पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में बनी नई कांग्रेस (Congress) की सुक्खू सरकार का कैबिनेट बन चुका है और सभी मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है. सुक्खू सरकार की पहली कैबिनेट मीटिंग 13 जनवरी यानी लोहड़ी के त्योहार के दिन होनी तय हुई है. लिहाजा सबकी निगाहें इस पर हैं कि क्या जनता को लोहड़ी पर वह तोहफे मिलने हैं जिन्हें देने के सपने कांग्रेस ने चुनाव से पहले दिखाए और पहली कैबिनेट में देने का वादा किया था? ये सवाल इसलिए हैं क्योंकि हिमाचल की हालत आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया जैसी है.
हिमाचल:क्या पेंशन के साथ अन्य वादे पूरा कर पाएगी सुक्खू सरकार?कहां से आएगा पैसा?
1. आखिर कहां से आएगा पैसा?
यहां पर बात OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) और महिलाओं को 1500 रुपए देने की हो रही है. सवाल ये है कि अगर कैबिनेट में इन दोनों बड़ी घोषणाओं पर मुहर लग जाती है, तो पैसा कहां से आएगा ? क्योंकि प्रदेश इस वक्त साढ़े 74 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज झेल रहा है. सुक्खू सरकार इसका जिम्मेदार पिछली जयराम सरकार को बता रही है.
Expand2. CAG रिपोर्ट में हिमाचल को चेतावनी?
हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्र सरकार से वित्त आयोग की ग्रांट कम होने और GST की मुआवजा राशि बंद होने से हिमाचल में राजकोषीय घाटे का संकट भी गहराने लगा है. हाल ही में CAG यानी कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसके मुताबिक हिमाचल का राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है. मौजूदा वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा GDP का 5.84 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है.
इसके अलावा CAG रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान आमदनी 37110.67 करोड़ रहने का अनुमान है.
राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व के तौर पर 11268.14 करोड़ रुपए, गैर कर राजस्व के रूप में 2797.99 करोड़ रुपए, केंद्रीय करों में हिमाचल की हिस्सेदारी के रूप में 18770.42 करोड़ रुपए के अलावा केंद्रीय अनुदान के तौर पर खजाने में 4274.4 करोड़ रुपए आने का अनुमान है.
Expand3. जून-2022 से बंद है हिमाचल को मिलने वाला GST मुआवजे का हिस्सा
केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को मिलने वाले जीएसटी मुआवजे का हिस्सा जून-2022 से बंद है. लिहाजा मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार को केंद्र से GST कंपनशेशन के रूप में मिलने वाले 558 करोड़ 37 लाख रुपए का नुकसान होगा. वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद हिमाचल में पेंशनरों को एरियर के भुगतान पर सरकार को एक हजार 9 करोड़ 80 लाख का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा.
CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन दोनों मदों से प्रदेश का राजस्व घाटा 1456.32 करोड़ होगा, साथ ही राजकोषीय घाटा 1642.49 करोड़ तक पहुंच जाएगा.
Expand4. क्या कहते हैं FBRM के प्रावधान?
FBRM यानी फिस्कल रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट के प्रावधानों के तहत राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन यह 5.84 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है. सरकारी सिस्टम की सुस्ती इस कदर है कि वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के करोड़ों रुपए के विकास कार्यों के उपयोगिता प्रमाण जमा ही नहीं करवाए गए. यह भी सुनिश्चित नहीं है कि ग्रांट-इन-एड के तौर पर विभिन्न विभागों, संस्थाओं को जारी रकम की उपयोगिता यानी यूटिलाइजेशन हुई है या नहीं. कैग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
Expand5. पेंशन से प्रदेश को कितना आर्थिक बोझ?
कांग्रेस के OPS देने के पहले वादे की बात करें तो, हिमाचल में करीब पौने तीन लाख सरकारी कर्मचारी हैं और इनमें से एक लाख पांच हजार कर्मचारी NPS के तहत आते हैं. ऐसे में पुरानी पेंशन स्कीम अगर हिमाचल में लागू होती है तो राज्य पर 600 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ सकता है.
मौजूदा वक्त में पेंशन का भुगतान करने के लिए सालाना 7500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. पुरानी पेंशन बहाली के बाद 2030 में रिटायर होने वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन चुकाने की चिंता करनी पड़ेगी, क्योंकि आने वाले वर्षों में पेंशन पर होने वाला खर्च 25 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.
वेतन, पेंशन और कर्ज के मूलधन और ब्याज पर बजट का 50 से 55 प्रतिशत हिस्सा खर्च होता है...ऐसे में बजट का 40 से 44 फीसदी पैसा ही विकास कार्यों के लिए बच पाता है.
Expand6. महिलाओं को 1500 रुपए दिए तो कितना होगा खर्च?
कांग्रेस के दूसरे वादे महिलाओं को पेंशन देने की बात करें तो, हिमाचल में 18 साल से ऊपर 27 लाख से ज्यादा महिलाएं हैं. ऐसे में अगर सरकार अगर महिलाओं को 1500 रुपए देना शुरू कर देती है तो पहले ही महीने में 405 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च होगी.
Expand7. 300 यूनिट मुफ्त बिजली से कितना आर्थिक बोझ ?
कांग्रेस ने चुनाव से पहले हर घर को 300 यूनिट बिजली देने का भी वादा किया था, जिस पर सालाना 2,500 करोड़ रुपये का और खर्च आएगा. साल 2022-23 के बजट अनुमानों के मुताबिक कुल प्राप्तियां 50,300.41 करोड़ रुपये और और नकद व्यय 51,364.76 करोड़ रुपये अनुमानित हैं. फिलहाल सवाल तो ये उठता है कि आखिर सुक्खू सरकार इतना पैसा कहां से लाएगी?
Expand8. सरकार को CAG की सलाह
CAG रिपोर्ट ने हिमाचल की इस हालत पर चिंता जताई है. इस घाटे को कंट्रोल करने के लिए CAG ने सरकार को अनप्रोडक्टिव खर्च कम करने और एक्सटर्नल एडेड प्रोजेक्ट्स के लिए केंद्रीय मदद से धन जुटाने की सलाह दी है.
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आखिर कहां से आएगा पैसा?
यहां पर बात OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) और महिलाओं को 1500 रुपए देने की हो रही है. सवाल ये है कि अगर कैबिनेट में इन दोनों बड़ी घोषणाओं पर मुहर लग जाती है, तो पैसा कहां से आएगा ? क्योंकि प्रदेश इस वक्त साढ़े 74 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज झेल रहा है. सुक्खू सरकार इसका जिम्मेदार पिछली जयराम सरकार को बता रही है.
CAG रिपोर्ट में हिमाचल को चेतावनी?
हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्र सरकार से वित्त आयोग की ग्रांट कम होने और GST की मुआवजा राशि बंद होने से हिमाचल में राजकोषीय घाटे का संकट भी गहराने लगा है. हाल ही में CAG यानी कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसके मुताबिक हिमाचल का राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है. मौजूदा वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा GDP का 5.84 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है.
इसके अलावा CAG रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान आमदनी 37110.67 करोड़ रहने का अनुमान है.
राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व के तौर पर 11268.14 करोड़ रुपए, गैर कर राजस्व के रूप में 2797.99 करोड़ रुपए, केंद्रीय करों में हिमाचल की हिस्सेदारी के रूप में 18770.42 करोड़ रुपए के अलावा केंद्रीय अनुदान के तौर पर खजाने में 4274.4 करोड़ रुपए आने का अनुमान है.
जून-2022 से बंद है हिमाचल को मिलने वाला GST मुआवजे का हिस्सा
केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को मिलने वाले जीएसटी मुआवजे का हिस्सा जून-2022 से बंद है. लिहाजा मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार को केंद्र से GST कंपनशेशन के रूप में मिलने वाले 558 करोड़ 37 लाख रुपए का नुकसान होगा. वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद हिमाचल में पेंशनरों को एरियर के भुगतान पर सरकार को एक हजार 9 करोड़ 80 लाख का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा.
CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन दोनों मदों से प्रदेश का राजस्व घाटा 1456.32 करोड़ होगा, साथ ही राजकोषीय घाटा 1642.49 करोड़ तक पहुंच जाएगा.
क्या कहते हैं FBRM के प्रावधान?
FBRM यानी फिस्कल रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट के प्रावधानों के तहत राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन यह 5.84 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है. सरकारी सिस्टम की सुस्ती इस कदर है कि वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के करोड़ों रुपए के विकास कार्यों के उपयोगिता प्रमाण जमा ही नहीं करवाए गए. यह भी सुनिश्चित नहीं है कि ग्रांट-इन-एड के तौर पर विभिन्न विभागों, संस्थाओं को जारी रकम की उपयोगिता यानी यूटिलाइजेशन हुई है या नहीं. कैग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
पेंशन से प्रदेश को कितना आर्थिक बोझ?
कांग्रेस के OPS देने के पहले वादे की बात करें तो, हिमाचल में करीब पौने तीन लाख सरकारी कर्मचारी हैं और इनमें से एक लाख पांच हजार कर्मचारी NPS के तहत आते हैं. ऐसे में पुरानी पेंशन स्कीम अगर हिमाचल में लागू होती है तो राज्य पर 600 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ सकता है.
मौजूदा वक्त में पेंशन का भुगतान करने के लिए सालाना 7500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. पुरानी पेंशन बहाली के बाद 2030 में रिटायर होने वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन चुकाने की चिंता करनी पड़ेगी, क्योंकि आने वाले वर्षों में पेंशन पर होने वाला खर्च 25 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.
वेतन, पेंशन और कर्ज के मूलधन और ब्याज पर बजट का 50 से 55 प्रतिशत हिस्सा खर्च होता है...ऐसे में बजट का 40 से 44 फीसदी पैसा ही विकास कार्यों के लिए बच पाता है.
महिलाओं को 1500 रुपए दिए तो कितना होगा खर्च?
कांग्रेस के दूसरे वादे महिलाओं को पेंशन देने की बात करें तो, हिमाचल में 18 साल से ऊपर 27 लाख से ज्यादा महिलाएं हैं. ऐसे में अगर सरकार अगर महिलाओं को 1500 रुपए देना शुरू कर देती है तो पहले ही महीने में 405 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च होगी.
300 यूनिट मुफ्त बिजली से कितना आर्थिक बोझ ?
कांग्रेस ने चुनाव से पहले हर घर को 300 यूनिट बिजली देने का भी वादा किया था, जिस पर सालाना 2,500 करोड़ रुपये का और खर्च आएगा. साल 2022-23 के बजट अनुमानों के मुताबिक कुल प्राप्तियां 50,300.41 करोड़ रुपये और और नकद व्यय 51,364.76 करोड़ रुपये अनुमानित हैं. फिलहाल सवाल तो ये उठता है कि आखिर सुक्खू सरकार इतना पैसा कहां से लाएगी?
सरकार को CAG की सलाह
CAG रिपोर्ट ने हिमाचल की इस हालत पर चिंता जताई है. इस घाटे को कंट्रोल करने के लिए CAG ने सरकार को अनप्रोडक्टिव खर्च कम करने और एक्सटर्नल एडेड प्रोजेक्ट्स के लिए केंद्रीय मदद से धन जुटाने की सलाह दी है.
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