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प्रिय हनीप्रीत, तुम जहां कहीं भी हो...लौट आओ!

हनी अगर मून पर चली जाए तो भी न्यूज चैनल ढूंढ़ लेंगे!!!

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प्रिय हनीप्रीत,
तुम कहां चली गई हो? जिसे दुनिया तुम्हारा ‘पप्पा’ मानती है, उन्होंने जेल में रो-रोकर आंखें सुजा ली हैं. वो हर वक्त तुम्हें याद कर रहे हैं. हरियाणा पुलिस के बड़े अधिकारी तुम्हारी तलाश में इतने बिजी हो गए हैं कि कई खतरनाक अपराधी उन्हें दुआओं के दुपट्टे में लपेट कर कई तोहफे भेजना चाहते हैं. पर पुलिसवालों को तुम्हारे दुपट्टे की चिंदी ही दिख जाए, वो बेचारे इसी उधेड़बुन में पागल हुए जा रहे हैं. 43 वॉन्टेड लोगों की लिस्ट में सबसे ऊपर हो तुम. मोस्ट वॉन्टेड. मतलब, सब तुम्हें चाहते हैं यहां. और तुम हो कि रूसी-रूसी घूम रही हो. लेकिन जानती हो, यहां तुम्हें सबसे ज्यादा कौन याद कर रहा है? नहीं, वो नहीं! वो तो जेल चले गए. तुम अंदाजा भी नहीं लगा सकतीं.
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तुम्हारी सबसे ज्यादा याद भारतीय खबरिया चैनलों को आ रही है. जब लोग स्टूडेंट होते हैं तो अक्सर दुआ करते हैं कि काश दिन में 24 घंटे से ज्यादा होते तो पढ़ाई कुछ ठीक हो पाती और बाकी के दंद-फंद का वक्त भी निकल आता. कुछ ऐसी ही दुआ इन दिनों खुद को न्यूज चैनल कहने वाली स्क्रीनों पर दिखाई दे रही है. काश 24 की जगह 27 घंटे होते तो आधे-आधे घंटे के 6 स्पेशल और तान देते.

ये चिट्ठी अगर अभी तुम्हारे हाथों में है तो पहले खुशी से छलक आई अपनी आंखों को पोंछ लो, नहीं तो अक्षर मिट जाएंगे. पता है..पता है. इतनी शिद्दत से तुम्हें कभी किसी ने नहीं चाहा. उन्होंने भी नहीं जो जेल में हैं. ये सोच-सोच के तुम्हारी आंखें जरूर भर आई होंगीं.

हनी, ये लोग कह रहे हैं कि 'हनी, मून पर भी चली जाए तो पकड़ी जाएगी'. हनी नेपाल में है. हनी मर्सिडीज से भागी है. बेटा, तुम जाने से पहले इन मरे न्यूज चैनलों का दिया जीपीएस चिप लगाकर क्यों भागीं? अब इन्हें तुम्हारी हर लोकेशन का पता चल जा रहा है. तुमने जूस की दुकान पर मौसमी के जूस का ऑर्डर कैंसल करके संतरे का पिया होगा वो सूचना भी छिप नहीं पाई होगी.

हनी अगर मून पर चली जाए तो भी न्यूज चैनल ढूंढ़ लेंगे!!!
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बेटा, तुम इच्छाधारी हो क्या? ये न्यूज चैनल पर देखकर ही पता लगा. अब तक तो बस इच्छाधारी नाग सुना था लेकिन लगता है तुम्हारी 'कुंडली' पढ़ने में इन सबको बड़ा 'फन' आ रहा है.

हनी अगर मून पर चली जाए तो भी न्यूज चैनल ढूंढ़ लेंगे!!!

करीब 30 बरस पहले श्याम बेनेगल साहब ने भारत, एक खोज नाम का कार्यक्रम बनाया था. बड़ी मेहनत लगी थी उसमें. अब 30 बरस बाद हनी, एक खोज आया है. जमाना बदल गया है. बेटा, तुम्हें जाएगा क्रेडिट जमाना बदलने का. तुम देश के बड़े मीडिया चैनलों की प्रेरणा हो. तुम वो धूप हो, सवेरे 6 बजे जिसे लगाकर खबरिया चैनलों का शटर खुलता है.

हनी अगर मून पर चली जाए तो भी न्यूज चैनल ढूंढ़ लेंगे!!!

तुम अपनी डायरी कहां भूल गई थीं. वो अब इन्हें मिल गई है. इसमें बहुत सारे राज छिपे हैं. अचानक ऐसा महसूस हो रहा है कि देश के सारे राज तुमसे शुरू होकर तुम पर ही खत्म होते हैं.

हनी अगर मून पर चली जाए तो भी न्यूज चैनल ढूंढ़ लेंगे!!!

क्या तुम पाकिस्तान चली गई हो बिटिया? नेपाल देश के पूरब में है और पाकिस्तान पश्चिम में. लेकिन चैनलों पर तुम दोनों जगह हो. तुम तो ‘इंसां’ थीं न पर अब लगता है तुम भगवान हो गई हो, हनी!

हनी अगर मून पर चली जाए तो भी न्यूज चैनल ढूंढ़ लेंगे!!!
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कुछ चैनल कह रहे हैं कि तुम नहीं रहीं. तुम फना हो गई हो. नहीं बिटिया. तुम इतनी जल्दी हमें छोड़ कर नहीं जा सकतीं. ऐसे भावुक वक्त में मुझे फिल्म ‘रांझना’ का क्लाइमेक्स याद आ रहा है.

हनी अगर मून पर चली जाए तो भी न्यूज चैनल ढूंढ़ लेंगे!!!
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एक ‘पप्पा’ है, जिसकी आंखों में सिर्फ तुम्हारी तस्वीर है. एक पुलिस है जिसके कत्थई जूतों पर तुम्हारे ‘पगफेरे’ लिखे हैं. एक साम्राज्य है जिसे तुम ‘डेरा है पर मेरा है’ कह कर अपना सकती है. और कुछ खबरिया चैनल हैं जो तुम्हें झोली भर-भर कर असीसना चाहते हैं. तुम जब यहां नहीं हो तब भी तुम्हीं हो. तुम जब लौट आओगी तो भी तुम ही छाई रहोगी. इसीलिए कहता हूं. तुम चाहे नेपाल में हो या देश में या पाकिस्तान में...तुम घबराना मत. लौट आना. सब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं. तुमसे कोई ‘जबरदस्ती’ नहीं करेगा. लौट आओ री, बिटिया. खबरिया चैनलों का एक बूढ़ा दर्शक

(न्यूज चैनलों के ‘हनीप्रीत मोह’पर व्यंग्य)

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