वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को संकेत दिया है कि अगले आम बजट में रेल किरायों में बढ़ोतरी हो सकती है.
जेटली के मुताबिक, अगले बजट में रेलवे के लिए कोई लोकलुभावन कदम नहीं उठाए जाएंगे.
92 साल पुराने नियम को बदलते हुए सरकार ने घोषणा की थी कि इस बार रेल बजट का विलय आम बजट के साथ कर दिया जाएगा. आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाना है.
‘75% रिसोर्स खुद जुटाए रेलवे’
बता दें कि पिछले दिनों वित्त मंत्रालय ने रेलवे के स्पेशल प्रोटेक्शन फंड के प्रपोजल को खारिज कर दिया था. प्रपोजल के मुताबिक, ट्रैक को बेहतर करने, सिग्नल सिस्टम अपग्रेड करने, मानवरहित लेवल क्रॉसिंग को समाप्त करने और कई दूसरे सुरक्षा संबंधी उपायों के लिए फंड जुटाने के लिए सुरक्षा उपकर लगाया जाना था.
वित्त मंत्रालय ने इसे खारिज करते हुए रेलवे से कहा कि वह किराया बढ़ाकर रिसोर्स जुटाए. सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने इस फंड का सिर्फ 25% उपलब्ध कराने की सहमति दी है. बाकी के 75% संसाधन खुद रेलवे को जुटाने होंगे.
नए नियमों से छोटे व्यापारियों को होगा फायदा
एक सम्मेलन में शिरकत कर रहे अरुण जेटली ने डिजिटल लेन-देन के फायदे के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि छोटे व्यापारियों और कारोबारियों को डिजिटल लेन-देन पर बड़ा फायदा होगा. उनकी टैक्स देनदारी 30 फीसदी तक कम हो जाएगी.
सरकार ने सोमवार को कहा था कि दो करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यवसायियों और कारोबारियों को बैंकिंग और डिजिटल माध्यम से भुगतान करने पर कम टैक्स चुकाना होगा.
छोटे व्यापारी अगर डिजिटल होते हैं, तो उन्हें टैक्स में छूट मिलेगी. इस प्रोत्साहन से इकोनॉमी को डिजिटल करने का बढ़ावा मिलेगा. अगर हम कुल फायदे जोड़ें, तो इससे कई व्यापारियों को डिजिटल लेन-देन करने पर 30 फीसदी से भी ज्यादा छूट मिलेगी.अरुण जेटली, वित्त मंत्री
‘बार-बार पुराने नोट जमा कराने से शक’
अरुण जेटली ने 30 दिसंबर, 2016 तक 5000 रुपये से अधिक रकम, पुराने नोटों के रूप में एक बैंक अकाउंट में केवल एक ही बार में जमा कराने के नए नियम पर भी सफाई पेश की.
उन्होंने कहा, "चूंकि पुराने नोटों को अस्पताल, रेलवे स्टेशन और अन्य स्थानों पर चलाने की छूट खत्म कर दी गई है, इसलिए पुराने नोट होने का कोई सवाल ही नहीं उठता. जिसके पास भी पुराने नोट हैं, वे जाकर बैंक में उसे एक बार में जमा करें. अगर कोई बार-बार पुराने नोट लेकर बैंक में जमा करने जाता है तो इससे शक पैदा होता है."
वित्तमंत्री ने भले ही इस मुद्दे पर सफाई पेश कर दी हो, पर केंद्र सरकार के इस तरह के फैसलों पर सवाल भी उठने लगे हैं.
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