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भारत सरकार ने 9 खालिस्तानी समर्थकों पर लगाया UAPA, आतंकी घोषित

खालिस्तानी संगठनों के कई बड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाई

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भारत
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भारत सरकार ने 9 खालिस्तानी समर्थकों पर लगाया UAPA, आतंकी घोषित
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केंद्रीय गृहमंत्रालय ने खालिस्तान आंदोलन से जुड़े कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है. गृहमंत्रालय ने कुल 9 लोगों के खिलाफ यूएपीए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. इसके बाद ये सभी लोग भारत में आतंकवादी घोषित हो चुके हैं. इन लोगों में पाकिस्तान से काम करने वाले आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल के चीफ वाधवा सिंह बब्बर और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन संगठन के चीफ लखबीर सिंह का नाम भी शामिल है.

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केंद्रीय गृहमंत्रालय की तरफ से जारी बयान नमें कहा गया कि,

“राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने की कटिबद्धता पर बल देते हुए और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के अंतर्गत केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने आज 9 व्यक्तियों को गैरकानूनी गतिविधियां (निषेध) अधिनियम 1967 (2019 में संशोधित के अनुसार) के तहत आतंकवादी घोषित कर उनका नाम इस अधिनियम की चौथी अनुसूची में शामिल करने का फैसला किया है.”
केंद्रीय गृहमंत्रालय

खालिस्तानी संगठनों के बड़े नेताओं पर लगा UAPA

पिछले कई दिनों से खालिस्तानी मूवमेंट को तेज करने की कोशिश हो रही थी. जिसके बाद केंद्र सरकार ने इन सभी खालिस्तानी नेताओं पर यूएपीए एक्ट लगाया है.

इन नौ लोगों में वाधवा सिंह बब्बर और लखबीर सिंह के अलावा, पाकिस्तान में मौजूद संगठन "खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स" के चीफ रंजीत सिंह, "खालिस्तान कमांडो फोर्स" के चीफ परमजीत सिंह, "खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स" के भुपिंदर सिंह भिंडा, जर्मनी बेस्ड आतंकी संगठन "खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स" के बड़े नेता गुरमीत सिंह बग्गा, अमेरिका में मौजूद संगठन "सिख फॉर जस्टिस" के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नूं, कनाडा में मौजूद "खालिस्तान टाइगर फोर्स" के चीफ हरदीप सिंह निज्जर और ब्रिटेन में मौजूद आतंकी संगठन "बब्बर खालसा इंटरनेशनल" के चीफ परमजीत सिंह शामिल हैं.

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क्या है UAPA कानून?

Unlawful activities (prevention) act (UAPA) कानून 1967 में लाया गया था. 2019 में इसमें संशोधन किया गया. जिसके बाद संस्थाओं ही नहीं व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा. इतना ही नहीं किसी पर शक होने से ही उसे आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा. फिलहाल सिर्फ संगठनों को ही आतंकवादी संगठन घोषित किया जा सकता था. खास बात ये है कि इसके लिए उस व्यक्ति का किसी आतंकी संगठन से संबंध दिखाना भी जरूरी नहीं है. आतंकी का टैग हटवाने के लिए भी कोर्ट के बजाय सरकार की बनाई रिव्यू कमेटी के पास जाना होगा. बाद में कोर्ट में अपील की जा सकती है.

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