इस्लामाबाद में आयोजित किए गए सार्क सम्मेलन में एक बार फिर पाकिस्तान सरकार ने नापाक हरकत की है. पाकिस्तान सरकार ने सम्मेलन के दौरान मीडिया को भारतीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण को कवर करने से रोक दिया. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सार्क सम्मेलन में राजनाथ सिंह की स्पीच को पूरी तरह से ब्लैकआउट कर दिया गया.
सार्क सम्मेलन के लंच में नहीं गए राजनाथ
इसके बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सख्त तेवर दिखाए और पाकिस्तान के गृह मंत्री निसार चौधरी द्वारा आयोजित किए गए लंच में शामिल नहीं हुए.
आइए जानें, सम्मेलन में क्या बोले राजनाथ
सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान पहुंचे गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा करार दिया है. राजनाथ सिंह ने काबुल, ढाका और पठानकोट में हुए आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताया.
वानी एनकाउंटर केस पर पाकिस्तान के रवैये पर दिखाई नाराजगी
राजनाथ सिंह ने कश्मीर में बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद पाकिस्तान की ओर से विरोध दर्ज कराने के मामले पर कहा कि आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है. इसलिए आतंकवादी को शहीदों के तौर पर याद नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आतंकवादी अच्छा या बुरा नहीं होता. आतंकवादी सिर्फ शांति को खत्म करने वाला होता है.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं. फिर चाहे वह कोई व्यक्ति हो, संस्था हो या फिर कोई देश हो.
नवाज ने किया सम्मेलन का आगाज
इस्लामाबाद में हुए सार्क सम्मेलन का आगाज करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी आतंकवाद को खतरा बताया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद और संगठित अपराधों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद सिर्फ पाकिस्तान की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है. नवाज शरीफ ने सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया.
राजनाथ और खान ने बमुश्किल ही मिलाए हाथ
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में जारी तनाव सार्क के गृह मंत्रियों के सम्मेलन में उस समय साफ तौर पर देखने को मिला, जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह का अपने पाकिस्तानी समकक्ष चौधरी निसार अली खान से आमना-सामना हुआ. दोनों नेताओं ने बमुश्किल ही एक-दूसरे से हाथ मिलाए. सेरेना होटल में आयोजित सम्मेलन में हाथ मिलाने के नाम पर दोनों नेताओं ने मुश्किल से एक दूसरे के हाथों को छुआ. यह औपचारिक तौर पर हाथ मिलाना भी नहीं था.
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