लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह (Brijendra Singh) ने रविवार, 10 मार्च को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इसकी जानकारी अपने सोशल मीडिया एक्स पर दी. उन्होंने अपने फैसले के लिए बाध्यकारी राजनीतिक कारणों को जिम्मेदार ठहराया. इस्तीफे के ऐलान के तुरंत बाद वह कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए.
कांग्रेस में शामिल होने के बाद बीरेंद्र सिंह ने कहा कि, 2 अक्टूबर को हमने जींद में जो रैली की थी और उसमें बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन मुद्दे को लेकर भी एक फैसला लिया गया तो मेरे पार्टी छोड़ने का वो भी एक कारण है."
आपको बता दें कि, बीजेपी ने जेजेपी को एनडीए में शामिल किया है. हालांकि, BJP ने हरियाणा में जेजेपी के साथ सीट को लेकर कोई एलान नहीं किया है.
"बीरेंद्र सिंह के परिवार से पार्टी का रिश्ता पीढ़ियों का है"
बृजेंद्र सिंह के इस्तीफे पर हरियाणा की कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने कहा कि वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे और हिसार से बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह ने भगवा पार्टी को छोड़कर, "हम सबकी प्रेरणा स्त्रोत आदरणीया सोनिया गांधी, हमारे शीर्ष नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जी और राहुल गांधी के विचारों में आस्था जताते हुए", आज कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.
शैलजा ने कहा कि चौधरी बीरेंद्र सिंह के परिवार से पार्टी का रिश्ता पीढ़ियों का है. वह आज फिर से कांग्रेस में वापसी कर रहे हैं."
कौन हैं बृजेंद्र सिंह?
सांसद बृजेंद्र सिंह कई संसदीय पैनल के सदस्य भी हैं. वे पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी रह चुके हैं, जिन्होंने 21 सालों तक देश की सेवा करने के बाद वॉलंटरी रिटायरमेंट लिया था. 1998 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल की.
बृजेंद्र सिंह ने जेएनयू से आधुनिक इतिहास में एमए किया था. वह हरियाणा के जिंद के मूल निवासी हैं.
बृजेंद्र सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं. वह जाट आइकन छोटू राम के परपोते भी हैं.
"मैं नोपोटिजम का प्रोडक्ट नहीं"
बृजेंद्र सिंह ने 2019 में अपनी चुनावी शुरुआत की. अपने अभियान के दौरान उन्होंने कहा था कि वह भाई-भतीजावाद की उपज नहीं हैं. यानी वे खुद को नोपोटिजम का प्रोडक्ट नहीं मानते. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था कि:
"मुझे भाई-भतीजावाद के प्रोडक्ट के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. मैं एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आता हूं जो एक शताब्दी से अधिक समय से अस्तित्व में है. लेकिन ऐसा नहीं है कि मैं मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो रहा हूं क्योंकि मेरे पास जाने के लिए और कोई जगह नहीं है. मैंने अपना रास्ता खुद बनाया, जिसमें मैं काफी हद तक सफल रहा."
बिजेंद्र सिंह ने जेजेपी के दुष्यंत चौटाला और भव्य बिश्नोई को हराया था, जो उस समय कांग्रेस में थे. पिछले साल, बृजेंद्र सिंह ने सार्वजनिक रूप से उन पहलवानों का समर्थन किया था जो यौन उत्पीड़न के आरोपों पर बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
ऐसी अटकलें थीं कि 2022 में बृजेंद्र सिंह आम आदमी पार्टी में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं. हालांकि, बाद में उन्होंने अफवाहों को खारिज कर दिया था और कहा कि उनकी पार्टी में शामिल होने की कोई योजना नहीं है.
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