया कि कुछ असामाजिक तत्व महिलाओं को हिजाब पहनने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं. इसपर चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी ने दिया सुझाव कि "आपको उनके खिलाफ FIR दर्ज करनी चाहिए,"
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