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हिमाचल चुनाव में 'हांफ' रही AAP, लेकिन 4 सीट पर बिगाड़ेगी BJP-कांग्रेस का ग्राफ?

हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में उतर रही है.

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भारत
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"आज हिमाचल की जनता बड़ी उम्मीद से दिल्ली और पंजाब की ओर देख रही है, हिमाचल को भी दिल्ली और पंजाब जैसी ईमानदार सरकार चाहिए. हिमाचल को भी अरविंद केजरीवाल मॉडल चाहिए."

'गुजरात मॉडल' स्लोगन की अपार सफलता के बाद अब 'केजरीवाल मॉडल' मार्केट में है. पंजाब और दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) हिमाचल चुनाव (Himachal Pradesh Election) में 'दूर का ढोल सुहाना' वाला दाव लगा रही है. लेकिन क्या हिमाचल में दिल्ली और पंजाब सेलिंग प्वाइंट है? क्या आम आदमी पार्टी पंजाब और दिल्ली वाला जलवा हिमाचल प्रदेश चुनाव में दिखा सकेगी? हिमाचल में किन सीटों पर आम आदमी पार्टी 'खेल' कर सकती है? इन सवालों के जवाब इस आर्टिकल में आपको आगे मिलेंगे.

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ये खबर क्यों जरूरी: हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में उतर रही है, साथ ही पिछले कुछ वक्त से आम आदमी पार्टी लगातार जीत के दावे कर रही है, जब्कि हिमाचल में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा जनता दल (1977 विधानसभा चुनाव) को छोड़कर कोई दूसरी पार्टी आजतक सत्ता में नहीं आ सकी है. ऐसे में आम आदमी पार्टी की जीत के दावे पर सबकी नजर है.

बड़ी बात: हिमाचल विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने लोकलुभावन घोषणापत्र जारी किया था.

आम आदमी पार्टी ने 6 गारंटी दी है. जिसमें बेरोजगार युवाओं  को 3000 रुपये हर महीना बेरोजगारी भत्ता, 5 साल में 6 लाख सरकारी नौकरी, हर ग्राम पंचायत को 5 साल में 10 लाख रुपये दिए, पंचायत अध्यक्षों का 10 हजार रुपये महीना वेतन, बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थ यात्रा जैसी गारंटी शामिल है.

अब इन वादों के साथ आम आदमी पार्टी वोटरों को लुभाने की उम्मीद में है. लेकिन सिर्फ वादे से जनता वोट दे दे ऐसा होता नहीं है. ऐसे में सवाल है कि आम आदमी पार्टी जमीन पर कितनी मजबूत है? किन सीटों पर आम आदमी पार्टी जीत-हार का फैक्टर बन सकती है?

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आंकड़ों पर एक नजर: इन सवालों के जवाब के लिए थोड़ा हिमाचल चुनाव से पहले हुए कुछ सर्वे पर नजर डालते हैं. पोल ऑफ पोल्स पर नजर डालेंगे तो आम आदमी पार्टी के दावे हवा-हवाई नजर आएंगे.

एबीपी न्यूज सी वोटर सर्वे के मुताबिक, आम आदमी पार्टी को 0-1 सीट मिल सकती है. वहीं अरविंद केजरीवाल की पार्टी को 6.3 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान लगाया गया है. दूसरी तरफ इंडिया टीवी-मैटराइज ओपिनियन पोल में AAP को एक भी सीट नहीं मिलती नजर आ रही है.
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किन सीटों पर AAP कर सकती है 'खेल'

आम आदमी पार्टी मुकबाला त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है. लेकिन अगर जमीनी हकीकत देखें तो करीब 4-5 ऐसी सीटें हैं जिसपर आम आदमी पार्टी खेल कर सकती है. यहां खेल का मतलब सिर्फ जीतने से नहीं बल्कि सामने वाले का वोट काटने की कला और हराने में योगदान करने से है. मतलब इन सीटों पर आम आदमी पार्टी कांग्रेस-बीजेपी का समीकरण बिगाड़ सकते हैं.

फतेहपुर विधानसभा सीट

फतेहपुर विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प है. यहां बीजेपी के कई बागी मैदान में हैं. ये वही सीट है जहां के एक उम्मीदवार और पीएम मोदी की कथित बातचीत का वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी के बागी कृपाल परामर को कॉल कर चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा है. इसी सीट पर एक और बीजेपी के बागी नेता हैं राजन सुशांत (Rajan Sushant), जिन्हें आम आदमी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है.

राजन सुशांत पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, सांसद भी रहे हैं. लेकिन, प्रदेश बीजेपी नेतृत्व की आलोचना करने की वजह से उन्हें बीजेपी ने सस्पेंड कर दिया था. इससे पहले राजन ने साल 2014 लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी जॉइन किया था लेकिन फिर आप से खुद को अलग कर लिया. हालांकि अभी चुनाव से दो महीने पहले राजन ने फिर से AAP का दामन थाम लिया. यही नहीं साल 2021 में कांगड़ा जिले में आने वाली फतेहपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में राजन बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़े थे और तीसरे नंबर पर रहे थे. 12 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. वहीं जीतने वाले कांग्रेसी उम्मीदवार भवाणी सिंह पठानिया को 24 हजार 249 वोट मिले थे.

अगर इस सीट को देखें तो साल 2012 से ये सीट कांग्रेस के पास है. कांग्रेस ने एक बार फिर भवानी सिंह पठानिया को उम्मीदवार बनाया है. 2017 में भवानी सिंह के पिता सुजान सिंह पठानिया इस सीट पर जीते थे. यहां बीजेपी आपसी कलह से लेकर उम्मीदवार बदलने को लेकर परेशान है. साल 2021 के उप-चुनाव में दसरे नंबर पर आने वाले बलदेव ठाकुर को बीजेपी ने टिकट न देकर नूरपुर विधानसभा के मौजूदा विधायक राकेश पठानिया को मैदान में उतारा है. राकेश पठानिया पर बाहरी उम्मीदवार बताया जा रहा है.

ऐसे में आम आदमी पार्टी चुनाव जीते न जीते बीजेपी और कांग्रेस के लिए फतेहपुर में मुश्किल जरूर खड़ी कर सकती है.

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सोलन विधानसभा सीट

सोलन जिले की कसौली जोकि SC जाति के लिए आरक्षित है, वहां आम आदमी पार्टी ने हरमेल धीमान को टिकट दिया है. हिमाचल सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री और बीजेपी नेता राजीव सैजल और कांग्रेस उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी भी इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. विनोद सुल्तानपुरी सात बार के सांसद के डी सुल्तानपुरी के बेटे हैं.

दरअसल, कसौली की सीट पर मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, लेकिन बीजेपी से आम आदमी पार्टी में गए हरमेल बड़ा खेल कर सकते हैं. पिछले 2 चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच जीत-हार का मार्जिन एक हजार वोटों से भी कम का रहा है. 2012 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी सिर्फ 24 वोट से बीजेपी के राजीव सैजल से चुनाव हारे थे. वहीं 2017 विधानसभा चुनाव में जीत-हार का फासला सिर्फ 442 वोट का था.

ऐसे में अगर में हरमेल धीमान अगर बीजेपी के वोटों में सेंध लगाते हैं तो इसका फायदा कांग्रेस को हो सकता है.

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नाचन विधानसभा सीट

इस सीट से आप आदमी पार्टी ने सबसे युवा पंचायत सरपंच के नाम से मशहूर हुई जबना को अपना उम्मीदवार बनाया है. जबना ने शराब के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया था और अपनी पंतायत में शराब को बैन किया था. जिससे वहां की महिलाओं में उनकी पकड़ मजबूत हुई है.

बता दें कि इस सीट पर साल 2012 और 2017 के चुनावों में बीजेपी को जीत हास‍िल हुई थी और इस बार भी बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक विनोद कुमार पर यकीन किया है. वहीं कांग्रेस ने नरेश कुमार को टिकट दिया है. साल 2017 में विनोद 15 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते थे.

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नालागढ़ में AAP की 'चाल'

हिमाचल प्रदेश की नालागढ़ सीट पर कहानी अजब है. 2017 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले लखव‍िन्‍द्र स‍िंह राणा बीजेपी में शामिल हो गए हैं, तो कांग्रेस ने हरदीप सिंह बावा को अपना उम्मीदवार बनाया है जो 2017 के चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे थे और न‍िर्दलीय चुनाव में उतरे थे. वहीं साल 2017 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले के एल ठाकुर इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने धरमपाल चौहान को टिकट दिया है. धर्मपाल 2015 में खेड़ा वार्ड से कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार के रूप में जिला परिषद का चुनाव जीत चुके हैं और सोलन जिला परिषद के अध्यक्ष बने थे.

कुल मिलाकर बात साफ है आम आदमी पार्टी भले ही जीत से दूर दिख रही हो लेकिन कुछ सीटों पर दूसरी पार्टियों को नुकसान और फायदा पहुंचा सकती है.

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और बताइए: हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर 2022 को विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं. हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीटें हैं. आम आदमी पार्टी ने सभी 67 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.

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